#MNN24X7 दरभंगा कृषि विज्ञान केन्द्र, जाले, दरभंगा परिसर पर आज दिनांक 22 दिसंबर 2025 से पांच दिवसीय *मखाना नर्सरी उत्पादन एवं प्रबंधन* विषय पर प्रशिक्षण की शुरुआत हुई। यह प्रशिक्षण कोर्स निदेशक एवं वरीय वैज्ञानिक सह प्रधान डॉ दिव्यांशु शेखर की अध्यक्षता में प्रारम्भ हुआ।
प्रशिक्षण के पहले दिन डा प्रदीप कुमार विश्वकर्मा ने बताया कि भारत विश्व में मखाना का सबसे बड़ा उत्पादक है, जिसकी घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों बाजारों में मांग है। 2025 में, कई राज्यों में मखाना की खेती लगभग 13,000 हेक्टेयर से बढ़कर 35,000 हेक्टेयर हो गई। मखाना का प्रमुख उत्पादक होने के नाते, बिहार प्रसंस्कृत मखाना के कुल उत्पादन का लगभग 80% उत्पादन करता है, जो अकेले दरभंगा, मधुबनी, पूर्णिया और कटिहार जिलों से आता है।निर्यात की बात करें तो, भारत ने हाल के वर्षों में लगभग 12,000 मीट्रिक टन मखाना निर्यात किया है। लेकिन, मखाने की बढ़ती मांग को देखते हुए, यह कहा जा सकता है कि आने वाले वर्षों में इसकी मांग और भी बढ़ेगी, क्योंकि कई उपभोक्ता पोषक तत्वों से भरपूर और स्थानीय स्तर पर उत्पादित स्नैक्स को अपनी स्वच्छ और टिकाऊ खानपान शैली के हिस्से के रूप में प्राथमिकता दे रहे हैं। इस प्रशिक्षण में दरभंगा जिले के विभिन्न प्रखंडों से 35 प्रशिक्षणार्थी हिस्सा ले रहे हैं ।
प्रशिक्षण के प्रथम दिवस में डॉ प्रदीप कुमार विश्वकर्मा ने मखाना से जुड़े हुए विभिन्न प्रकार के पहलुओं जैसे नर्सरी उत्पादन उसका उन्नतशील वैज्ञानिक पद्धतियों से खेती उसकी तालाब एवं खेत दोनों माध्यम से निकालने की विधि का वैज्ञानिक एवं पारंपरिक तरीके से प्रशिक्षणार्थी को अवगत कराया ।प्रशिक्षण के दूसरे सत्र में इंजीनियरिंग निधि कुमारी ने मखाने में प्रयुक्त होने वाले विभिन्न उपकरणों के बारे में जानकारी दी जाएगी।
प्रशिक्षण के अन्य सत्रों मे आने वाले दिनों में केंद्र के अन्य वैज्ञानिक भी विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करेंगे डॉ चंदन कुमार मखाना की नर्सरी का प्रबंधन, डॉ . पूजा कुमारी मखाना के प्रसंस्करण एवं इसके प्रसंस्कृत उत्पादों तथा राष्ट्रीय मखाना अनुसंधान केंद्र, दरभंगा के वैज्ञानिक भी प्रयोगात्मक तरीके से नर्सरी उत्पादन की तकनीक किसानों को बताएंगे । प्रशिक्षण के दौरान केंद्र के अन्य कर्मी कार्यक्रम में उपस्थित रहे ।
