-एक साल से लाभार्थियों को नहीं मिल रहा था लाभ
-गायनिक विभाग में 58 गर्भवती महिलाओं को प्रदान की गई सुविधा
– शिशु-मृत्यु दर में कमी लाने की है बेहतर व्यवस्था :- अधीक्षक
दरभंगा,9 मई। डीएमसीएच के स्त्री रोग एवं प्रसूति विभाग में एक बार फिर प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत लाभार्थियों को फल एवं चिकित्सकीय सुविधा उपलब्ध कराई गई। विगत एक साल से गर्भवती महिलाओं को फल नहीं दिए जा रहे थे। उनको अभियान के तहत लाभ नहीं मिल पा रहा था। इसकी जानकारी मिलने पर अधीक्षक डॉ एच एस मिश्रा ने फिर से गर्भवती महिलाओं को यह सुविधा प्रदान की। इसके मद्देनजर सोमवार को अधीक्षक ने विभाग में जाकर गर्भवती महिलाओं को फल प्रदान किए एवं निःशुल्क चिकित्सकीय सुविधा मुहैया कराने का निर्देश दिया। उधर जिले के सभी पीएचसी, सीएचसी, रेफरल अस्पताल सहित सदर अस्पताल में गर्भवती महिलाओं की प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत शिविर आयोजित कर प्रसव पूर्व (एएनसी) जाँच की गयी। जहाँ गर्भवती महिलाओं की स्वास्थ्य जाँच की गयी और जाँच के पश्चात आवश्यक चिकित्सा परामर्श भी दिया गया। जिसमें रहन-सहन, साफ-सफाई, खान-पान, गर्भावस्था के दौरान बरती जाने वाली सावधानियाँ समेत अन्य आवश्यक चिकित्सा परामर्श विस्तार पूर्वक दिया गया। ताकि सुरक्षित और सामान्य प्रसव को बढ़ावा मिल सके और मातृ-शिशु मृत्यु दर पर विराम सुनिश्चित हो सके। अधीक्षक ने बताया जिले में आयोजित शिविर में बड़ी संख्या में गर्भवती महिलाएं शामिल हुईं और सुरक्षित व सामान्य प्रसव को बढ़ावा देने के लिए जाँच करवाई। आज 58 गर्भवती महिलाओं को लाभ दिए गए। साथ ही मेडिकल टीम द्वारा गर्भवती महिलाओं की ब्लड, यूरिन, एचआईवी, ब्लड ग्रुप, बीपी, हार्ट-बीट आदि की भी जाँच की गई।
– सुरक्षित और सामान्य प्रसव के लिए प्रसव पूर्व जाँच जरूरी :
सदर पीएचसी प्रभारी डॉ उमाशंकर प्रसाद ने बताया कि प्रसव अवधि के दौरान किसी भी प्रकार की परेशानी होने पर तुरंत जाँच करानी चाहिए। दरअसल, समय पर जाँच कराने से किसी भी प्रकार की परेशानी का शुरुआती दौर में ही पता चल जाता और पता लगने पर ही उसे आसानी से दूर किया जा सकता है। इसके लिए सरकार द्वारा प्रत्येक माह की नौ तारीख को पीएचसी स्तर पर मुफ्त एएनसी जाँच की व्यवस्था की गई है, ताकि प्रसव के दौरान गर्भवती महिलाओं को किसी प्रकार की अनावश्यक शारीरिक परेशानी का सामना नहीं करना पड़े और सुरक्षित प्रसव को बढ़ावा मिल सके। साथ ही सुरक्षित और सामान्य प्रसव को बढ़ावा देने के लिए गर्भवती महिलाओं को प्रसव पूर्व जाँच कराना जरूरी है।
कोविड-19 टीका गर्भवती महिलाओं और उनके होने वाले बच्चे दोनों के लिए बिल्कुल सुरक्षित है,
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ एके मिश्रा ने बताया कि कोविड-19 टीका लगाने से महिलाओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होने के साथ ही उनके बच्चे में भी इसका विकास होगा। गर्भावस्था में महिलाओं को विभिन्न तरह की समस्याओं से गुजरना होता है। ऐसे में अगर गर्भवती महिलाओं द्वारा कोविड-19 टीका लगाया जाता है तो उसे बीमारियों से लड़ने में आसानी होगी। अगर कोई महिला गर्भकाल के दौरान कोविड-19 की शिकार होती है तो उन्हें चिकित्सक से संपर्क कर जरूरी उपचार कराना चाहिए। जैसे ही महिला संक्रमण से सुरक्षित होती हैं तो तुरंत उसे कोविड-19 टीका लगा लेना चाहिए। टीका लगाने से गर्भवती महिला के होने वाले बच्चे में भी संक्रमण का अंश खत्म हो जाता है। गर्भवती महिलाओं की तरह ही माहवारी के समय में भी महिलाएं कोविड-19 टीका लगा सकती हैं। कोविड-19 टीका का प्रभाव महिलाओं के माहवारी के दौरान होने वाले हार्मोन्स सम्बन्धी बदलाव में नहीं होता। टीका लगाने के पश्चात किसी को भी हल्का बुखार, सर दर्द, हाथों में इंजेक्शन वाली जगह पर दर्द आदि महसूस हो सकता है लेकिन टीकाकरण के बाद यह सामान्य है। हल्का बुखार, सर दर्द आदि कोविड-19 टीका के आपके शरीर में असर दिखाने के ही लक्षण हैं। इसलिए इससे घबराने की आवश्यकता नहीं है।
– शिशु-मृत्यु दर में कमी लाने की है बेहतर व्यवस्था :-
सिविल सर्जन डॉ एके सिन्हा ने बताया कि प्रसव अवधि के दौरान किसी भी प्रकार की परेशानी होने पर तुरंत जाँच करानी चाहिए। दरअसल, समय पर जाँच कराने से किसी भी प्रकार की परेशानी का शुरुआती दौर में ही पता चल जाता और पता लगने पर ही उसे आसानी से दूर किया जा सकता है। इससे प्रसव के दौरान गर्भवती महिलाओं को किसी प्रकार की अनावश्यक शारीरिक परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा। साथ ही सुरक्षित और सामान्य प्रसव को बढ़ावा देने के लिए गर्भवती महिलाओं को प्रसव पूर्व 04 जाँच कराना जरूरी है। महिलाओं की स्वास्थ्य जाँच के लिए की गई यह व्यवस्था शिशु-मृत्यु दर में कमी लाने की बेहतर व्यवस्था है। सरकार की यह व्यवस्था मातृ और शिशु मृत्यु दर को कम करने की दिशा में अच्छी पहल है। इससे ना सिर्फ सुरक्षित प्रसव होगा, बल्कि शिशु-मृत्यु दर पर विराम लगेगा। इसके साथ ही जच्चा-बच्चा दोनों को अनावश्यक परेशानियाँ का सामना नहीं करना पड़ेगा।