दरभंगा। ल०ना०मि०वि०,दरभंगा मुख्यालय पर संबद्ध महाविद्यालय संघर्ष समिति द्वारा अपनी मांगों को लेकर संघर्ष समिति के अध्यक्ष सह जदयू शिक्षा प्रकोष्ठ के प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ राम मोहन झा की अध्यक्षता में विशाल धरना तथा प्रदर्शन किया गया।

महाधरना प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए डॉ झा ने कहा कि हम अपनी दो सूत्री मांगों प्रथम विश्वविद्यालय अंतर्गत सभी संबद्ध महाविद्यालयों के शासी निकाय द्वारा विश्वविद्यालय के पत्र के आलोक में तृतीय तथा चतुर्थ वर्गीय कर्मचारियों के पद को अनुमोदन कर विश्वविद्यालय भेजा जा चुका है परन्तु विश्वविद्यालय द्वारा अभी तक पद सृजन की प्रक्रिया नहीं की गई है उन सभी पदों को अविलंब सृजित करने एवं द्वितीय विश्वविद्यालय अन्तर्गत सभी संबद्ध महाविद्यालयों के शासी निकाय द्वारा चयन समिति हो चुके सहायक प्राध्यापकों का पद के साथ अनुमोदन कर विश्वविद्यालय भेजा जा चुका है उन्हें अविलंब विश्वविद्यालय द्वारा अनुमोदित कर अधिसूचना जारी कर बिहार सरकार के उच्च शिक्षा विभाग को भेजते तथा उच्च शिक्षा विभाग के पोर्टल पर देते हुए संबंधित महाविद्यालयों को भेजा जाए।

इन दोनों मांगों को लेकर दिनांक 07.07.21 से अनवरत आंदोलन चलाया जा रहा है और कई बार स्मार पत्र भी दिया गया परन्तु एक साल से विश्वविद्यालय प्रशासन यही कहता आ रहा है कि हम दोनों मांगों का समर्थन करते हैं तथा जल्द दोनों मांगों पर आवश्यक कार्रवाई करेंगे। हद तो तब हो गई जब 20.12.21 को दोनों मांगों को लेकर दिनांक 13.01.22 को ल०ना० मिथिला विश्वविद्यालय में आयोजित सिनेट के घेराव की सूचना उपलब्ध कराई गई तो कुलपति ने कुलानुशासक प्रो अजय नाथ झा को पत्र के साथ भेजा कि विश्वविद्यालय प्रशासन दोनों मांगों को मानेगी सिनेट बैठक के पश्चात इस पर निर्णय लिया जाएगा। दिनांक 24.01.22 को कुलसचिव सहित विश्वविद्यालय के सभी पदाधिकारियों के साथ बैठक कर कहा कि इन दोनों मांगों पर एक माह के भीतर निर्णय ले लिया जाएगा परन्तु पांच माह बाद भी निर्णय नहीं लिया गया। मजबूरन महाधरना/प्रदर्शन का निर्णय लेना पड़ा।

डॉ झा ने कहा कि आज पूरे देश में मिथिला विश्वविद्यालय का साख गिर गया है जहां कुलपति बोलते कुछ और करते कुछ और हैं। विश्वविद्यालय के सिनेट बैठक में करोड़ों रुपए का अवैध रूप से बजट पास करा लिया गया है। पूरा विश्वविद्यालय लूट-खसोट का अड्डा बन चुका है। यदि 30 मई तक इन दोनों मांगों पर निर्णय नहीं लिया गया तो अनवरत आंदोलन प्रारंभ किया जाएगा जिसकी जबाबदेही विश्वविद्यालय प्रशासन पर होगी।

मिथिला राज्य निर्माण सेना के महासचिव राजेश कुमार झा ने कहा कि समान कि समान काम के समान वेतन होना चाहिए एवं मिथिला विश्वविद्यालय में मिथिला क्षेत्र के ही शिक्षाविद् को कुलपति के रूप में नियुक्ति होनी चाहिए।

स्नातक क्षेत्र से विधानपरिषद के उम्मीदवार रहे श्री रजनीकांत पाठक ने कहा कि सरकार ने जब 2008 में वित्तरहित शिक्षा को समाप्त तो कर दिया लेकिन वर्षों से अनुदान भी समय पर नहीं दे रही है तथा विश्वविद्यालय भी संबद्ध महाविद्यालयों की मांगों को नहीं मान रही है। यदि विश्वविद्यालय ने इन मांगों को नहीं माना तो अनवरत आंदोलन चलाया जाएगा साथ ही विश्वविद्यालय पदाधिकारियों को चेताया कि जल्द ही सत्ता परिवर्तन होने वाला है सत्ता परिवर्तन के पश्चात भ्रष्ट अधिकारियों का जेल जाना तय है।

विधानपरिषद सदस्य डा मदन मोहन झा ने कहा कि संबद्ध महाविद्यालयों की समस्या जैसे एक मुस्त अनुदान, घाटा अनुदान के बारे में कई बार विधानपरिषद में उठाया हूं। विधानपरिषद में कमिटी भी बनी एक मुस्त अनुदान एवं घाटा अनुदान के बारे में सहमति भी बनी परन्तु सरकार के उदासीनता के कारण कोई परिणाम नहीं निकला। उन्होंने कहा कि मैं संबद्ध महाविद्यालयों के कर्मियों की मांगों का समर्थन करता हूं एवं उनकी समस्या के लिए विश्वविद्यालय से सदन तक आवाज उठाता रहूंगा।

धरना के पश्चात एक प्रतिनिधिमंडल विधानपार्षद डॉ मदन मोहन झा के नेतृत्व में कुलपति/कुलसचिव से मिला। प्रतिनिधिमंडल में रजनीकांत पाठक, संबद्ध महाविद्यालय संघर्ष समिति के अध्यक्ष डॉ राम मोहन झा, प्रवक्ता प्रोफेसर ज्योति रमण झा, प्रो अभय कुमार, सीनेट सदस्य डॉ राम सुभग चौधरी, प्रो हरिनारायण सिंह, प्रो प्रभात कुमार, रंजीत झा, पुरूषोत्तम झा, प्रो शशांक शेखर, डॉ लक्ष्मणेश्वर प्रसाद सिंह शामिल थे।

कुलपति एवं कुलसचिव ने प्रतिनिधिमंडल से कहा कि एक पत्र प्रत्येक महाविद्यालय को तत्काल भेजा जा रहा है जिसमें सभी महाविद्यालयों को दस दिनों के भीतर वांछित सूचना उपलब्ध कराने को कहा जा रहा है। वांछित सूचना मिलने के पश्चात अग्रेत्तर कार्रवाई की जाएगी।