दरभंगा। पमिथिला के सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, राजनैतिक, शैक्षणिक, साहित्यिक और भाषा के क्षेत्र में समग्र विकास के लिए पृथक मिथिला राज्य का गठन निहायत जरूरी है। ये बातें विद्यापति सेवा संस्थान के महासचिव डा बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने शुक्रवार को सहसराम, महवा एवं परड़ी गांवों में मिथिला विभूति पर्व के स्वर्ण जयंती समारोह, अमेरिका में आयोजित होने वाले 20वें अंतरराष्ट्रीय मैथिली सम्मेलन और पृथक मिथिला राज्य के गठन के लिए जन संपर्क अभियान की शुरुआत करते हुए कही।
उन्होंने कहा कि सांस्कृतिक संपन्नता के लिए दुनिया भर में विख्यात मिथिला आज सरकारी अपेक्षाओं के कारण लगातार आर्थिक पिछड़ेपन का शिकार होने को मजबूर हो रहा है । नतीजा है कि जिस क्षेत्र के गांव-गांव में कभी शिक्षा का केंद्र हुआ करता था, आज वहां के छात्र पलायन को मजबूर हो रहे हैं।
डा बैजू ने कहा कि मिथिला के मजदूर आज भी पलायन करने को विवश हो रहे हैं। रोजगार के अभाव का दंश झेलने के लिए भी यह क्षेत्र कम मजबूर नहीं हो रहा। चीनी मिल, पेपर मिल, जूट मिल आदि यहां कबार का ढेर मात्र बने हुए हैं। मिथिला की प्रतिभा रोटी के लिए विभिन्न प्रदेशों में मजदूरी करने को विवश है।
उन्होंने मिथिला विभूति पर्व के स्वर्ण जयंती समारोह, अमेरिका में आयोजित होने वाले 20वें अंतरराष्ट्रीय मैथिली सम्मेलन में भाग लेने का न्योता देते कहा कि भाषा-साहित्य का विकास संरक्षण के अभाव में प्रभावित हो रहा है। मैथिली के प्रति सरकारी स्तर पर षड्यंत्र चल रहा है। इसमें इन मुद्दों पर जनमत तैयार किया जाएगा।
मौके पर परड़ी पंचायत के पूर्व मुखिया धीरेंद्र ठाकुर ने कहा कि कोई भी भाषा क्षेत्र विशेष की होती है, ना कि किसी जाति विशेष की। इसलिए भाषा को लेकर बिना किसी के बहकावे में आए उन्होंने लोगों से जनगणना में मातृभाषा के रूप में मैथिली भाषा का विकल्प चुनने का अनुरोध आम मैथिली भाषी लोगों से किया।
यूवा अभियानी पुरूषोत्तम वत्स ने जनगणना में मातृभाषा के महत्व को रेखांकित करते कहा कि मातृभाषा केवल ज्ञान प्राप्ति ही नहीं, बल्कि मानवाधिकार संरक्षण, सुशासन, शांति-निर्माण, सामंजस्य और सतत विकास के हेतु एक आधारभूत अर्हता है।
चंदन ठाकुर ने कहा कि सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक विकास के साथ-साथ शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व और समाजिक सामंजस्य में मातृभाषा खास महत्व रखती है। जन संपर्क अभियान में संतोष ठाकुर, अतुल कुमार ठाकुर, रजनीश सुंदरम, विद्याभूषण राय आदि भी शामिल थे।