दरभंगा से,,,पत्रकार,,,राजू सिंह कि रिपोर्ट दरभंगा से ।

विद्यापतिनगर और पातेपुर में कर्ज और भूख से हुई मौतों का जवाब दो।

महाजनी, माइक्रो फाइनेंस, केसीसी सहित 5 लाख तक के तमाम सरकारी कर्ज माफ करो।

महाजनी सूदखोरी पर रोक लगाओ।

गैर इनकम टैक्स दाता परिवारों को प्रति महीना 7500 रु नगद भुगतान की व्यवस्था करो।
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दरभंगा,11.06.2021 भाकपा(माले), खेग्रामस, स्वयं सहायता समूह संघर्ष समिति (ऐपवा) के बिहार राज्यव्यापी आह्वान पर विरोध जुलूस निकालकर कर कर्जा मुक्ति दिवस मनाया गया। भाकपा माले जिला सचिव बैद्यनाथ यादव, वरिष्ट नेता आर के सहनी, नंदलाल ठाकुर व साधना शर्मा के नेतृत्व में सैकड़ों लोगों का जुलूस लहेरियासराय क्लब से शुरू होकर आयुक्त कार्यालय,पुलिस महानिदेशक कार्यालय, एसएसपी ऑफिस, समाहरणालय,सिविल कोर्ट,रजिस्ट्री कार्यालय,टावर होते हुए पुनः तीन वटिया पर आकर सभा में तब्दील हो गया।

सभा स्थल पर नगर सचिव सदीक भारती के अध्यक्षता में सभा को सम्बोधित करते हुए भाकपा माले के वरिष्ट नेता आर के सहनी ने कहा कि बिहार में डबल इंजन की सरकार लोगों की अपेक्षा पर खड़े नहीं उतर पा रहे हैं।आम जनमानस की समस्या-जरूरत की बात करने की बजाय लंबी-लम्बी सडक़ व पुल बनाने में व्यस्त है। आज बिहार की जनता गरीबी, भुखमरी, बेरोजगारी व कर्ज तले तब कर अपनी जान दे रहे हैं।

आप सभी जानते हैं कि वैशाली जिला के पातेपुर प्रखंड के लोचनपुर सुक्की गांव में, 19 मई 2022 को रंजीत सहनी के परिवार के 5 सदस्य ,सरकारी उपेक्षा औरआर्थिक तंगी के कारण जहर खाकर आत्महत्या कर ली है, जहर रंजीत साहनी ने भी खाया था, लेकिन इलाज के दौरान बच गए, इस परिवार के पास राशन कार्ड नहीं था, रंजीत साहनी के 68 वर्षीय पिता को वृद्धावस्था पेंशन भी नहीं मिलता था, जमीन सहित जीविकोपार्जन का कोई संसाधन इस परिवार के पास नहीं था, मनरेगा में रंजीत सहनी को कभी काम भी नहीं मिला, भुखमरी और कर्ज के तगादा से अजीज होकर इस परिवार में सामूहिक रूप से आत्महत्या कर लिया।
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भाकपा माले की टीम उस गांव में जाकर पीड़ित परिवार से 20 मई को मिला, सबसे पहले अखबारों में बयान दिया और प्रखंड मुख्यालय पर धरना प्रदर्शन भी किया गया ,इसके बाद राजद के नेता लोग भी गए, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय पीड़ित परिवार से मिलकर राशन कार्ड और प्रधानमंत्री आवास योजना से घर, रंजीत साहनी के 68 वर्षीय पिता को वृद्धावस्था पेंशन दिलवाने का आश्वासन देकर लौट आए।सहनी ने बिहार की गरीब-गुरबों से आह्वाहन किया है कि इस त्रासदी के खिलाफ एकजुट होकर कड़ा संघर्ष करें।

उन्होंने सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि समस्तीपुर के मऊ विद्यापतिनगर की हृदयविदारक घटना ने पूरे राज्य को झकझोर दिया है।महाजनी-माइक्रो फाइनेंस के बोझ तले बिहार की एक बड़ी आबादी कराह रही है।

मऊ विद्यापतिनगर के उस गांव में सन्नाटा पसरा था।उस परिवार की एक डेढ़ साल की आपबीती जो हमलोगों ने उनकी बड़ी बेटी और दामाद से सुना तो लगा कि हमलोग सचमुच जंगलराज़ में जी रहे हैं जहां न्याय की पुकार सुनने वाला कोई तन्त्र नही बचा है।सूदखोरों ने जीना हराम कर दिया था।गैस और गैस चूल्हा उठाकर ले गया।खाने के समय मनोज झा की थाली छीन ली जाती थी,फेंक दी जाती थी।सूदखोरों के दबाव में कोरोना काल में छोटा पिक अप बेचने को मजबूर किया गया।पुराना टेम्पो चलाना और गांव के मंदिर पर खैनी बेचना 5-6लोगों के परिवार का जीने का साधन था। उसे दबाव बनाकर टेम्पो बेचने को बाध्य किया गया।
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सूदखोर का दबाव”पृथ्वी ते पात्रम” दो कट्ठे जमीन ले लेने की थी।कागज़ तो पहले ही अपने कब्जे में ले ली थी।सबलोग इस बात को जानते थे,लेकिन किसी ने कोई पहल नही की।शिकायत दर्ज करने पहुंची लकवाग्रस्त मनोज की मां को थाने से भगा दिया गया।स्वयं सहायता समूह की महिलाएं भी रोज़ आ धमकती थी।कम्पनी का दबाव था,लोन रिकवर करने की!
हमारी टीम में शरीक शशि यादव व बन्दना टूटे फूटे और बिखरे घर में जब शोकाकुल महिलाओं से मिल रही थीं तो विद्यापति की ओ आह एकबार फिर उदघाटित हो रहा था,”कखन हरब दुख मोर हे भोले बाबा,दुखहिं जनम लेल दुखहिं गमाओल;सुख संपनहुँ नहि भेल!

मस्जिदों में शिवलिंग ढूंढने वालों को इस परिवार की व्यथा से जरूर जुड़ना चाहिए!एक परिवार तो व्यवस्था जनित तन्त्र जनित अमानवीय होती दुनिया का शिकार हो गया!कोई और परिवार इसका शिकार नही हो,इसके लिये जरूरी है कि सरकार ठोस नीतिगत निर्णय के साथ सामने आए और अमानवीय प्रताड़ना में शरीक शोषकों पर त्वरित कार्रवाई हो क्योंकि गांव गांव में ऐसी अनहोनी घटनाओं के जाल बिखरे पड़े हैं।

सभा को विनोद सिंह, अवधेश सिंह, कामेश्वर पासवान, विजय महासेठ, मोहन पासवान, हीरा पासवान, रविन्द्र ठाकुर, राजू कर्ण,सविता देवी, गंगा मंडल आदि ने संबोधित किया। सभी प्रदर्शनकारियों ने वक्त मांग पर संकल्प दुहराया।