*युवा वर्ग नशा से कैसे बचें? विषयक संगोष्ठी में देश के विभिन्न भागों से 70 से अधिक व्यक्तियों की हुई सहभागिता*

*नशापान रोकने हेतु अभिभावक अपने बच्चों को बचपन से ही अच्छे- बुरे की व्यावहारिक सीख दें- डा शंभू शरण*

*निरंतर योगाभ्यास, दृढ़ इच्छा शक्ति तथा सुसंगति से नशापान से मुक्ति संभव- आर बी ठाकुर*

*युवाओं में नशापान की लत दिनानुदिन बढ़ना समाज के लिए खतरनाक एवं हमारे लिए चिंतनीय- प्रो कमलेश*

*योग हमारा सर्वोत्तम जीवनशैली जो नशामुक्त और स्वस्थ जीवन जीने के लिए आवश्यक- डा चौरसिया*

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर इग्नू द्वारा संपूर्ण भारत में मनाए जा रहे योग महोत्सव के तहत इग्नू क्षेत्रीय केन्द्र, दरभंगा तथा इसके अंतर्गत 10 जिलों के इग्नू विद्यार्थी सहायता केन्द्रों के संयुक्त तत्वावधान में युवा वर्ग नशा से कैसे बचें? विषयक ऑनलाइन राष्ट्रीय सेमिनार आयोजित किया गया। इग्नू, दरभंगा के क्षेत्रीय निदेशक डा शंभू शरण सिंह की अध्यक्षता में आयोजित संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में योगगुरु आर बी ठाकुर, विशिष्ट अतिथि योगाचार्य रोशन उपाध्याय, प्रो कमलेश कुमार, सहायक निर्देशक डा राजीव कुमार, डा आर एन चौरसिया, सहायक कुलसचिव राजेश कुमार शर्मा, डा अनिल कुमार, डा हेमामालिनी, डा रागिनी, तथागत बनर्जी, डा शिशिर कुमार झा, संजीव कुमार, प्रो सैयद अपशाह, प्रभा शंकर सिंह, शैलेंद्रनाथ तिवारी, अमरजीत, उज्ज्वल, सुरेंद्र, शशि शेखर, कस्तूरी, जगमोहन, ललन, मोहित लाल, मृगेंद्र, राजीव, पल्लवी, मुकेश, मदन मोहन, ई रत्नेश सिंह व मोहन लाल सहित 70 से अधिक व्यक्तियों ने भाग लिया।

अपने संबोधन में डा शंभू शरण सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020 में युवाओं पर विशेष ध्यान दिया गया है, ताकि उनमें आदर्श चरित्र, राष्ट्रीय तथा समाजसेवा आदि की भावना का समुचित विकास हो सके। नशापान युवा पीढ़ी को बर्बाद कर रहा है, जिससे वे दिग्भ्रमित भी हो रहे हैं। युवा दूसरे से प्रभावित हो अपना कर्तव्यबोध भूलकर किसी दबाव या डिप्रेशन में नशापान करते हैं, जिससे उन्हें सही- गलत का ध्यान नहीं रह पाता।

उन्होंने अभिभावकों से अपने बच्चों को बचपन से ही अच्छे- बुरे की व्यावहारिक सीख देने की अपील करते हुए कहा कि सही परवरिश, काउंसलिंग, योगाभ्यास, धार्मिक, सामाजिक व शैक्षणिक रूप से युवा को सक्रिय रखकर उन्हें नशापान से रोका जा सकता है। आज समाज को नशापान से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास की जरूरत है।

योगगुरु आर बी ठाकुर ने कहा कि निरंतर योगाभ्यास, दृढ़ इच्छाशक्ति तथा सुसंगति से नशापान से मुक्ति संभव है। योग हमें सकारात्मक बनाता है, परंतु नशापान अपराधी प्रवृत्ति को बढ़ाता है। नशापान सामाजिक व्यवस्था, स्वास्थ्य के साथ ही आर्थिक स्थिति को भी खराब करता है।

नशाखोरी एक सामाजिक अभिशाप है जो युवाओं के साथ ही पूरे समाज को खोखला कर रहा है। आज तंबाकू सेवन से 30% मुख कैंसर तथा 25 से अधिक रोग उत्पन्न होते हैं। भारत में प्रतिवर्ष 10 लाख मोतें तंबाकू सेवन से होती हैं, जिसके नियंत्रण में योग की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है।

योगाचार्य रोशन उपाध्याय ने आसन एवं प्राणायाम की महत्ता बताते हुए सूर्य नमस्कार, जलनेति, मंडूकासन, शशांकासन, अनुलोम- विलोम तथा भ्रामरी आदि का अभ्यास कराया।
इग्नू के सहायक निदेशक डा राजीव कुमार के सफल संचालन में आयोजित संगोष्ठी में अतिथियों का स्वागत एवं विषय प्रवेश कराते हुए जी डी कॉलेज, बेगूसराय के इग्नू समन्वयक प्रो कमलेश कुमार ने कहा कि अनियंत्रित मन को योग के माध्यम से नियंत्रित किया जा सकता है, जिससे मन- मस्तिष्क में सृजनात्मक एवं सकारात्मक विचारों का उदय संभव है। उन्होंने युवाओं में नशापान की लत दिनानुदिन बढ़ने को समाज के लिए खतरनाक तथा बुद्धिजीवियों के लिए चिंतनीय बताते हुए कहा कि योग नशामुक्त एवं दृढ़ संकल्पित युवा जीवन के निर्माण हेतु सर्वाधिक महत्वपूर्ण है।

संगोष्ठी का सारतत्व एवं धन्यवाद ज्ञापन करते हुए सेमिनार के आयोजन सचिव एवं सी एम कॉलेज, दरभंगा के इग्नू समन्वयक डा आर एन चौरसिया ने कहा कि योग हमारा सर्वोत्तम जीवन शैली है, जिसका अभ्यास नशामुक्त एवं स्वस्थ जीवन जीने के लिए आवश्यक है। योग केवल कला ही नहीं, बल्कि वास्तविक विज्ञान भी है। इसकी वर्तमान भागम- दौर एवं प्रतिस्पर्धी युग में सर्वाधिक महत्ता है। योग से न केवल नशामुक्त समाज का निर्माण संभव है, बल्कि मोटापा, ब्लडप्रेशर, डायबिटीज, तनाव सहित अनेक रोगों का भी निदान हो सकता है।