विदेशी छात्राओं ने किया बीसा,पूसा का आज दौरा किया एवं फसल प्रणाली और विविधीकरण की जानकारी ली।संयुक्त राज्य अमेरिका की दो छात्राओं ने बिहार में फसल प्रणाली गहनता और फसल विविधता के बारे में अधिक जानकारी के लिए बीसा पूसा, फार्म का आज दौरा किया।

इस दौरान उन्होंने डॉ. राजकुमार जाट, वैज्ञानिक एवं बीसा, पूसा प्रभारी के साथ भी बातचीत की और फार्म में लगे मक्का और मूंग की फसलों को भी देखा .

डॉ. राजकुमार जाट ने पीएचडी छात्रा – कियारा क्रॉली, कॉर्नेल विश्वविद्यालय – और स्नातक के छात्रा ऋषिका जेराथ, जॉर्ज टाउन विश्वविद्यालय- को फार्म में इस्तेमाल की जाने वाली तकनीकों की जानकारी दी। उन्होंने ये भी बताया की किस प्रकार बीसा, बिहार सरकार एवं अन्य संस्थानों के साथ जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम को किसानों तक पहुचा रहे है. इस दौरान डॉ.अजय अनुराग और डॉ. पंकज कुमार, सिमिट वैज्ञानिक भी उपस्थित थे।

दोनों छात्राएं यह जानकर बहुत प्रभावित हुए कि फसल प्रणाली, फसल विविधता और नई तकनीकों को अपना कर बिहार के किसान अपनी आजीविका में निरंतर सुधार ला रहे है !

छात्रों ने जीरो टिलेज और मेढ़ विधि (रेज्ड बेड टेक्नोलॉजीज) के बारे में भी जानकारी ली । मेढ़ विधि को अपनाने के बाद बिहार में मक्का की उत्पादकता बढ़ी है। मानसून और सर्दी के मौसम में क्रमशः अधिक और सीमित पानी की उपलब्धता की स्थिति में मक्का की खेती के लिए मेढ़ विधि को सबसे अच्छा तरीका माना जाता है।

कॉर्नेल विश्वविद्यालय के छात्रा ने बताया के मैं अगली बार फिर बिहार का दौरा करना चाहूंगी , मुझे ये जानकर आश्चर्य हुआ की इस राज्ये में बाढ़ के भारी प्रभाव के बाद भी किसान यहाँ खेती कर रहे है और अपनी आजीविका के साथ साथ अपने परिवार का भी ख्याल रख रहे है।