• वित्तीय 21-22 वर्ष में 5000 से अधिक सदर अस्पताल में हुआ प्रसव
•सदर अस्पताल में सिजेरियन प्रसव सम्बंधित आधारभूत संरचना हुई मजबूत मिल रही बेहतर सुबिधा
•उच्च जोखिम में सावधानी बहुत जरूरी
मधुबनी/22 जून प्रसव के दौरान के जटिलताओं के कारण कई माताओं को जान गंवानी पड़ती है. इस विषय पर स्वास्थ्य विभाग निरंतर कार्य कर रहा है. सदर अस्पताल में संस्थागत प्रसव के साथ-साथ सी- सेक्शन ( सिजेरियन प्रसव) की बेहतर सुविधा उपलब्ध है.
विदित हो कि सदर अस्पताल का प्रसव कक्ष लक्ष्य प्रमाणित है. जहां पहले लोगों को सिजेरियन प्रसव के लिए प्राइवेट नर्सिंग होम पर निर्भर होना पड़ता था तथा ज्यादा पैसा खर्च करना पड़ता था. लेकिन सदर अस्पताल में संस्थागत प्रसव के साथ-साथ सी-सेक्शन प्रसव की भी समुचित व्यवस्था उपलब्ध है.
आंकड़ों की बात करें तो वित्तीय वर्ष 2021- 22 तक 5040 प्रसव कराए गए जिसमें 319 सी- सेक्शन प्रसव के आंकड़े भी शामिल है. वहीं वर्ष 2020 -21 में 6138 सदर अस्पताल में प्रसव कराए गए जिसमें 263 सी -सेक्शन प्रसव ( सिजेरियन प्रसव) सफलतापूर्वक सदर अस्पताल में कराए गए हैं.
सिविल सर्जन डॉ सुनील कुमार झा ने बताया प्रसव के दौरान अगर प्रसूता को रक्त की समस्या होती है तो रक्त कोष बैंक से नि:शुल्क ब्लड ट्रांसफ्यूजन की व्यवस्था होती है साथ ही अगर प्रसव के पूर्व महिला एनेमिक है तो वैसे महिलाओं को चिन्हित कर नि:शुल्क आयरन सुक्रोज इंजेक्शन की व्यवस्था सदर अस्पताल में उपलब्ध है. साथ ही सभी गर्भवती महिलाओं को 180 आयरन व 180 कैल्शियम की टेबलेट दी जाती है.
सदर अस्पताल का प्रसव कक्ष लक्ष्य सर्टिफाइड :
जिला कार्यक्रम प्रबंधक दया शंकर निधि ने बताया हम लोगों ने सिजेरियन का प्रसव का व्यवस्था किया है लेकिन साथ-साथ लेबर रूम भी लक्ष्य सर्टिफाइड है यह जो संभव हुआ है यह लक्ष्य सर्टिफिकेट के बाद हुआ है हमारे पास प्रसव कक्ष में जितने मानक होने चाहिए सभी उपलब्ध हैं ऑपरेशन थिएटर को आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित बनाया गया है जो किसी भी निजी अस्पताल से तुलना किया जाए तो कम नहीं है हम आश्वस्त हैं कि गुणवत्तापूर्ण चिकित्सिय सुविधा लोगों को उपलब्ध करवा रहे हैं हम लोगों से अपील करते हैं कि सरकार जो इतना खर्चा करती है उसका आम लोग जरूर लाभ लें.
उच्च जोखिम में सावधानी बहुत जरूरी:
सिविल सर्जन डॉ. सुनील कुमार झा ने बताया अस्पताल में पंजीयन कराने वाली गर्भवती महिलाओं का प्रसव पूर्व जांच के दौरान ही जोखिम का पता लगाया जाता है जोखिम कई तरह की हो सकती है उन्हें पहचान कर शुरुआत से ही उनका उसी आधार पर उपचार हुआ चिकित्सीय सलाह दिया जाता है बताया उच्च जोखिम वाली गर्भावस्था वह अवस्था है, जिसमें महिला या उसके भ्रूण के स्वास्थ्य या जीवन को खतरा होता है।
किसी भी गर्भावस्था में जहां जटिलताओं को संभावना अधिक होती है, उस गर्भावस्था को हाई रिस्क प्रेग्नेंसी या उच्च जोखिम वाली गर्भावस्था में रखा जाता है। इस तरह की गर्भावस्था को प्रशिक्षित चिकित्सक की विशिष्ट देखभाल की आवश्यकता होती है। खानपान की रूटीन का पालन करना जरूरी है। डाइट में विटामिन को जरूर शामिल करें । जिससे कि डाइट लेने में किसी प्रकार की समस्या ना हो । ऐसे में तेल, घी और मसालेदार खाने से परहेज करने की सलाह दी जाती है।
जननी बाल सुरक्षा योजना के आर्थिक लाभ:
सिविल सर्जन डॉ सुनील कुमार झा ने बताया जननी बाल सुरक्षा योजना के तहत ग्रामीण एवं शहरी दोनों प्रकार की गर्भवती महिलाओं को सरकारी अस्पताल में प्रसव कराने के बाद अलग-अलग प्रोत्साहन राशि सरकार द्वारा प्रदान की जाती है। जिसमें ग्रामीण इलाके की गर्भवती महिलाओं को 1400 रुपये एवं शहरी क्षेत्र की महिलाओं को 1000 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाती है।
साथ ही इस योजना के तहत गर्भवती महिलाओं को प्रसव के लिए सरकारी अस्पतालों पर संदर्भित करने के लिए आशा कार्यकर्ता को भी प्रोत्साहन राशि देने का प्रावधान है। जिसमें प्रति प्रसव ग्रामीण क्षेत्रों में आशा को 600 रुपये .एवं शहरी क्षेत्रों के लिए आशा को 400 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाती है। इस योजना के तहत संस्थागत प्रसव पर आम लोगों के बीच जागरूकता बढ़ रही है।