लुटेरों से सावधान – दरभंगा शहर में सोने के जेवर पहन कर ना निकलें महिलाएं।
#MNN@24X7 दरभंगा: एक तरफ जहां सरकार महिला सशक्तिकरण और महिला सुरक्षा की बातें करती नजर आ रही है। साथ ही उनको लेकर तमाम दावे भी करती है। वही दरभंगा शहर में इन दिनों महिलाएं सोने के जेवरात पहन कर घर से निकलने से कतरा रही हैं। क्योकिं शहर में रोजाना कहीं ना कहीं महिलाएं लूट की शिकार हो रही है।
बाइक पर आए बदमाश पल भर में महिलाओं से सोने के चेन,ईयररिंग, कंगन लूट भाग जा रहे है। इस कारण महिलाएं अब सोने के गहने पहन घर से बाहर निकलने से कतरा रही है। कुछ मामलों में ऐसा लगता है कि जैसे पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी हो। ऐसा पूरी स्थानीय जनता दबी जुबान कह रही है। साथ ही उनका ऐसा भी मानना है कि दरभंगा पुलिस अपराधियों के सामने या तो नतमस्तक है या फिर नाकाम साबित हो रही है।
इन सभी घटनाओं से शहर के लोगों में डर का माहौल बना हुआ है। कई बार तो अपराधियों ने चलती बाईक या स्कूटी पर महिलाओं से छिनतई की घटना को अंजाम दिया है। कई बार स्कूटी से गिर महिलाएं घायल भी हुई है. सभी मामलों में पुलिस केस तो दर्ज कर ले रही है। लेकिन अपराधियों को पकड़ने की दिशा में पुलिस कोई उचित पहल करते नहीं दिख रही है। नजीता ये है कि शहर में अपराधियों के हौसले सांतवें आसमान पर हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार शनिवार को विश्वविद्यालय थाना क्षेत्र के रामबाग कंकाली मंदिर के पास रहने वाले विशंभर झा की पत्नी उषा झा से आभूषण लूट की घटना हो गई। इस घटना में बाइक पर सवार दो अपराधियों ने महिला से सोने का चेन लूट लिया था। इस घटना में महिला अपने घर के पास ही संस्कृत इंटरनेशनल स्कूल अपने नाती को स्कूल छोड़ने आई थी। इसी बीच घर लौटने के उपरांत उनसे लूट हुई है। इस घटना को लेकर पीड़ित महिला ने थाने में एक एफआइआर भी दर्ज करवाई है। अब देखना ये है कि पुलिस इस मामले में भी अपराधियों को पकड़ पाती है या नहीं।
इस घटना के अतिरिक्त अगर हम एक अन्य घटना बारे में अगर हम बात करें तो भटियारीसराय दोनार मुख्य रास्ते पर कुछ दिन पूर्व चार अपराधियों ने खुद को पुलिसकर्मी बताकर एक महिला से उनके सारे जेवरात उतरवाकर रफूचक्कर हो गए और पुलिस अब भी उनको पकड़ने में नाकाम साबित हो रही है। जबकि पूरा मामला सीसीटीवी कैमरे के सामने घटित हुआ था। इस मामले के बारे में सुन कर तो एक समय ऐसा लगा की क्या महिलाएं अब अपराधी और पुलिसकर्मी में फर्क नहीं कर पा रहीं? या किस डर से वह कुछ बोल नहीं पाईं या सवाल नहीं उठा पायी।
इस घटना की तह में जाकर जब हमने यह जानने की कोशिश की तो अधिकांश मामलों में अपराधी ऐसे समय का ही चुनाव क्यों करते हैं। उसका एक मुख्य कारण यह भी नजर आया कि सुबह 10:00 बजे से पूर्व थाने पर सभी पुलिसकर्मी पूरी तरह से तैयार नहीं होते अगर कोई उनके पास तुरंत घटित मामले को लेकर जाता भी है तो वह तुरंत कार्रवाई नहीं कर पाते हैं। साथ ही अपराधी जितने भी घटनाक्रम कर रहे हैं वह बस स्टैंड या फिर रेलवे स्टेशन के आसपास। जिससे कि उनको अपराध करके शहर छोड़ने में आसानी होती है और शहर के पुलिसकर्मी शहर में ही घूमते रह जाओगे वाली स्थिति में आ जाते हैं।