•बीमारी को महामारी का रूप लेने से रोकेगा ‘आईएचआईपी’
•आईएचआईपी से मरीजों का रिकॉर्ड रखेगा स्वास्थ्य विभाग
मधुबनी/19 दिसंबर : जिले मे इंटीग्रेटेड हेल्थ इंफोरमेशन प्लेटफार्म (आईएचआईपी)को लेकर जिले के विभिन्न प्रखंड के एएनएम एवं फरमासिस्ट को सदर अस्पताल के एएनएम सभागार में प्रशिक्षण दिया गया. प्रशिक्षण के दौरान आईडीएससी कार्यक्रम के अंतर्गत फॉर्म पी एवं फॉर्म एस के बारे में जानकारी दी गई.
एसीएमओ डॉ आर के सिंह ने बताया संचारी रोग जो समाज में एक व्यक्ति से दूसरे में फैल सकता है जैसे डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया, डायरिया, खांसी, बुखार, दाने वाले मरीज (महामारी फैलने वाली बीमारी ) का एचएससी एवं पीएससी से आईएचआईपी पोर्टल पर रिपोर्टिंग करना बीमारियों पर निगरानी रखना ससमय स्वास्थ्य प्रणाली को सूचना देना क्वालिटी के साथ-साथ डाटा का रिपोर्ट करना सिखाया गया ताकि ससमय किसी महामारी पर काबू पाया जा सके। इन सभी बीमारियों का रिपोर्टिंग एएनएम प्रत्येक दिन अनमोल टैब से पीएससी एपीएचसी स्तर से ऑनलाइन आईआईएएचपी पोर्टल पर रियल टाइम रिपोर्टिंग करने का निर्देश दिया गया.
एसीएमओ डॉ आर के सिंह ने बताया स्वास्थ्य विभाग ने जिले के किसी भी गांव व शहर में बीमारियों का पता तत्काल लगाने के लिए इंटीग्रेटेड हेल्थ इंफॉर्मेशन प्लेटफॉर्म पोर्टल की शुरुआत पिछले वर्ष 1अप्रैल को की थी।इस प्लेटफार्म पर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों की आशा, एएनएम संबंधित इलाके में बढ़ने वाली बीमारियों का आंकड़ा सीधे पोर्टल पर अपलोड करेंगी। इसके जरिए प्रदेश व केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग को उसके निवारण के लिए गंभीर कदम उठाने में सहूलियत होगी।
आईडीएसपी एपिडेमियोलॉजिस्ट अनिल चक्रवर्ती ने बताया कि पहले जिले के अलग-अलग इलाकों में बीमारियों के लक्षण की पुष्टि होने पर मैनुअल डाटा स्वास्थ्य विभाग को भेजा जा रहा था। बीमारियों का आंकड़ा जिला, प्रदेश सरकार व केंद्रीय हेल्थ विभाग तक पहुंचने में करीब एक महीने का वक्त लगता था।ऐसे में संबंधित इलाके में बीमारियों के प्रकोप को नियंत्रित करने के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से गंभीर कदम उठाने में देर हो जाती थी।
इसको ध्यान में रखते हुए देश भर में एक अप्रैल से इंटीग्रेटेड हेल्थ इंफॉर्मेशन प्लैटफॉर्म पोर्टल को पिछले वर्ष लांच था। आशा, एएनएम मरीजों में होने वाली बीमारियों की जानकारी पोर्टल पर अपलोड करेंगी। एएनएम घर-घर जाकर डाटा एकत्रित करेंगी। यह डाटा आईएचआईपी पर अपलोड किया जाएगा। जिले के सभी सरकारी अस्पताल इससे जुड़े होंगे। जैसे ही किसी व्यक्ति का कहीं इलाज होगा, उसका पूरा ब्योरा आईएचआईपी पर दिखने लगेगा।
तुरंत मिलेगी सूचना:
इस एप के जरिए आशा, एएनएम आदि को तुरंत ही मिलने वाले सभी मरीजों का डाटा ऑनलाइन फीड करना होगा। यही नहीं अगर गांव में किसी दूसरी बीमारी के मरीज भी मिलते हैं तो उनकी जानकारी भी इस एप तुरंत अपलोड करनी होती है । जितने लोग पीडि़त होंगे, उनकी संख्या ऐप पर उसी समय फीड करनी होगी। वहीं रियल टाइम लोकेशन भी फीड करनी होगी। मरीजों की संख्या फीड होते ही पीएचसी प्रभारी, सीएचसी प्रभारी, एसी एम ओ और अन्य अधिकारियों को इसका मेसेज पहुंच जाएगा। सीएचसी प्रभारी को उस पर तत्काल टीम बनाकर कार्रवाई करते हुए रिमार्क डालना होगा। इसकी जानकारी स्वास्थ विभाग के पास पहुंचेगी। इस एप को चलाने के लिए जिला स्तर पर ट्रेनिंग दे दी गई है।
तीन फॉर्म होंगे फीड:
इस ऐप में तीन प्रकार के फार्म है। एस, पी और एल। फॉर्म एस में बुखार, खांसी आदि बीमारी कब से है। इसके बारे में पूरी जानकारी एएनएम को डालनी होगी। इसके अलावा फॉर्म पी में संभावित मरीजों की जानकारी डालनी होगी। फार्म एल पैथोलॉजी से संबंधित होगा है, जिसमें यदि कोई मरीज अपनी जांच कराने आता है तो इस पर इंटर्नल और एक्सटर्नल जानकारी दी जाएगी। इसके अलावा विभाग की ओर से इस ऐप के जरिए 33 बीमारियों का रिकार्ड रखा जाएगा। इस ऐप के लिए शुरुआती ट्रेनिंग दे दी गई है। ऑनलाइन ही सभी मरीजों का डाटा फीड किया जाएगा। ऐसे में मरीजों के प्रति बरती जाने वाली लापरवाही पर रोक लग सकेगी।
एसीएमओ डॉ. आर के सिंह ने बताया बुखार, डायरिया या हेपेटाइटिस समेत कई बीमारियों की जानकारी स्वास्थ्य विभाग द्वारा ऑनलाइन डाली जाएगी। साथ में मरीजों का पूरा रिकार्ड भी ऑनलाइन होगा। वहीं स्वास्थ्य विभाग से लेकर सीएचसी तक पर मरीज का पूरा अपडेट रखा जाएगा।
मौके पर एसीएमओ डॉ आरके सिंह , आईडीएसपी एपिडेमियोलॉजिस्ट अनिल चक्रवर्ती, डाटा मैनेजर प्रीतम कुमार सहित आशा एवं एएनएम उपस्थित थे।