-आंगनबाड़ी केंद्र, आरबीएसके एवं ओपीडी में चिन्हित कुपोषित बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्र में मिल रही है चिकित्सकीय सुविधा
-बच्चों के बेहतर पोषण, समुचित देखभाल के साथ केंद्र में उपलब्ध है सभी जरूरी सेवाएं
मधुबनी /24 फरवरी। जिले के जयनगर अनुमंडलीय अस्पताल में पोषण पुनर्वास केंद्र संचालित है जहां कुपोषित बच्चों को भर्ती कर इलाज किया जाता है. लेकिन दिसंबर माह में 5 बच्चे जनवरी माह में 0 बच्चे तथा वर्तमान फरवरी माह में अब तक 5 बच्चे को भर्ती कराया गया है जो आंकड़े दर्शाते हैं कि जिले के आंगनवाड़ी केंद्र,आरबीएसके के टीम तथा ओपीडी में पाए गए कुपोषित बच्चों को एनआरसी नहीं भेजा जा रहा है।
जिसको लेकर सिविल सर्जन डॉ. ऋषिकांत पांडे ने डीपीओ आईसीडीएस को पत्र जारी कर अनुरोध किया है कि बाल विकास परियोजना पदाधिकारी से संपर्क कर आंगनबाड़ी केंद्रों से कुपोषित बच्चों को चिन्हित कर पोषण पुनर्वास केंद्र भेजा जाए . साथ ही 15 फरवरी को सिविल सर्जन के द्वारा जिला के सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक एवं बीसीएम को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से निर्देश दिया गया है कि निर्धारित बेड के अनुसार शत प्रतिशत बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्र भेजा जाए. तथा आरबीएसके के टीम तथा ओपीडी में चिन्हित कुपोषित बच्चे एवं संबंधित क्षेत्र के अंतर्गत पाए गए कुपोषित बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्र भेजने का निर्देश दिया गया है ताकि निर्धारित संख्या के अनुरूप कुपोषित बच्चों को भर्ती कर समुचित इलाज किया जा सके.
जिले में 10.9% बच्चों को ही मिलता है पोषण युक्त भोजन:
कुपोषण छोटे उम्र के बच्चों के मौत की बड़ी वजह है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के आंकड़े बताते हैं कि जिले में 06 से 23 माह के महज 10.9 फीसदी बच्चों को ही उम्र के हिसाब से पर्याप्त पोषणयुक्त भोजन उपलब्ध हो पाता है। जिसमें शहरी क्षेत्र के 9.2 तथा ग्रामीण क्षेत्र के 11.2 बच्चे है जिसका सबसे बड़ा कारण कम उम्र में शादी, आज्ञनता, उच्च प्रजनन दर बच्चों के कुपोषित होने की बड़ी वजह है।
बच्चे को केंद्र में भर्ती करने से पहले रखा जाता है कई मानकों का ध्यान :
बच्चों को केंद्र में भर्ती करने से पहले कई मानकों का ध्यान रखा जाता है। केंद्र में पांच साल तक के बच्चों के बांह की मोटाई, स्वास्थ्य संबंधी जटिलता सहित कुछ गंभीर लक्षणों के आधार पर बच्चों को केंद्र में दाखिला लिया जाता है। लगातार डायरिया, बुखार व डिहाइड्रेशन जैसी समस्या की वजह से कमजोर बच्चों को केंद्र में भर्ती किया जाता है। उम्र के हिसाब से लंबाई, ऊंचाई व वजन नहीं होने पर भी बच्चे केंद्र में दाखिल किये जाते हैं।
सघन जांच के बाद होता है बच्चों के डाइट का निर्धारण :
केंद्र में दाखिल होन के बाद बच्चों के भूख का परीक्षण होता है। फिर इसके आधार पर बच्चों के डाइट का निर्धारण होता है। निर्धारित प्रक्रिया व तय मानकों के आधार पर बच्चों के लिये विशेष डाइट तैयार किया जाता है। जिसे एफ-75 व एफ-100 के नाम से जाना जाता है। वस्तुत: जो एक फार्मूला मिल्क होता है। इसमें सभी जरूरी पोषक तत्व व निर्धारित मात्रा में कैलोरी मौजूद होता है। पर्याप्त पोषाहार, जरूरी मेडिकल सप्लीमेंट व उचित सलाह व परामर्श से बच्चों की सेहत में तेजी से सुधार परिलक्षित होने लगता है। गंभीर से गंभीर मामलों में भी कम से कम 14 व अधिक से अधिक 21 दिनों के अंदर बच्चों की सेहत में अप्रत्याशित रूप से बदलाव परलक्षित होने लगता है।