-आरपीएम ने सदर अस्पताल का किया निरीक्षण।
-सदर अस्पतालों की बदली सूरत, ब्लू रंग में दिखने लगे सदर अस्पताल।
#MNN@24X7 मधुबनी/25 नवंबर मिशन 60 का असर सदर अस्पताल में दिखने लगा है जिले के सदर अस्पताल अब ब्लू रंग में दिखने लगा है अस्पताल में आने वाले मरीजों को सहायता के लिए “मे आई हेल्प यू “बना दिया गया है चिकित्सकों की ड्यूटी को सामुनपातिक बनाया गया है साफ-सफाई से लेकर अब तक हुए कार्यों में मधुबनी ने राज्य स्तर पर छठा स्थान प्राप्त किया है इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग के क्षेत्रीय कार्यक्रम प्रबंधक नजमुल होदा ने सदर अस्पताल का निरीक्षण किया.
इस क्रम में उन्होंने बताया अस्पताल में आधारभूत संरचनाएं काफी मजबूत हुई है पीने का पानी बैठने की व्यवस्था, दवा, डॉक्टर की उपस्थिति से लेकर प्रत्येक सुविधाओं में बढ़ोतरी हुई है वहीं उन्होंने बताया प्रसव कक्ष में डॉक्यूमेंटेशन कार्य में कमी पाई गई. ऑटो क्लीनिंग में भी कमी पाई गई जिस में सुधार लाने का निर्देश दिया. वहीं इस दौरान सदर अस्पताल में चल रहे मिनी लैप प्रशिक्षण में भी उन्होंने भाग लिया तथा उपस्थित कर्मियों को प्रशिक्षण दिया.
मिशन 60 का दिखा असर सुविधाओं में हुई बढ़ोतरी :
दरअसल उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने स्वास्थ्य विभाग का जिम्मा संभाला तो सदर अस्पतालों को चकाचक करने का टास्क दिया इसके लिए सभी सिविल सर्जन और डीपीएम के साथ बैठक की उन्होंने निर्देश दिया गया कि मिशन 60 अभियान चलाया जाए जिला के सदर अस्पताल को निजी अस्पताल जैसा लुक देने और बेहतर साफ-सफाई का प्रबंधन करने को कहा गया था मिशन 60 के तहत अस्पतालों में साइनेज लगाए गए भोजन दीदी के रसोई के लिए जीवका दीदी को जिम्मा दिया गया.
साफ सफाई का जिम्मा भी इन्हीं को देने का तैयारी है सुरक्षा, सीसीटीवी सहित लॉन्ड्री, फोन कनेक्टिविटी रोगियों के लिए वेटिंग रूम वॉशरूम एवं अन्य पीने के पानी की व्यवस्था को दुरुस्त किया गया है. तय किया गया कि सभी अस्पतालों को ब्लू रंग में रंग रोगन किया जाए. अस्पताल में मरीजों को रास्ता दिखाने के लिए इंडिकेटर लगाए गए हैं इससे अस्पतालों का लुक आकर्षक हो गया है वहीं अस्पतालों में शौचालय दुरुस्त हुए हैं मेडिकल वेस्ट के लिए अलग से व्यवस्था की गई अस्पताल में भीतरी सड़कों को दुरुस्त किया जा रहा है.
क्या है मिनी लैप:
आरपीएम ने बताया यह बंध्याकरण की तकनीक है इस तकनीक से बंध्याकरण आपरेशन करना बहुत ही आसान हो गया है। परंपरागत आपरेशन में मरीज को कई घंटों तक बेहोश रखने के लिए ईथर का डोज दिया जाता था वहीं आपरेशन के लिए बड़ा चीरा भी लगाना पड़ता था। इस पद्धति से ऑपरेशन के बाद महिला मरीजों को चौबीस घंटे के बाद डिस्चार्ज कर दिया जाता है। वहीं पुरुष नसबंदी के आधा घंटा बाद डिस्चार्ज कर दिया जाता है।
उन्होंने बताया कि मिनी लैप का अर्थ ही है मामूली चीरा (एक से डेढ़ इंच ) नाभी के निकट चीरा लगाकर आसानी से बंध्याकरण आपरेशन किये जाते हैं। महिला 48 घंटे के बाद हल्के-फुल्के कार्य कर सकती है तथा सातवें दिन के बाद सामान्य तरीके से कार्य कर सकती है। उन्होंने बताया कि इस आपरेशन में जोखिम जैसी कोई बात नहीं है और न ही लंबी बेहोशी की नौबत। आपरेशन के 24 घंटे बाद ही मरीज को घर जाने की अनुमति दे दी जाती हालांकि आपरेशन के बाद मरीजों को चिकित्सक के परामर्श के अनुसार सेहत का खास ख्याल रखना जरूरी है। उन्होंने कहा कि परिवार नियोजन कार्यक्रम की सफलता में इस तकनीक की अहम भूमिका निभा रही है।
इस मौके पर रीजनल अकाउंट मैनेजर विकास रोशन, डिविजनल आशा कोऑर्डिनेटर सीमा जायसवाल, अस्पताल प्रबंधक अब्दुल मजीद, केयर इंडिया के डीटीएल महेंद्र सिंह सोलंकी भी उपस्थित रहे.