दूसरे विश्वविद्यालयों के विशेषज्ञ भी होंगे परीक्षा परिषद के सदस्य।
कई परीक्षाओं के रिजल्ट पर परिषद की लगी मुहर।
परीक्षा परिषद की बैठक आयोजित।
#MNN@24X7 दरभंगा, संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 लक्ष्मी निवास पांडेय की अध्यक्षता में सोमवार को उनके कार्यालयीय कक्ष में आयोजित परीक्षा परिषद की बैठक कई मामलों में ऐतिहासिक रही। छात्र व व्यवस्था हित मे दूरगामी परिणाम वाले विभिन्न निर्णय लिए गए। कुलपति की पहल पर नयी व्यवस्था के तहत अब वैसे छात्र भी अपनी परीक्षा के परिणाम सम्बन्धी श्रेणियों में सुधार के लिए आगामी परीक्षाओं में बैठ सकते हैं यानी वे छात्र भी अपने रिजल्ट में सुधार के लिए आगामी परीक्षाओं में शामिल हो सकते हैं जो प्रथम से लेकर तृतीय श्रेणियों में उत्तीर्ण हो चुके हैं। यह व्यवस्था पहले नहीं थी। विश्वविद्यालय की मौजूदा परीक्षा नियमावली के अनुसार सिर्फ अनुत्तीर्ण छात्रों को ही ऐसा अवसर मिला करता है। अब इसके लिए कुलपति प्रो0 पांडेय ने नियमावली में भी संशोधन को जरूरी बताया।
इसी क्रम में सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया कि अन्य विश्वविद्यालयों के भी परीक्षा व प्रशासनिक मामलों के कम से कम दो जानकारों को परीक्षा परिषद का सदस्य बनाया जाएगा। ताकि इस मामले में और अधिक सुधार किया सके।
कई परीक्षाओं व रिजल्ट पर लगी परिषद की मुहर
विश्वविद्यालय के पीआरओ निशिकांत ने बताया कि परीक्षा परिषद की बैठक में शिक्षा शास्त्री 2021-23 द्वितीय वर्ष, पैट 2022 वर्षीय परीक्षा समेत आयुर्वेद के कई सत्रों की परीक्षा व उसके रिजल्ट पर प्रतिकुलपति प्रो0 सिद्धार्थ शंकर सिंह को छोड़कर सभी सदस्यों ने मुहर लगा दी। प्रतिकुलपति प्रो0 सिंह ने कहा कि चूंकि आयुर्वेद की परीक्षाओं व उसके रिजल्ट के मामलों को वे राज्य सरकार व राजभवन उठा चुके हैं। इसलिए इस मामले में आज लिए जा रहे निर्णयों से उन्हें अलग रखा जाय। इस पर सदन की सहमति रही। इसी क्रम में 10 नवम्बर,23 को आयोजित परीक्षा परिषद की कार्यवाही को भी सम्पुष्ट कर दिया गया। वहीं, 2024 में आयोजित सभी कक्षाओं की परीक्षाओं के मूल्यांकन कराने के लिए सदस्यों ने कुलपति प्रो0 पांडेय को अधिकृत कर दिया। इसी तरह पैट 2023 वर्षीय परीक्षा समेत अन्य सभी आगामी परीक्षाओं के आयोजन एवम एतत सम्बन्धी प्रश्न पत्रों के निर्माण कराने के लिए भी कुलपति अधिकृत कर दिए गए। इसके अलावा, ज्योतिष के गवेषक आनंद प्रकाश पाठक के पीएचडी की मौखिकी के प्रकाशित परीक्षाफल को सम्पुष्ट करते हुए निर्णय लिया गया कि इसी तरह के अन्य गवेषकों से जुड़े मामले अगर छूट गए हों तो उसे भी अगली बैठक में लाया जाए। वहीं, ज्योतिष संकायाध्यक्ष प्रधानाचार्य डॉ अनिल ईश्वर ने सुझाया कि खासकर उपशास्त्री के पाठ्यक्रमों में बदलाव की जरूरत है। अन्य विश्वविद्यालयों की तुलना में अंक प्राप्त करने के मामले में अपने छात्र पिछड़ जाते हैं। कहीं न कहीं, इसके लिए उन्होंने मौजूदा पाठ्यक्रम को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया। इसपर कुलपति ने विचार का आश्वासन दिया। डॉ ईश्वर ने कहा कि छात्रों के कम आने का एक यह भी कारण रहा है।
प्रश्नावलियों का बनेगा बैंक
बैठक में ऐतिहासिक निर्णयों के बीच यह अहम रहा कि अब नई व्यस्था के तहत विश्वविद्यालय में परीक्षाओं के आयोजन को ध्यान में रखकर पहले से ही प्रश्नावलियों को कई सेट में तैयार कर रखा जाएगा। ताकि परीक्षा में विलंब नहीं हो। इसके लिए विषय विशेषज्ञों से सम्पर्क कर उनसे प्रश्नों की सूची बनाई जाएगी। इसी क्रम में प्रतिकुलपति प्रो0 सिंह की पहल पर सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि अब परीक्षा समाप्ति पर बचे प्रश्नपत्रों को पुस्तकालय एवम सम्बन्धित विभागों में सुरक्षित व संरक्षित रखा जाएगा। इससे छात्रों को भी लाभ मिलेगा।
बैठक में कुलपति प्रो0 पांडेय, प्रतिकुलपति प्रो0 सिंह, डॉ शम्भू शरण तिवारी, डॉ रेणुका सिन्हा, डॉ तेजनारायण झा, डॉ दीनानाथ साह, प्रो0 दिलीप कुमार झा, प्रो0 विनय कुमार मिश्र, डॉ अनिल ईश्वर,, डॉ शैलेन्द्र मोहन झा के साथ गोपाल उपाध्याय मौजूद थे।