#MNN24X7 दरभंगा, व्याकरण, साहित्य, धर्मशास्त्र, संस्कृत,हिन्दी, अंग्रेज़ी,मैथिली तथा उड़िया के सुप्रसिद्ध विद्वान प्रो0 हरिहर झा के निधन से संस्कृत विश्वविद्यालय परिवार मर्माहत है। मुख्यालय में कुलपति प्रो0 शशिनाथ झा की अध्यक्षता में सोमवार को उनके निधन पर शोकसभा आयोजित की गई जिसमें सभी कर्मी उपस्थित रहे।
प्रो0 झा मधुबनी जिले के डुमरा गांव के रहने वाले थे और कुछ अवधि पूर्व तक उन्होंने संस्कृत विश्वविद्यालय में विजिटिंग प्रोफ़ेसर का दायित्व निभाया था। प्रो0 झा ने अपना संपूर्ण जीवन संस्कृत तथा संस्कृति के प्रचार-प्रसार में लगाते हुए पूरे भारत में मिथिला का मान बढ़ाया था।
उक्त जानकारी देते हुए पीआरओ निशिकांत ने बताया कि लालबहादुर शास्त्री केंद्रीय संस्कृत विद्यापीठ, नयी दिल्ली तथा राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान , नयी दिल्ली आदि भारत की सुप्रतिष्ठित संस्थानों में उन्होंने प्राचार्य तथा प्रधानाचार्य के रूप में कार्य किया था। अपनी संस्कृत सेवा के लिये 1985 में राष्ट्रपति सम्मान से भी वे सम्मानित हुए थे।दरभंगा के विद्यापति सेवा संस्थान ने भी उन्हें मिथिला विभूति सम्मान से संमानित किया था। इसके अतिरिक्त उन्हें महामहोपाध्याय समेत अनेक सम्मान प्राप्त हुए थे । बिहार के महामहिम राज्यपाल सह कुलाधिपति ने भी उन्हें विद्या वाचस्पति की उपाधि प्रदान की थी ।
वहीं, प्रो0 झा के निधन पर कुलपति प्रो शशिनाथ झा, पूर्व कुलपति प्रो उपेंद्र झा, प्रो रामचंद्र झा, प्रो शिवाकांत झा, मैथिली अकादमी के पूर्व अध्यक्ष पंडित कमलाकांत झा, विद्यापति सेवा संस्थान के महासचिव डा वैद्यनाथ चौधरी बैजू, संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलानुशासक प्रो श्रीपति त्रिपाठी , प्रो पुरेंद्र वारिक, डा.विजय कुमार मिश्र समेत अनेक शिक्षाविदों ने शोक व्यक्त करते हुए उन्हें हार्दिक श्रद्धांजलि समर्पित की है ।