डॉ सर कामेश्वर सिंह को मिले भारत रत्न : कुलसचिव
संस्कृत विश्वविद्यालय में 119वीं जयंती मनी
दरभंगा।
#MNN24X7 दरभंगा प्राच्य विद्या के अद्वितीय पोषक व सनातन विचारों के अव्वल हिमायती स्थानीय कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के संस्थापक महाराजाधिराज डॉ सर कामेश्वर सिंह की आज बुधवार को 119वीं जयंती मनाई गई। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के दरबार हॉल में आयोजित जयंती समारोह के मुख्य अतिथि पूर्व कुलपति डॉ रामचन्द्र झा ने कहा कि महाराजाधिराज सर्व धर्म स्वभाव के धनी थे। शिक्षा हो या व्यवसाय-उद्योग या फिर धर्म ,सभी क्षेत्रों के समेकित विकास के वे अगुआ थे। बीएचयू, एएमयू, केएसडीएसयू समेत कई विश्वविद्यालयों की स्थापना में उनका योगदान अविस्मरणीय है। वे हमेशा प्राच्य विषयों के साथ- साथ सनातन धर्म के उत्थान व विकास के लिए समाज को प्रेरित करते रहते थे।

इसी क्रम में उन्होंने कहा कि भारतीय ज्ञान परम्परा व सनातनी विचार बिना संस्कृत को जाने-समझे सम्भव ही नहीं है। विश्व स्तर पर पनपी अराजकताओं पर लगाम लगाने के लिए सनातन धर्म को मजबूत करना ही होगा। वहीं, अध्यक्षता करते हुए छात्र कल्याण अध्यक्ष सह प्रभारी कुलपति प्रो0 पुरेन्द्र वारिक ने कहा कि महाराजाधिराज का व्यक्तित्व विशाल व कीर्तिमय था। वे दान वीर थे। छुआछूत को समाज के लिए कलंक मानते थे। उनकी महिमा अपार है। प्रगतिशील विचारों के समर्थक महाराजाधिराज द्वारा किये गए पुनीत कार्यों को गिनाना असम्भव है।

वहीं कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो0 ब्रजेशपति त्रिपाठी ने कहा कि कला, शिक्षा के साथ साथ महाराजाधिराज चिकित्सा सुविधा के भी प्रेमी थे। खासकर देशी चिकित्सा को वे बढ़ावा देते थे। रोजगार के लिए कई उद्योगों को भी लगाया। उस जमाने मे भी समस्त तकनीकी बाधाओं को दूर करते हुए उन्होंने क्षेत्रीय भाषाओं को विकसित व मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए। इसी कड़ी में संस्कृत को आगे लाने के लिए उन्होंने 1951 में कबड़ाघाट में मिथिला स्नातकोत्तर शोध संस्थान की नींव रखी जो ऐतिहासिक कदम था। उनकी सोच हमेशा राष्ट्र व्यापी थी।
उक्त जानकारी देते हुए पीआरओ निशिकांत ने बताया कि देश व समाज के लिए असाधारण योगदान के लिए कुलसचिव प्रो0 त्रिपाठी ने महाराजाधिराज को भारत रत्न दिए जाने की मांग की जिसे सभी ने ताली बजाकर समर्थन किया। कार्यक्रम के संयोजक व संचालक डॉ यदुवीर स्वरूप शास्त्री ने भी अपने विचार रखे। डॉ शंभुशरण तिवारी ने सभी का स्वागत किया जबकि डॉ एल सविता आर्या ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
इसके पूर्व सुबह माधवेश्वर परिसर में महाराजाधिराज के समाधिस्थल पर मुख्य पूजा अर्चना की गई। धर्मशास्त्र विभाग के अध्यक्ष प्रो0 दिलीप कुमार झा मुख्य यजमान बने थे जबकि पंडित का दायित्व परीक्षा नियंत्रक डॉ ध्रुव मिश्र ने निभाया। डॉ ज्योतिष विभाग के अध्यक्ष डॉ कुणाल झा की भी इसमें महती भूमिका रही। दोनों कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के सभी पदाधिकारी , कर्मचारी व छात्र उपस्थित रहे।
