पूरे विश्व को गहराई से प्रभावित करने वाले गांधी- दर्शन के द्वारा ही मानवीय मूल्यों की रक्षा संभव- कुलसचिव।
#MNN@24X7 दरभंगा। महात्मा गांधी अपने विचारों से आज भी जीवित हैं। उनका विचार प्रकाशमान होकर अंधेरों को मिटा रहा है। मानवीय मूल्यों की रक्षा केवल और केवल गांधी- दर्शन के द्वारा ही हो सकती है। आज तक दुनिया में गांधी के विचार में परिवर्तन नहीं हुए हैं, भले ही उसे मानने वाले बदलते रहे हैं। जिन लोगों ने भी गांधी के विचारों को आत्मसात किया था, वे जीवन के अंतिम सांसों तक उनके साथ रहे। गांधीजी के विचार आज भी पूरे विश्व को गहराई से प्रभावित कर रही है।
उक्त बातें ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के कुलसचिव प्रोफेसर मुश्ताक अहमद ने दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के तत्वावधान में महात्मा गांधी के शहादत दिवस के अवसर पर विश्वविद्यालय के गांधी सदन में आयोजित श्रद्धांजलि सभा की अध्यक्षता करते हुए कही।
कुलसचिव ने कहा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सुरेन्द्र प्रताप सिंह के निर्देश पर आयोजित इस श्रद्धांजलि सभा में आज हमलोग गांधीजी के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि दूसरे सामाजिक एवं राजनीतिक चिंतकों के विचार बदलते रहे हैं, परंतु गांधीजी अपनी जगह अमिट हैं। सनातन धर्म पूरी दुनिया को ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ का संदेश देता है और गांधीजी उसके जीते जागते नमूने थे। गांधीजी किसी एक धर्म के नहीं थे। वे सनातन धर्मी होते हुए भी सभी धर्मों के प्रति आदर भाव रखते थे। नवाब राजावली खान ने गांधी की चिता से राख लाकर राजघाट के बाद उनकी दूसरी समाधि रियासत रामपुर में बनाई थी। गांधीजी पूरी दुनिया को एक परिवार समझते थे, इसी कारण पूरी दुनिया गांधीजी को अपना अभिभावक समझता है और आज उनके विचारों को आत्मसात कर रहा है।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय हिन्दी विभाग के अध्यक्ष प्रो राजेन्द्र साह ने कहा कि मानवीय मूल्यों को गांधीजी ने आत्मसात किया था। उनके जीवन- दर्शन मानवतावादी हैं। उनके जीवन में कोई बाह्याडंबर या दिखावट नहीं था। गांधी की अहिंसावादी दृष्टिकोण आज भी प्रासंगिक है। वहीं अंग्रेजी की विभागाध्यक्ष प्रो मंजू राय ने कहा कि जब तक यह मानव सृष्टि रहेगी, तब तक गांधी के विचार भी जीवित रहेंगे। महाविद्यालय निरीक्षक (कला एवं वाणिज्य) प्रो अशोक कुमार मेहता ने बताया कि इस स्थल पर गांधीजी रात्रि विश्राम किए थे। यह जगह गांधीजी की स्मृतियों से जुड़ा हुआ पवित्र स्थल है।
इस अवसर पर गांधी सदन में स्थापित गांधीजी की प्रतिमा पर कुलसचिव सहित संकायाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष, पदाधिकारियों तथा कर्मचारियों ने माला एवं पुष्प अर्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी तथा 2 मिनट का सामूहिक मौन रखा गया। वहीं गांधीजी के प्रिय भजन ‘वैष्णव जन तो…’ का लोगों ने श्रवण किया।
दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के निदेशक प्रो एच के सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कहा कि गांधीजी उच्च कोटि के विचारक एवं युगद्रष्टा नेतृत्व कर्ता थे।