विभागीय शोध परिषद् की बैठक में पर्यवेक्षकों की विशेषज्ञता एवं शोधार्थियों की अभिरुचि का विभाग रखे विशेष ध्यान- प्रति कुलपति।
#MNN@24X7 दरभंगा। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के सामाजिक संकाय के डीजीआरसी की बैठक में शेष बचे तीन विषयों- मनोविज्ञान में 34, गृह विज्ञान में 87 तथा समाजशास्त्र में 5 शोध प्रारूप सहित कुल 126 शोध प्रारूपों को स्वीकृति प्रदान की गई।
उक्त बैठक में सामाजिक विज्ञान संकायाध्यक्ष प्रो जितेन्द्र नारायण, प्रो विमलेन्दु शेखर झा, डा अवनि रंजन सिंह, प्रो अरुण कुमार सिंह, प्रो अशोक कुमार मेहता, डा आर एन चौरसिया, डॉ नवीन कुमार सिंह, समाजशास्त्र विभागाध्यक्ष प्रो शाहिद हसन, मनोविज्ञान विभागाध्यक्ष प्रो ध्रुव कुमार व गृह विज्ञान विभागाध्यक्षा डा दिव्या रानी हंसदा के साथ ही कुलपति द्वारा पीजीआरसी हेतु नामित डा श्रुतिधर झा, डा इन्द्र नारायण झा, डा आभा रानी सिन्हा तथा डा मंजू झा सहित पीएच डी सेक्शन के लक्ष्मेश्वर पाठक, शंभू झा, रविकांत गुप्ता, रामनारायण साह व मोहम्मद नूर सहित अनेक संबंधित व्यक्ति उपस्थित थे।
अपने संबोधन में प्रति कुलपति प्रोफेसर डॉली सिन्हा ने सामाजिक विज्ञान संकाय में शोधार्थियों की संख्या में वृद्धि पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए शोध की गुणवत्ता पर सतत सजग रहने का आग्रह किया। उन्होंने सामाजिक विज्ञान के क्षेत्र में आने वाले दिनों में नवनिर्मित एसपीएसएस लैब से काफी मदद मिलने की बात कही। उन्होंने कहा कि विभागीय शोध परिषद् की बैठक में पर्यवेक्षकों की विशेषज्ञता एवं शोधार्थियों की अभिरुचि का विभाग विशेष रूप से ध्यान रखे।
प्रति कुलपति ने शोध कार्य के क्षेत्र में शोध विषय एवं शोध शीर्षक के बीच अंतर स्पष्ट करते हुए शोध कार्य के दौरान शोध शीर्षकों में संशोधन के प्रावधान को व्यवहार में लाने की बात कही।
सामाजिक विज्ञान संकायाध्यक्ष प्रो जितेन्द्र नारायण ने गवेषणा परिषद् से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपना अभिमत देते हुए कहा कि प्रति कुलपति द्वारा दिया गया सुझाव सराहनीय है। इस क्रम में उन्होंने इस बात को स्वीकार किया कि शोध के आरंभ में शोध विषय ही महत्वपूर्ण होता है।
शोध की प्रगति पर शोध शीर्षक तय हो पाता है। सदस्यों का स्वागत एवं संचालन दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के निदेशक प्रो अशोक कुमार मेहता ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन उप परीक्षा नियंत्रक डा नवीन कुमार सिंह ने किया।