#MNN@24X7 दरभंगा। बिना युवाओं के ऊर्जा का संचार नहीं होता तथा अच्छे कार्य भी संपादित नहीं होते, परंतु युवा दिशाहीन न हों। अन्यथा उनकी ऊर्जा नकारात्मक हो जाती है और उसका परिणाम भी बेहतरीन प्राप्त नहीं हो पाता है। नए कार्यों को हमें समयानुसार करना होता है। वहीं हमारी भूमिका हमेशा बदलती रहती है। हमें अपने आपको हर जगह फिट बैठाना होता है। व्यक्ति की सोच या योजना समय एवं परिस्थिति के अनुसार ही बनती और परिवर्तित होती है।
उक्त बातें ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के कुलपति प्रोफेसर सुरेन्द्र प्रताप सिंह ने स्नातकोत्तर वाणिज्य विभाग द्वारा नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की जयंती की पराक्रम दिवस के रूप में मनाए जा रहे समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में कही।
कुलपति ने कहा कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में हर व्यक्ति एवं संगठन अपने तरह से योगदान दिया, पर सबका लक्ष्य एक ही था कि भारत को आजादी मिले। कर्म में क्रांतिकारियों द्वारा सरकारी खजाने को लूटकर अंग्रेजी सरकार को चुनौती दी गई वही बाल गंगाधर तिलक ने महाराष्ट्र में गणेश पूजन के आयोजन द्वारा सांस्कृतिक चेतना जागृत की। नेताजी बहुआयामी व्यक्तित्व के राष्ट्रभक्त नेता थे, जिन्होंने ‘जय हिन्द, दिल्ली चलो, तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा आदि प्रेरक नारों के द्वारा आमलोगों में राष्ट्रभक्ति की भावना को जगाया था।
सम्मानित अतिथि के रूप में प्रति कुलपति प्रोफेसर डॉली सिन्हा ने अपनी ओर से प्रिय नेता के प्रति श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए कहा कि नेताजी बचपन से ही मेधावी थे। वे पिता के आग्रह पर लंदन गए और रिकॉर्ड अल्प समय में ही सीआईएस परीक्षा में चतुर्थ स्थान प्राप्त किए, परंतु योगदान न कर देशभक्ति में भारत की आजादी के लिए अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। वे भारत की पूर्ण आजादी चाहते थे और एक ग्यारह बार जेल भी गए जहां उन्हें काफी यातनाएं दी गई। उन्होंने आजाद हिन्द फौज बनाकर भारत की आजादी के लिए काम किया।
प्रति कुलपति ने कहा कि नेताजी का जीवन त्यागपूर्ण था। यदि 1945 में पूरे देश का सहयोग मिला होता तो भारत दो-तीन वर्ष पहले ही आजाद हो गया होता। युवाओं को नेताजी से प्रेरणा लेकर समाज तथा राष्ट्र के लिए सोचना चाहिए।
विशिष्ट अतिथि के रूप में मानविकी संकायाध्यक्ष प्रो ए के बच्चन ने कहा कि नेताजी एक महान राष्ट्रभक्त तथा स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने 1921 ईस्वी में कठिन मानी जाने वाली सिविल सर्विस परीक्षा पासकर भी उसे ठुकरा दिया और भारत माता की सेवा में लग गए।
अध्यक्षीय संबोधन में वाणिज्य संकायाध्यक्ष प्रोफेसर बीबीएल दास ने कहा कि सुभाष बाबू भारत के महान सपूत थे, जिनके विचार एवं कार्य में प्रेरित करते हैं। हम अपने महापुरुषों की राह पर चलकर राष्ट्र का भविष्य को संवार सकते हैं। आज युवाओं से अधिक उम्मीद है। इस अवसर पर प्रोफेसर एस के सिंह, डा दिवाकर झा, डा आर एन चौरसिया, डा निर्मला कुशवाहा, डा आई डी प्रसाद, डा संकेत कुमार झा सहित एक सौ से अधिक शिक्षक एवं छात्र- छात्राएं उपस्थित थे।
कार्यक्रम में श्वेता कुमारी, प्रेम शंकर झा व अमन सिंह आदि ने नेता जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला, जबकि रोहित ने कविता पाठ किया। वहीं 2023 में “वर्तमान भारत में नेताजी के विचारों की प्रासंगिकता” विषयक प्रतियोगिता में सबा फातमा- प्रथम, रिचा रानी- द्वितीय तथा विकास कुमार के तृतीय स्थान पाने के साथ ही 2022 में आयोजित प्रतियोगिता में मानू- प्रथम, दीक्षा- द्वितीय तथा फौजिया परवीन के तृतीय स्थान पाने पर अतिथियों के हाथों प्रमाण पत्र प्रदान कर हौसला अफजाई किया गया। इस अवसर पर डा संकेत त कुमार झा तथा डा आर एन चौरसिया को उनके योगदान के लिए विशेष रूप से पुष्पगुच्छ प्रदान कर सम्मानित किया गया।
अतिथियों का स्वागत पुष्पगुच्छ से किया गया, जबकि नेता जी के चित्र पर लोगों द्वारा फूल- माला एवं पुष्पांजलि की गयी। स्वागत गीत एवं राष्ट्रगीत रिचा रानी के नेतृत्व में प्रस्तुत किया गया। वैभव कुमार झा के संचालन में धन्यवाद ज्ञापन डा एस के ठाकुर ने किया, जबकि अतिथियों का स्वागत करते हुए विभागाध्यक्ष प्रोफेसर अजीत कुमार सिंह ने नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को महापराक्रमी, स्वतंत्रता सेनानी एवं राष्ट्रभक्त महापुरुष बताया, जिनके जीवन से सीख लेकर उनके बताए रास्ते पर चलने की जरूरत बतायी।