वसुधैव कुटुम्बकम अर्थात एक पृथ्वी एक परिवार और एक भविष्य जी20 देशों का प्रमुख उद्देश्य- कुलपति प्रोफेसर एस पी सिंह।
वैश्विक आर्थिक असमानता को दूर करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है,जी20- प्रोफेसर मुनेश्वर यादव।
कोविड19 ने जी20 को मानवता का सीख दिया- कुलसचिव डॉ घनश्याम राय।
वैश्विक वित्तीय स्थायित्व के साथ साथ जी20 भू-राजनीतिक मुद्दों पर कार्य कर रहा है -डॉ मुकुल बिहारी वर्मा।
#MNN@24X7 राजनगर, मधुबनी, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के दो अंगीभूत इकाई विशेश्वर सिंह जनता महाविद्यालय, राजनगर और चथरू महतो जनता कॉलेज, दोनवारीहाट, खुटौना के संयुक्त तत्वावधान में गुरुवार को’ वैश्विक शासन में जी20 की भूमिका’ विषय पर अंतरराष्ट्रीय सेमिनार आयोजित की गई। सेमिनार का उद्घाटन कुलपति प्रोफेसर सुरेन्द्र प्रताप सिंह ने की।
कार्यक्रम में सर्वप्रथम उपस्थित अतिथियों कुलपति प्रोफेसर सुरेंद्र प्रताप सिंह, बिहार सरकार के पूर्व शिक्षा मंत्री रामलखन राम रमण,पूर्णिया विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ घनश्याम राय, प्रोफेसर मुनेश्वर यादव, प्रोफेसर जीवानन्द झा, प्रधानाचार्य, डॉ मो.रहमतुल्लाह, प्रधानाचार्य, प्रोफेसर नारायण झा द्वारा विधिवत दीप प्रज्वलित कर उद्वघाटन किया गया। महाविद्यालय की छात्राओं द्वारा स्वागत गीत का गायन किया गया।
कुलपति ने अपने उद्घघाटन संबोधन में जी20 की प्रासंगिकता पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि दुनिया अब बसुधैव कुटुम्बकम अर्थात वन अर्थ, वन फेमिली और वन फ्यूचर पर कार्य कर रहा है। जी 20 सम्मेलन में विभिन्न विकसित और विकासशील देशों के बीच आर्थिक संकट, आतंकवाद, मानव तस्करी, पर्यावरण, स्वास्थ्य, कृषि जैसे मुद्दे को लेकर चर्चा की जाती है। अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सहयोग पर भी विचार विमर्श किया जाता है। प्रोफेसर मुनेश्वर यादव ने बीज वक्तव्य देते हुए कहा कि जी20 की स्थापना व्यापार के उद्देश्य से की गई परन्तु अब विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की जाती है। रामलखन राम रमण ने कहा कि बचपन में एक पंडा ने कहा कि उनके हाथ में विद्या की लकीर नहीं है। इसपर उन्होंने पंडित से कहा कि मेरे हाथ का लकीर कॉलेज तक जाता है। इसपर उन्होंने कहा कि अंधविश्वास से ऊपर उठने की जरूरत है। उद्वघाटन सत्र में स्वागत भाषण प्रोफेसर जीवानंद झा,धन्यवाद ज्ञापन डॉ रहमतुल्लाह और संचालन डॉ राम प्रवेश साह ने किया।
लंच के बाद तकनीकी सत्र की अध्यक्षता पूर्णिया विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ घनश्याम राय ने की। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि भारत को पहली बार जी20 देशों की अध्यक्षता 01 दिसंबर,2022 से 30 नवम्बर,2023 तक एक साल के लिए मिली है। जी20 यूरोपियन यूनियन और उन्नीस देशों के अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग का एक समूह है। डॉ राय ने ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में उल्लेख करते हुए जी20 की महत्ता पर विस्तार से प्रकाश डाला।
डॉ मुकुल बिहारी वर्मा, उपाचार्य, विश्वविद्यालय राजनीति विज्ञान विभाग ने अपने संबोधन में कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा में मनुष्य, जीव जन्तु, वनस्पति में आपसी अंतरनिर्भरता के अनुरूप जी20 का मुख्य उद्देश्य है। उसी के अनुरूप जी20 एक पृथ्वी एक परिवार और एक भविष्य पर कार्य कर रहा है। जी20 वैश्विक वित्तीय स्थायित्व के साथ साथ भू-राजनीतिक मुद्दों के लिए भी काम कर रहा है। विकासशील राष्ट्रों के मुद्दों को प्रमुखता से उठाने के लिए यह सुनहरा अवसर है। डॉ सुंधाशु कुमार, सह प्राध्यापक, बिहार लोक वित्त नीति संस्था ने कहा कि भारत की आर्थिक प्रगति को देखते हुए जी20 में भारत की महती भूमिका हो सकती है। मुख्य अतिथि डॉ प्रमोद जायसवाल, एन आइ आइ सी ई,नेपाल ने अपने संबोधन में कहा कि जी20 के समक्ष वर्तमान में उत्पन्न समस्याओं से निपटने की चुनौती को प्रमुख बतलाया। साथ हीं कहा कि विश्व में राज्य व्यवस्था की प्रकृति बदल रही है।
इस अवसर विभागाध्यक्ष खुशबू कुमारी,डॉ राज कुमार राय, डॉ अमर कुमार, डॉ विनय कुमार दास,शोधार्थी रमाकांत शर्मा, राहुल कुमार, डॉ आलोक कुमार राय, खुशबू कुमारी, डॉ विभा कुमारी, डॉ सुधीर कुमार सुमन, संतोष कुमार, इम्तियाज,महाविद्यालय के शिक्षक, कर्मचारी, छात्र छात्राएं आदि उपस्थित थे।