#MNN@24X7 दरभंगा घराने से ध्रुपद गायकी के स्तंभ पंडित अभय नारायण मल्लिक का मंगलवार की रात दिल्ली में उनके आवास पर निधन हो गया। उनके निधन पर शोक संवेदना व्यक्त करते हुए विद्यापति सेवा संस्थान के महासचिव डा बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने कहा कि मिथिला विभूति और मिथिला रत्न सम्मानोपाधि से अलंकृत शास्त्रीय संगीत के प्राचीनतम शैली ध्रुपद धमार के प्रख्यात गायक पंडित अभय नारायण मल्लिक मिथिला की शान थे। उनके निधन से मिथिला और शास्त्रीय संगीत क्षेत्र की अपूर्णीय क्षति हुई है।

एक उत्कृष्ट शास्त्रीय संगीतज्ञ के साथ साथ छत्तीसगढ़ के इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय में बतौर रीडर , शास्त्रीय संगीत के विभागाध्यक्ष एवं डीन के रूप में उनका महत्वपूर्ण योगदान सदैव अविस्मरणीय रहेगा।

मैथिली अकादमी के पूर्व अध्यक्ष पं कमलाकांत झा ने संगीत के क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए बिहार सरकार, मध्य प्रदेश सरकार और यूपी सरकार द्वारा उन्हें राजकीय सम्मान से नवाजे जाने को मिथिला का सम्मान बताया। प्रो जीवकांत मिश्र ने कहा कि अपनी चंहुमुखी गायकी के लिए शास्त्रीय संगीत की दुनिया में पंडित अभय नारायण मल्लिक अलग पहचान रखते थे। गुरू शिष्य परंपरा के तहत उन्होंने दरभंगा मलिक घराने की 300 वर्षों की परंपरा और उनकी विरासत सहेज रखी थी।

मीडिया संयोजक प्रवीण कुमार झा ने कहा कि भारत, जर्मनी और फ्रांस की रिकॉर्डिंग कंपनियों द्वारा सहेजी गई ध्रुपद, धमार, ठुमरी और भजन की उनकी प्रस्तुतियां आने वाली पीढ़ी के लिए पथ प्रदर्शक का काम करेगी। शोक जताने वाले अन्य लोगों में डा महानंद ठाकुर,दुर्गा नन्द झा, प्रो चंद्रशेखर झा बूढ़ाभाई, आशीष चौधरी, पुरुषोत्तम वत्स आदि शामिल थे।

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