#MNN@24X7 सुप्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक और पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) के पूर्व कुलपति पद्मश्री डॉ. बीएस ढिल्लों ने पूसा में बोरलॉग इंस्टीट्यूट फॉर साउथ एशिया (बीसा) का दौरा किया।

डॉ. ढिल्लों ने अपने भ्रमण के दौरान फार्म के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं बीसा, पूसा प्रभारी डॉ. राज कुमार जाट एवं अन्य वैज्ञानिकों से बातचीत की। डॉ. बीएस ढिल्लों को विज्ञान और अभियांत्रिकी की श्रेणी में भारत सरकार द्वारा चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार “पद्म श्री” से वर्ष 2019 में सम्मानित किया गया था। आपने पादप प्रजनन में अनुवांशिक संसाधनों के प्रयोग के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान दे कर देश की मक्का तथा धान के उत्पादन में वृद्धि लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। साथ ही अपने देश की कृषि आधारित प्रौद्योगिक क्रांति में सराहनीय योगदान दिया है।

डॉ. ढिल्लों ने फार्म पर हो रही विभिन्न कृषि शोध गतिविधियों जैसे ज़ीरो टिलेज़, अंतः फसलीकरण विधि से आलू- मक्का की खेती, पराली पर आलू की बुवाई इत्स्यादि को देखा। उन्होंने पराली पर आलू की बुवाई और उसे होने वाले पराली प्रबंधन की विशेष सराहना करते हुये कृषि विश्विद्यालयों को इस विधि पर और अधिक शोध करने और किसानों में प्रसारित करने पर विशेष ज़ोर दिया। इसके साथ ही उन्होनें बीसा द्वारा ड्रोन जैसी अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग कर कृषि संसाधनों के संरक्षण तथा बेहतर उपज के लिए किये जा रहे शोध कार्य की प्रशंसा करते हुये इससे किसानों को भविष्य में होने वाले फायदों की भी चर्चा की ।

बीसा के युवा वैज्ञानिकों, डॉ. राजेश रेड्डी और डॉ. अर्पित गौड़ के साथ बातचीत करते हुए, डॉ. ढिल्लों ने बदलती जलवायु परिस्थितियों में वांछित उपज प्राप्त करने के लिए वैज्ञानिकों को मक्का में उपज में स्थिरता तथा गेहूँ में जल्दी परिपक्वता को प्राथमिकता देने की बात कही।

डॉ. राज कुमार जाट ने कहा, “डॉ. ढिल्लों द्वारा हमारे प्रक्षेत्र का दौरा करना और हमारे वैज्ञानिकों के साथ बातचीत करना हमारे लिए सम्मान की बात है। उनकी अंतर्दृष्टि और मार्गदर्शन से भविष्य में हमारे अनुसंधान और विकास प्रयासों को बहुत लाभ होगा। डॉ. ढिल्लों की यह यात्रा बीसा में किए जा रहे

महत्वपूर्ण शोध कार्यों और कृषि के क्षेत्र में इसके प्रभाव का प्रमाण है।” डॉ. राज कुमार ने कहा कि डॉ. ढिल्लों की बीसा यात्रा वैज्ञानिकों के लिए नए और अभिनव विचारों का आदान-प्रदान करने और उनके अनुभव और विशेषज्ञता से सीखने का एक अहम अवसर था ।

इस दौरान डॉ. के के सिंह, प्रभारी क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र आईसीएआर-आईएआरआई, पूसा, डॉ. के वी भट्ट, आईसीएआर-एनबीपीजीआर, नई दिल्ली, डॉ. जे सी शेखर, निदेशक, आईसीएआर- आईआईएमआर, लुधियाना, डॉ. (श्रीमती) चंदिया आर. बल्लाल, पूर्व निदेशक, आईसीएआर- एनबीए आईआर, बेंगलुरु, डॉ. एस एल जाट, आईसीएआर-आईआईएमआर, लुधियाना, डॉ एस एस पुनिया, सीसीएस एचएयू, हिसार, डॉ. अविनाश, डॉ. देवव्रत नाथ, डॉ. सुनील, डॉ. काजोड़मल सहित अन्य बीसा कर्मचारी उपस्थित थे।