•सहयोगी संस्था ने चलाया 7 दिवसीय अभियान
मधुबनी /28 मई मासिक धर्म यानी माहवारी महिलाओं की जीवनचर्या का अभिन्न अंग है। इस बारे में खुल कर बात करना जरूरी है सरकार और संस्थाओं ने माहवारी संबंधी जनजागरूकता लाने के लिए विभिन्न योजनाएं शुरू कीं, लेकिन अब भी देश का हर कोना इस जागरूकता से कोसों दूर है। यह सच है कि अब भी लाखों लोग माहवारी को समाज में इस पर बात करने से संकोच करते हैं। इसके लिए सबसे पहले लैंगिक भेद मिटाना जरूरी है।साथ ही इसके तहत माहवारी से जुड़े स्वास्थ्य, स्वच्छता, पानी और साफ-सफाई की अनिवार्यता और यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य एवं अधिकार के विषयों पर विशेष जोर देने की आवश्यकता है।
किशोरियों तथा महिलाओं के लिए कार्य करने वाली सहयोगी संस्था निर्देशिका रजनी सहाय ने बताया बताया अब मासिक धर्म के विषय में चुप्पी तोड़ने का समय आ गया है। इससे लिए लड़कों और पुरुषों को बातचीत से जोड़ा जाना चाहिए, ताकि मासिक धर्म एक सामान्य चर्चा का विषय बन सके और महिलाएं विभिन्ना वर्जनाओं की बेड़ियों से मुक्त होकर बराबरी एवं गरिमापूर्ण जीवन व्यतीत कर सके। संस्था द्वारा एक सप्ताह तक विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन कर लोगों को जागरूक किया गया.
इन कार्यक्रम का हुआ आयोजन:
माहवारी स्वछता से संबंधित एक सप्ताह तक विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन हुआ जिसके अंतर्गत कार्यक्रम में माहवारी मेला, जेंडर रिसोर्स सेंटर की स्थापना, माहवारी स्वच्छता प्रबंधन प्रशिक्षण, रेड डॉट, माहवारी ब्रेसलेट, पेंटिंग, सोप बैंक तथा पैड बैंक तथा पहली माहवारी का अनुभव सांझा किया गया.
माहवारी मेला – जब हमने स्कूल में माहवारी मेला लगाया तो पहले तो किशोरियाँ मे झिझक महसूस हुई फिर हमारे किशोर देखने आए कि ये क्या हो रहा है हमारे स्कूल में पहले तो कभी कुछ ऐसा हुआ नहीं, हमने उनसे पूछा हमारी मदद करोगे और सहमति देने के साथ किशोर हमारी सजावट में मदद करने को आए और साथ अपने दोस्त भी लाए।
वो कुछ बोल नहीं रहे थे लेकिन हमारे साथ थे। मेला में जब हमारी किशोरियाँ तथा स्कूल की महिला शिक्षक शामिल हुई तो उन्हे हमारे लगाए हुए मेला बहुत अच्छा लगा, क्योंकि उन्हें पहले कभी वो माहौल नहीं मिला था कि वो माहवारी संबंधित सवाल या चर्चा करें। मेले में पैड तथा पैंटी लगाई थी कुछ किशोरियाँ शर्मा रही थी आपस में अपनी सहेलियों से कान में बात कर रही थी।
जेंडर रिसोर्स सेंटर (लिंग संसाधन केंद्र)
लिंग संसाधन केंद्र स्थापना करने का उद्देश्य किशोरियों के मन में आने वाले सवाल जिनका जवाब वो किसी से पूछ नहीं सकती अर्थात शुरू से उनको वो माहौल नहीं मिला है कि वो अपनी मन की बात/ सवाल कर सकें। बनाए गए लिंग संसाधन केंद्र महीने में दो मुद्दे पर चर्चा किया जाएगा और उनको बक्से में सवाल लिख कर डालने को कहा जाएगा, उनके द्वारा आए आए सवाल के लिए ज़ूम मीटिंग रखा जाएगा और मुद्दे के एक्सपर्ट को जोड़ कर उनको सवाल का जवाब मिलेगा, ऐसा करने से किशोरियों तक जानकारी भी पहुँच जाएगी और धीरे-धीरे उनका हिचकिचाहट भी कम होगा।
माहवारी स्वच्छता प्रशिक्षण:
किशोरियों के मन में बहुत सारे सवाल होते है माहवारी को ले कर लेकिन कभी वो किसी से पूछ नहीं पाती है। हमारे यहां अधिकांश किशोरियों को माहवारी होने के बाद पता चलता है की माहवारी क्या है क्यों होता है तथा इसके बाद क्या करना है। प्रशिक्षण में किशोरियों से अपेक्षाएं पूछी गई, माहवारी के किशोरियों के शरीर में क्या बदलाव आता है तथा माहवारी के दौरान घर में क्या – क्या करने को मना किया जाता है तथा क्या छूने से मना किया जाता है।