#MNN@24X7 दरभंगा, दिनांक 02/04/2023 की संध्या को डॉ नीरज मिश्र लिखित गणित की पुस्तक “मैथ्स इज फन” का लोकार्पण किया गया. लोकार्पण समारोह की अध्यक्षता हिन्दी के विशिष्ट विद्वान प्रोफेसर अजीत कुमार वर्मा ने किया. प्रोफेसर वर्मा ने गणित को मानव सभ्यता का अनुपम विधा बताया. ज्ञान की विधा चाहे साहित्य हो, संगीत हो, विज्ञान हो या कला का कोई क्षेत्र हो, सभी एक दूसरे पर आश्रित हैं और एक दूसरे के पूरक हैं.
पुस्तक के बारे में अपनी लेखकीय अनुभवों एवं गणित के विभिन्न प्रसंगों की चर्चा की. वैदिक गणित में ऐसे बहुत से टिप्स हैं, जिसका प्रयोग कर गणित अध्ययन को सुगम और रुचिकर बना सकते हैं. पुस्तक परिचय विश्वविद्यालय गणित विभाग के युवा गणितज्ञ डॉ विपुल ने प्रस्तुत किया. गणित की रोचक विशेषताओं की चर्चा की और कहा कि इस तरह की पुस्तकों द्वारा बच्चों के बीच गणित को रोचक बनाया जा सकता है. गणित को बोझिल बताया जाता है, किन्तु अंकों से खेलना, प्यार करना बच्चों को इस पुस्तक के माध्यम से सिखाया जा सकता है.
प्रोफेसर सुदिष्ट मिश्र ने पुस्तक को आवश्यक हथियार बताया, जिसके द्वारा बच्चों, प्रतियोगिता परीक्षार्थियों को शीघ्र गणितीय गणना में प्रवीण बनाया जा सकता है।
ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के गणित विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर हरिश्चन्द्र झा ने कहा कि गणित की जटिलता को इस प्रकार की पुस्तकों को आसान किया जा सकता है. गणित अंकों पर आधारित विज्ञान है, और जब तक आप अंकों को नहीं समझते हैं, तब तक विज्ञान का समुचित विकास नहीं हो सकता है. केन्द्रीय विद्यालय के डॉ राजाराम ठाकुर और डॉ राजकुमार चौधरी ने भी पुस्तक की विशिष्टता पर प्रकाश डाला.
उत्तर प्रदेश यांत्रिक महाविद्यालय के प्रोफेसर माया नाथ मिश्र ने कहा कि अब तो मेडिकल साइंस भी बिना गणित के आगे नहीं बढ़ सकता है. ज्ञान के सभी क्षेत्र में प्रवीणता के लिए मेहनत और प्रयास की आवश्यकता है. और मेहनत से गणित को भी साधा जा सकता है, इस साधने की प्रक्रिया को इस तरह की पुस्तकों से आसान बनाया जा सकता है.
इस अवसर पर रामजानकी सेवा ट्रस्ट की ट्रस्टी डॉ वसुधा नायक ने पाग, माला, शाल से लेखिका डॉ नीरज मिश्र को सम्मानित किया और डॉ जगत नारायण नायक ने गणित की कठिनता पर एक स्वरचित कविता सुनाया.
मैथिली के साहित्यकार प्रोफेसर भीमनाथ झा ने लेखिका को शुभकामनाएं दी. सुश्री अनन्या ने गणित की कठिनता को हल करने में अपनी नानी की इस पुस्तक को काफी आकर्षक बताया. प्रसिद्ध इतिहासकार प्रोफेसर रत्नेश्वर मिश्र ने अध्यक्षीय उद्बोधन के बाद आशिर्वचन दिया.
धन्यवाद ज्ञापन छाया झा ने किया और मंच संचालन डॉ अवनीन्द्र कुमार झा ने किया.
इस मौके पर इतिहास विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रोफेसर तुला कृष्ण झा, राजनीति विज्ञान के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रोफेसर अनिल कुमार झा, सहित अनेक गणमान्य विद्वत जन उपस्थित थे.