महाशिवरात्रि पर सिद्धेश्वर नाथ मंदिर में होती है चारों पहर शिव विवाह पूजन की रस्म अदायगी संग विशेष पूजा
मनोकामना सिद्धि के लिए प्रसिद्ध हैं बाबा सिद्धेश्वर नाथ
करीब दो सौ वर्ष प्राचीन है टटुआर पंचायत के बिशौल गांव में अवस्थित यह मंदिर
लगातार 41 वर्षों से यहां मनाया जाता है महाशिवरात्रि महोत्सव
#MNN@24X7 दरभंगा। शिव व शक्ति की उपासना के लिए मिथिला सदियों से विख्यात रहा है। मिथिला का शायद ही कोई गांव ऐसा हो जहां शिव का मंदिर मौजूद न हो। मनीगाछी प्रखंड के टटुआर पंचायत अंतर्गत बिशौल गांव में अवस्थित प्राचीन सिद्धेश्वर नाथ महादेव मंदिर काफी प्रसिद्ध है। भक्तों का मानना है कि निर्मल मन से बाबा सिद्धेश्वर नाथ के दरबार में हाजिरी लगाने वालों के मन की मुराद निश्चय ही पूरा होती है।
मंदिर में लगे शिलापट्ट के अनुसार नर्मदा कुंड से प्राप्त शिव दंपति व गणेश की मूर्ति के साथ शिवलिंग की स्थापना 1763 शाके की चैत्र शुक्ल दशमी बृहस्पति को महान शिव उपासक एवं अपने समय के प्रकांड विद्वान सिद्धेश्वर नाथ मिश्र ने की। जानकार बताते हैं कि यहां स्थापित तीनों मूर्तियों में से दो मूर्तियां गिरजापति भगवान शिव की सायुज्य मुक्ति की प्राप्ति के लिए तथा तीसरी गणेश की मूर्ति के साथ शिवलिंग की स्थापना सकल अभिलाषित मनोकामना की शीघ्र प्राप्ति के लिए की गई है। मंदिर में प्रवेश करते ही यहां स्थापित शिवलिंग भक्तों को विशेष रूप से आकर्षित करता है।
समय के प्रवाह में खंडहर में तब्दील हो चुके इस मंदिर का वर्ष 1982 में ग्रामीणों ने एकजुट होकर जीर्णोद्धार कराया और तब से बड़े ही धूमधाम के साथ यहां चार दिवसीय महाशिवरात्रि महोत्सव का आयोजन किया जाता है। सिद्धेश्वर नाथ महादेव के प्रति बिशौल व टटुआर सहित आसपास के पड़ोसी गांव के लोगों में आस्था का भाव इस कदर है कि शिवरात्रि के अवसर पर सैकड़ों काँवड़िया सिमरिया से पैदल गंगाजल लाकर यहां जलाभिषेक करते हैं। जिसमें सभी जातियों के बच्चे, बूढ़े और महिलाएं शामिल होते हैं।
अब मंदिर परिसर में माता पार्वती की मंदिर में स्थापना होने से स्थानीय लोगों सहित आसपास के ग्रामीण इलाकों में महाशिवरात्रि महोत्सव की भव्यता विशेष आकर्षण में बनी हुई है।
यह भी कम रोचक नहीं कि महाशिवरात्रि में यहां शिव की बारात आस-पास के गांवों से हजारों की संख्या में ब्रह्मा, विष्णु, महेश तथा भूत-पिशाच आदि की झांकी के साथ पहुंचती है। शिवरात्रि में चारों पहर शिव विवाह की पूजन रस्म अदायगी के साथ आकर्षक धार्मिक, साहित्यिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। प्रातः काल मंदिर प्रबंधन समिति के नेतृत्व में आकर्षक कलश यात्रा निकाली जाती है। जिसमें कुमारी कन्याओं द्वारा कलश में जल लिए सिमरिया से पैदल गंगाजल लाने वाले कांवरियों की अगुवाई गांव की सीमा से ढोल-नगाड़े के साथ की जाती है। प्रबंधन समिति द्वारा महाशिवरात्रि के मौके पर इस वर्ष कथावाचक श्रीनटवर महाराज के श्रीमुख से श्रीरामकथा वाचन का भक्तिमय आयोजन किया जा रहा है। यह कथा आगामी 22 फरवरी तक चलेगी।