#MNN@24X7 दरभंगा, 19 जनवरी। बिहार सरकार के समाज कल्याण मंत्री मदन सहनी ने पत्रकारों को समाज का पहरेदार बताते हुए कहा कि समाज मे समरसता बनाए रखने में पत्रकारों की अहम भूमिका है।
ख्यातिलब्ध पत्रकार स्वर्गीय रामगोविंद प्र० गुप्ता की 27वीं पुण्यतिथि पर सामाजिक समरसता और पत्रकारों की भूमिका विषयक संगोष्ठी को संबोधित करते हुए मदन सहनी ने कहा कि जनता बहुत सूझ बूझ के साथ, ऊंच-नीच, जात-पात से ऊपर उठकर अपने प्रतिनिधि का चयन करें तभी सामाजिक समरसता कायम रह सकती है।
पत्रकारों को भी अपनी भूमिका निभानी होगी और ऐसे खबरों को प्रमुखता देनी होगी जिससे सामाजिकता का प्रवाह अविरल रहे।
मदन सहनी ने कहा कि पत्रकार सामाजिक पहरेदार की भूमिका में रहते हैं और सामाजिक समरसता बरकरार रखने की अहम जिम्मेदारी भी इन्हीं के कंधों पर होती हैं। स्वगीर्य रामगोविंद प्रसाद गुप्ता भी ऐसे ही पत्रकार थे। उन्होंने समाज के बेहतरी के लिए अनेक कार्य किए है। यही कारण है कि वर्षों बाद भी हम उन्हें नहीं भूले है।
मदन सहनी ने कहा कि सिर्फ राज्य सरकार के चाहने से समाज और राष्ट्र का विकास नहीं हो सकता है इसके लिए जरूरी है कि पत्रकारों के साथ साथ आम लोग भी आगे आए। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार अंतिम पंक्ति के लोगों को आगे लाने के साथ साथ सामाजिक एकता और सौहार्द कायम रखने के लिए सदैव तत्पर है।
मंत्री मदन सहनी ने बेबाकी से राज्य सरकार की योजनाओं की जानकारी भी दी। दरभंगा एम्स के मुद्दे पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के रूख का समर्थन करते हुए बताया कि अगर डीएमसीएच की जमीन पर शहर के बीचों एम्स बनता तो दरभंगा शहर में हमेशा जाम की ही स्थिति रहती हैं।साथ ही जगह कम जाने से डीएमसीएच के अस्तित्व पर खतरा उत्पन्न हो जाता। मुख्यमंत्री ने एम्स के लिए दरभंगा में जिस दूसरी जगह का निरीक्षण किया है। वो सबसे अधिक बेहतर है और इससे दरभंगा शहर का विकास होगा।
समाज कल्याण मंत्री मदन सहनी ने कहा की पत्रकारों की संगोष्ठी में आकर मैं धन्य हो गया हूं लोग समारोह में अपनी बात कह कर अपने को गौरवान्वित महसूस करते हैं जबकि मैं आज यहां वक्ताओ का विचार सुनकर प्रभावित हुआ हूं और इससे मैं अन्य लोगों तक पहुंचाऊंगा।
मुख्य वक्ता के रूप में मौजूद ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के राजनीति शास्त्र विभागाध्यक्ष सह सामाजिक एवं राजनीतिक चिंतक डॉ० जितेन्द्र नारायण ने कहा कि जैसे रस सूख जाने के बाद गन्ना सूखी लकड़ी के सदृश्य बन जाता है उसी तरह के हालात समरसता विहीन समाज की बन जाती हैं। इसी सामाजिक समरसता को बनाए रखने के लिए कबीर, रसखान आदि ने प्रयास किया है। आधुनिक युग में बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर ने भी भारतीय समाज में इसी समरसता को स्थापित कर आगे बढ़ाया है। समरसता के अभाव में समाज ही नहीं मुल्क भी बिखर जाता है। इसके उदाहरण के तौर अफगानिस्तान, पाकिस्तान आदि मुल्कों को देखा जा सकता है। जिसने प्रेम और सौहार्द के बजाय आतंक की स्थापना की वो राष्ट्र बर्बादी के मुहाने पर पहुंच गया। जहां संघर्ष होगा वहां निर्माण नहीं हो सकता है। भारत निर्माताओं का देश है और यहां के दर्शन, संस्कृति सब के मूल में सामाजिक समरसता स्थापना का ही बीज समाया हुआ रहा है। इसे नष्ट करने के लिए विदेशी आक्रांताओं ने भी सामाजिक समरसता का गर्दन तोड़ने का प्रयास किया। समाज में ऊंच, नीच के भेदभाव को जन्म दिया।भारतीय समाज में तो योग्यता आधारित व्यवस्था कायम थी और व्यक्ति अपनी प्रतिभा के अनुकूल प्रतिष्ठित होता था पर गांठ बांधने वालों ने अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए जाति, पाति का विभाजन किया।जिससे सामाजिक समरसता प्रभावित हुआ। भारतीय सामाजिक व्यवस्था को बाहर से आए लोगों ने ही छिन्न-भिन्न करने के उद्देश्य से ऊंच-नीच के भेद को स्थापित किया।बाबा साहेब ने इस तथ्य को समझा और यही कारण है कि उन्होंने कभी भी राष्ट्र विभाजन का समर्थन नहीं किया।
डॉ० नारायण ने बताया कि समाज मे फैली गांठ समरसता को भंग कर देता है। यदि गांठ को साफ कर दिया जय तो समाज मे समरसता कायम हो जायेगी। भारत के पत्रकार जान की बाजी लगाकर भी सामाजिक समरसता कायम रखते है। यदि समाज मे समरसता नही रही तो सभ्यता नहीं बचेगी। पश्चिमी देशों में समाज के हितों के बजाय व्यक्ति हित की बात होती है।यही कारण है कि निर्माण के वजाय विध्वंस हो रहा है। वर्ग की बात करने वाला सामाजिक समरसता को नही समझ सकता है।
इससे पूर्व विषय प्रवेश कराते हुए हिन्दी के वरिष्ठ साहित्यकार सह पत्रकार डॉ सतीश कुमार सिंह ने समरसता शब्द की गहनता से व्याख्या की और बताया कि सामाजिक स्तर पर समरसता से भारतीयता का बोध होता है। यही वो तत्व है जो विविधता से घिरे देश को एकसूत्र में पिरोता है।सामाजिक समरसता को बनाए रखने में समाज सुधारकों, राजनेताओं का जो रॉल होता है उससे भी बड़ी भूमिका पत्रकार निभाते हैं।एक पत्रकार का धर्म होता है कि वो समाज को यथार्थ से अवगत कराए। समाजिक समरसता में उत्पन्न दरार को पाटने का काम पत्रकार ही करते हैं।
संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए पत्रकार डॉ० कृष्ण कुमार ने कहा कि पत्रकारिता स्वच्छ रहेगी तो सामाजिक समरसता कायम रहेगी, जिसका मिशाल भारतीय पत्रकारिता में मिलती है।
कार्यक्रम के आरंभ में स्व० पत्रकार रामगोविंद प्रसाद गुप्ता की तस्वीर पर पुष्प माला अर्पित कर लोगों ने श्रद्धांजलि दिया। अतिथियों का स्वागत प्रदीप गुप्ता ने किया। जबकि धन्यवाद ज्ञापन प्रमोद गुप्ता ने दिया। कार्यक्रम का संचालन डॉ रामचंद्र चन्द्रेश ने किया।