#MNN@24X7 भारतीय संस्कृति में स्वास्थ्य का स्थान धन से ऊपर माना जाता रहा है। शायद इस विचार को हमारे मनीषियों ने युगों पहले ही भांप लिया था कि अच्छी सेहत ही सबसे बड़ी दौलत है। वास्तव में यह दिवस है धन्वंतरी भगवान तथा आयुर्वेद के लिए है। कहा जाता है कि धनतेरस में धन-धान्य के साथ अच्छे स्वास्थ्य की कामना की जाती है।यानी कि यह पर्व धन की उपासना से साथ आरोग्य की उपासना के महत्व को समझा रहा है। शास्त्र में वर्णित कथाओं के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन भगवान धन्वंतरि अपने हाथों में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। वह कलश के साथ प्रकट हुए, इसीलिए लोगों में मान्यता फैल गई, और लोग बर्तन तथा द्रव्य क्रय करने लगे,परंतु यह सही नहीं है। हमें इस प्रथा का अधिक प्रसार नहीं करना चाहिए। इस प्रथा का कोई मतलब ही नहीं है। भगवान धन्वंतरि कलश लेकर प्रकट हुए इसीलिए बाजार से बर्तन खरीदना यह उचित नहीं।
भगवान धन्वंतरि को भगवान विष्णु का अंश माना जाता है और इन्होंने ही संसार में चिकित्सा विज्ञान का प्रचार और प्रसार किया। वास्तव में यह दिवस धन्वंतरी भगवान तथा आयुर्वेद के लिए है। आयुर्वेद में धन शब्द का अभिप्राय स्वास्थ्य से है,मगर अधिकांश लोग धन को मुद्रा समझते हैं इसीलिए अज्ञानता वश अर्थ का अनर्थ हो जाता है। जहां लोगों को स्वास्थ्य धन की वृद्धि करनी चाहिए वहां लोग आर्थिक धन की वृद्धि के उपाय में लग जाते हैं।
धनतेरस मनाने का मुख्य उद्देश्य यही होना चाहिए कि, हम आयुर्वेद के सिद्धांतों को समझें और अपने शरीर को स्वस्थ रखें। क्योंकि अगर शरीर स्वस्थ नहीं रहेगा तो कभी दांत दर्द, कभी पीठ दर्द तो कभी कमर दर्द। इन सबसे और कमजोर शरीर होने के कारण मनुष्य का ध्यान भटकता है।अतः आयुर्वेद में सबसे बड़ा धन स्वस्थ को कहा जाता है। इसलिए हमें बाह्य आडंबर में नहीं फस कर,हमारा मुख्य उद्देश्य यही होना चाहिए कि हमारे घर का माहौल साफ सुथरा और स्वच्छ रहे, साथ ही हमारे घर के बच्चे, बुजुर्ग और सभी सदस्य स्वस्थ रहें।