नारी के बिना नर की कल्पना नहीं : प्रोवीसी
महिला शक्ति की प्रतीक : डीएसडब्ल्यू
दरभंगा। संस्कृत विश्वविद्यालय के प्रोवीसी प्रो0 शिद्धार्थ शंकर सिंह ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर आयोजित संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए कहा कि नारी नहीं तो नर की कल्पना नहीं।नारी सृष्टि का संचार करती है। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस तो पाश्चात्य देशों के लिए है। भारतीय सभ्यता में तो नारी शक्ति का , समृद्धि का एवम सम्मान का द्योतक है।यहां नारी पूजा का विधान सनातनी व्यवस्था है जबकि अन्य देशों में महिला सम्मान का कोई खास दिन होता है। अपने चेम्बर में आयोजित कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए प्रोवीसी प्रो0 सिंह ने कहा कि भारतीय परंपरा में मातृ पक्ष व पितृ पक्ष दोनों का शास्त्रीय विधान है। दोनों को विविध रूपों में हमलोग रोज पूजते हैं। उन्होंने कहा कि यूक्रेन-रूस में छिड़ी जंग के बीच वैसे तो सभी की सुरक्षा व संरक्षा जरूरी है लेकिन खासकर यूक्रेनी महिलाओं को तरजीह मिलनी चाहिए। नारी सम्मान में जात -पात व धर्म का कोई स्थान नहीं होता है।
उक्त जानकारी देते हुए पीआरओ निशिकांत ने बताया कि संगोष्ठी के दौरान विश्वविद्यालय की महिला शिक्षक व शिक्षकेतर कर्मियों को एक पुष्प व एक कलम देकर सम्मानित किया गया। सम्मानित होने वाली कर्मियों में डॉ0 साधना शर्मा, डॉ सविता आर्या, रोशनी सिंह, मन्नू कुमारी, स्मृति कुमारी, प्रीता देवी, जैबू निशा व रिंकू झा शामिल हैं।
वहीं प्रोवीसी के संरक्षण में सम्पन्न संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए डीएसडब्ल्यू प्रो0 सुरेश्वर झा ने कहा कि महिला अपने आप मे एक पूरी संस्था है। जहां इन्हें सम्मान मिलता है वहां विकास होता है और जहां इन्हें अपमानित किया जाता है वहां विनाश सुनिश्चित है। रावण बध व महाभारत इसके ज्वलन्त उदाहरण हैं। शास्त्र में भी वर्णित है कि जहां नारी की पूजा होती है वहां देवता का वास होता है।ऐसे में देखें तो अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का आयोजन भारतीय सभ्यता की जीत है। भारत की सोच को विश्व के अन्य देशों ने भी स्वीकारा है। कुलसचिव प्रो0 एसएन सिंह ने कहा कि अगर समाज को व देश को सम्मान पाना है तो महिलाओं को सम्मानित करना ही होगा।
अन्य वक्ताओं में जदयू के प्रवक्ता अजित चौधरी,मदन प्रसाद राय, डॉ0 यदुवीर स्वरूप शास्त्री शामिल थे। सभी ने आधी आबादी की महत्ता पर प्रकाश डाला। मौके पर एफओ रतन कुमार, डॉ धैर्यनाथ चौधरी समेत कई कर्मी मौजूद थे।