इलेक्टोरल बांड के चंदे ने “खेत खाय गदहा मार खाय जोलहा” वाली कहावत को चरितार्थ किया- सुरेंद्र प्रसाद सिंह।
#MNN@24X7 समस्तीपुर, 17 मार्च, इलेक्टोरल बांड के चंदे का नतीजा है उपकरणों समेत अन्य सामानों की बढ़ती कीमत। इसके तहत कंपनियां ईडी, आईटी आदि से बचने को अपनी सोची-समझी रणनीति के तहत सरकार को मनमाना चंदा देकर चुप रहने को मजबूर कर दी और इसके एवज में अपने उत्पादों की कीमत मनमाना तौर पर बढ़ाने का रास्ता साफ कर लिया। यही कारण है कि इलेक्टोरल बांड लागू होते ही सामानों की कीमत आकाश छूने लगी। 50-60 हजार रुपये की बाईक करीब लाख रूपये, 60 हजार की स्कूटी लाख पार, 9 हजार रूपए का फ्रीज 18 हजार, 7-8 हजार रूपये का वाशिंग मशीन 15 हजार की उच्च कीमत तक पहुंच गई। ऐसा नहीं है कि महंगाई सिर्फ निजी क्षेत्र में ही बढ़ी। सरकारी नियंत्रित वस्तु मसलन डीजल, पेट्रोल, रसोई गैस समेत अन्य चीजों की कीमत भी दोगुना हो गये। हालांकि जीएसटी भी महंगाई बढ़ाने में कोई कम भूमिका अदा नहीं की।
इन बढ़ती कीमतों का मार अंतिम तौर पर उपभोक्ताओं को ही झेलना पड़ रहा है। यहां “खेत खाय गदहा मार खाय जोलहा” वाली कहावत चरितार्थ होता दिखा। इलेक्टोरल बांड से चंदा मिला भाजपा समेत अन्य राजनीतिक दलों को भरपाई करना पड़ रहा है आम नागरिकों को। चर्चित सामाजिक- राजनीतिक कार्यकर्ता सुरेंद्र प्रसाद सिंह ने इलेक्टोरल बांड चंदा मामला पर रविवार को प्रेस विज्ञप्ति जारी कर अपनी राय व्यक्त की।