#MNN24X7 दरभंगा, कृषि विज्ञान केंद्र जाले दरभंगा के पौध संरक्षण वैज्ञानिक डॉ गौतम कुणाल के द्वारा जलवायु अनुकूल कृषि परियोजना अंतर्गत चयनित ग्राम ब्रहमपुर में एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का मूल उद्देश्य खरीफ फसलों में लगने वाली खरपतवारों की पहचान तथा उसके नियंत्रण के बारे में कृषकों को बताना था।

इस कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कृषकों को संबोधित करते हुए बताया कि बारिश के अभाव के कारण जिले में अभी तक नाम मात्र की हीं धान की बुआई और रोपाइ का कार्य हो पाइ है। और जिन्होंने रोपाई की है, वह अपने बिचड़े को बचाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं। किसानों ने झूझलाते हुए अपनी परेशानी को विशेषज्ञों के सामने व्यक्त, कर आशा की उम्मीद लिए बैठे थे। उन लोगों ने कहा की एक तो गर्मी की वजह से खेतों में नमी बिल्कुल भी नहीं है वहीं दूसरी तरफ खरपतवार भी फसल को बर्बाद करने में जरा भी पीछे नहीं हट रहे हैं। किसानों की समस्याओं को सुन अवलोकन कर विशेषज्ञ डॉक्टर गौतम कुणाल ने उन्हें धैर्य रखने को कहा और उन्हें यह सलाह दी की वे अपने बिछड़े की देखभाल निरंतर और यथासंभव पंपसेट से या किसी अन्य संसाधन से उन में नमी बनाए रखें।

आज के कार्यक्रम की विषय के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि जहाँ खेती में मौसम परिवर्तन, रोग तथा कीट से नुकसान उठाना पड़ता है। वहीं खरपतवार भी किसानों के लिए एक प्रमुख्य समस्या बन गया है। यह न केवल मिट्टी से फसल के साथ पौषक तत्वों का समान रूप से दोहन करता है बल्कि खरपतवार का असर फसल के उत्पादन पर भी देखने को मिलता है | कुछ खरपतवार फसल की बुवाई से पहले उग आते हैं तो कुछ खरपतवार फसल के बुवाई के बाद फसल के साथ अंकुरित होते है |

अतः इसके नियंत्रण हेतु उन्होंने किसानों से अपील की है कि धान रोपाई के दो-तीन दिन के अंदर खरपतवार नियंत्रित करने के लिये प्रिटीलाक्लोर दवा 1250 मिलि प्रति हेक्टेयर के दर से छिड़काव करें। साथ हीं धान की फसल में चौड़ी पत्ते वाले खरपतवारों के नियंत्रण के लिये रोपाई के दो-तीन दिन के अंदर पाइरोजोसल्फ्यूरॉन दवा 80-100 ग्राम प्रति 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से उपयोग में लाएं। यदि दो-तीन दिन के अंदर खरपतवार नाशी दवा उपयोग न कर पाया हो तो घास कुल के मौथा तथा पत्ते वाले खरपतवारों के नियंत्रण के लिये धान रोपाई के 15-20 दिन के अंदर विसपायरिवेक सोडियम 100 मिलि. दवा प्रति 200 लीटर पानी में मिलाकर 1 एकड़ में उपयोग करें।

कार्यक्रम के दौरान जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम के शोध सहायक डॉ संदीप कुमार, प्रगतिशील किसान रजत ठाकुर, बैदनाथ ठाकुर, आनंद किशोर ठाकुर, सीमा कुमारी, अवधेश कुमार ठाकुर, संजय कुमार ठाकुर समेत कुल 116 कृषक उपस्थित रहे। कृषि विज्ञान केंद्र के द्वारा चलाई जा रही सभी कार्यक्रम कार्यक्रमों का कृषकों ने काफी प्रशंसा की और ऐसे ही निरंतर तकनीकी सहायता की इच्छा व्यक्त की।