रसायन विज्ञान, भौतिकी दर्शनशास्त्र तथा संस्कृत विभाग में जाकर 3 सदस्यीय टीम ने तैयारी देख दिया आवश्यक सुझाव
#MNN@24X7 ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के स्नातकोत्तर विभागों की नैक तैयारी- निरीक्षण के उद्देश्य प्रति कुलपति प्रोफेसर डॉली सिन्हा के नेतृत्व में तीन सदस्यीय टीम ने स्नातकोत्तर रसायन शास्त्र, भौतिकी, दर्शनशास्त्र तथा संस्कृत विभाग जाकर नैक तैयारी को देखा, पूछताछ की तथा आवश्यक सुझाव भी दिया। टीम में आइक्यूएसी निदेशक डा मो ज्या हैदर तथा डा दिवाकर झा शामिल थे।
टीम ने संबंधित विभागाध्यक्ष एवं विभागीय आइक्यूएसी कोऑर्डिनेटर से सत्र 2017- 18 से अद्यतन 5 वर्षों के दौरान स्नातकोत्तर अध्ययन एवं शोध कार्य हेतु नामांकित तथा पासआउट छात्र- छात्राओं का कोटीवार संख्या, परीक्षा परिणाम तथा उनकी प्रगति की विस्तृत रिपोर्ट रखने का निर्देश दिया। विशेषकर दर्शनशास्त्र तथा संस्कृत विभाग के शिक्षकों को छात्रों के नामांकन बढ़ाने की कार्य योजना बनाने का सुझाव दिया। विभाग द्वारा संपादित शैक्षणिक, सामाजिक एवं अन्य कार्यक्रमों के संक्षिप्त विवरण के साथ ही जियो टैग फोटो, प्रतिभागियों के हस्ताक्षर रजिस्टर तथा उनके फीडबैक सहित अन्य साक्ष्यों के डॉक्यूमेंटेशन को आवश्यक बताया।
उन्होंने अन्य समकक्ष संस्थाओं से हुए एमओयू साइन के उपरांत संयुक्त तत्वावधान में संपादित कार्यक्रमों के फोटो तथा उसके आउटपुट को दर्ज करने को कहा। टीम ने विभागाध्यक्ष को विश्वविद्यालय के विजन एवं मिशन के अनुरूप अपने- अपने विभाग के विजन एवं मिशन का बोर्ड लगाने का सुझाव दिया।
प्रति कुलपति ने कैरियर काउंसलिंग प्रोग्राम, प्लेसमेंट रजिस्टर, ऑनलाइन या ऑफलाइन काउंसलिंग तथा विभाग के बेस्ट प्रैक्टिस के प्रमाणों को भी रखने का सुझाव दिया। उन्होंने स्थानीय, क्षेत्रीय, राष्ट्रीय एवं वैश्विक दृष्टि से प्रासंगिक पाठ्यक्रम को देखने की जरुरत बताई।
आइक्यूएसी निदेशक डा हैदर ने विभागीय शोध परिषद् , स्टूडेंट प्रोग्रेस रिपोर्ट रजिस्टर, एलुमनाई रजिस्टर,डिपार्टमेंटल काउंसिल, पुस्तक इश्यू रजिस्टर तथा पासआउट छात्रों के टीआर आदि के बेहतर रखरखाव का सुझाव दिया,ताकि नैक पियर टीम को बेहतर ढंग से प्रस्तुत किया जा सके।
टीम के सदस्य डा दिवाकर झा ने विभागीय सभी शिक्षकों के बेहतर प्रोफाइल बनाने, मेंटर- मेंटी तथा एक्सटेंशन एक्टिविटी आदि की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने विगत 5 वर्षों में पीएच डी एवआर्डएड शोधार्थियों के विस्तृत विवरण तैयार करने का सुझाव दिया। इस अवसर पर संबंधित विभागों के विभागाध्यक्ष, शिक्षक तथा शिक्षकेतर कर्मी उपस्थित थे।