निर्देश’क आलोक में सीएस, सब प्रभारी के जैव अपशिष्ट प्रबंधन क्रियान्वयन केर जारी कएलन्हि निर्देश।
मधुबनी,16 नवंबर। सरकारी अस्पताल सबहक परख जैव चिकित्सा अपशिष्ट (बायो मेडिकल वेस्ट) प्रबंधन केर मानक सब पर कैल जाएत। जकर मुताबिक हुनका नहि बस एकर उचित इंतजाम कर पड़तन्हि, संगहि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सं प्रमाण पत्र सेहो लेल जाएत। हरेक अस्पताल में जैव आ चिकित्सकीय कचरा उत्पन्न होईत अछि।जे आन लोक सबहक लेल खतरा के कारण बइन सकैत अछि। एकरा देखैत एहि कचरा के उचित प्रकारक निस्तारण करेबाक प्रावधान सेहो अछि।
जैव चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन नियमावली 2016 में पारित कैल गेल नियम में प्रावधान सबकेँ और कड़ा कैल गेल अछि। हरेक अस्पताल, अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र आ स्वास्थ्य उपकेंद्र के 26 नवंबर तक प्राधिकार प्राप्त करबाक अनुरोध कैल गेल अछि। राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण में पारित आदेश सबहक अनुसारे पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति के रूप में प्रति महीना1 करोड़ रुपया वसूलल जा सकैत अछि। कानून क मद्देनजर स्वास्थ्य विभाग के कार्यपालक निदेशक संजय कुमार सिंह, सिविल सर्जन के चिट्ठी जारी कैल गेल अछि। चिट्ठी में साफ कैल गेल अछि जे सब अस्पताल सबकेँ लेल एक नोडल अधिकारी नामित कैल जाएत ।
नोडल अधिकारी सबकेँ जिम्मेदारी हेतैन्ह जे ओ प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सं लाइसेंस हासिल करैथ। संग हि जैव चिकित्सा अपशिष्ट समिति केर गठन कराओल जाएत। यैह नहि, अस्पताल’क सबटा अधिकारी आ कर्मचारी लोकनि कें टीकाकरण के माध्यमे प्रतिरक्षित आ जैव चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन पर प्रशिक्षण सेहो मुहैया करब पड़तन्हि। सिविल सर्जन डॉ सुनील कुमार झा कहलनि जे नव आदेश’क तहत कार्रवाई कराओल जा रहल अछि। सबटा प्रभारी चिकित्साधिकारी लोकनि के निर्देश सेहो पठाओल गेल अछि।
बायो-मेडिकल वेस्ट केर उचित प्रबंधन पर्यावरण के राखैत अछि स्वच्छ:
सिविल सर्जन डॉ सुनील कुमार झा कहलनि जे जैव चिकित्सा अपशिष्ट सं हुअ बला संभावित खतरा आ एकर उचित प्रबंधन जेना की- अपशिष्ट सबकेँ सेग्रिगेशन, कलेक्शन भंडारण, परिवहन आ बायो-मेडिकल वेस्ट केर उचित प्रबंधन जरूरी अछि। एकरा सही तरीका सँ निस्तारण नहि हेबा सं पर्यावरण के बहुत नुकसान पहुँचैत अछि।जौं एकर उचित प्रबंधन नहि हों तखन मनुष्य के संगहि संग पशु- पक्षि सबकेँ सेहो एहिसँ खतरा अछि। एहि लेल जैव चिकित्सा अपशिष्ट सबकेँ ओकर कलर-कोडिंग के अनुसारे ही सेग्रिगेशन कैल जेबाक चाही।