#MNN@24X7 कानपुर, पीसीएस अधिकारी ज्योति मौर्या और उनके पति आलोक मौर्या के बीच का मसला सोशल मीडिया पर खूब सनसनी पैदा कर रहा है।ज्योति मौर्या इन दिनों सोशल मीडिया और लोगों की जुबान पर हैं।उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात में भी आलोक मौर्या और ज्योति मौर्या जैसा मामले सामने आया है।इसमें भी शादी, नौकरी, बेवफाई फिर धमकी वाले हालात देखने को मिल रहे हैं।पत्नी की लगन देखकर उसे पढ़ा-लिखा कर काबिल बनाने का सपना देखने वाला पति आज दर-दर की ठोकर खा रहा है।
पति द्वारा पत्नी की पढ़ाई में लिए गए कर्ज की भरपाई मजदूरी से करने को मजबूर है, जिससे परिवार परेशान है और आस लगाए बैठा है कि किसी तरह बेटे का परिवार पहले की तरह हरा-भरा हो जाए। साथ ही बहु घर वापस आ जाए।बता दें कि आलोक मौर्या के बाद अब कानपुर देहात के अर्जुन सिंह का नाम भी जुड़ गया है।
मिली जानकारी के अनुसार कानपुर देहात जिले की मैथा तहसील क्षेत्र के रविन्द्र पुरम गांव के अर्जुन मौर्या की शादी साल 2017 में बस्ती जिले की रहने वाली सविता मौर्या से हुई थी। शादी के बाद सविता में पढ़ाई की लगन देखकर अर्जुन ने सविता को पढ़ा लिखा कर काबिल बनाने का फैसला किया।नर्सिंग कराने के लिए सविता का दाखिला मंधना में बने रामा कॉलेज ऑफ नर्सिंग एंड पैरा मेडिकल साइंस में करा दिया। साथ ही खुद मजदूरी करके पैसों को इकट्ठा करने लगा। पढ़ाई पूरी होने के बाद सबसे पहले सविता को दिल्ली में नौकरी मिली। सविता की नौकरी चल ही रही थी कि अर्जुन को कुछ शक हुआ।
इसके बाद अर्जुन ने सविता को वापस बुला लिया और फिर तमाम कोशिशों के बाद सविता को कानपुर देहात के रसूलाबाद के नारखुर्द में बने स्वास्थ्य केंद्र में लगवाया।यहां सविता को अच्छी खासा पैसा मिलने लगा। अब सविता के तेवर और मिजाज दोनों बदलने लगे।अर्जुन ने आरोप लगाते हुए बताया कि सविता उससे दूरी बनाने लगी।वो कहने लगी तुम काले हो हमारा तुम्हारा स्टेट्स मेल नहीं करता है। इसके बाद विवाद शुरू हो गया।अर्जुन ने न्याय की गुहार लगाना शुरू किया, जिससे बिगड़े हालात सुधर सके। कर्ज में डूबे अर्जुन अभी भी पढ़ाई के दौरान लिए गए कर्ज को भर रहा है।पैसा देने वाले अर्जुन के घर पर पैसा मांगने पहुंचते है।
अर्जुन मौर्या ने बताया कि पत्नी को पढ़ाने की ललक में कर्ज में डूब गया और तकलीफ भरी जिंदगी गुजार रहा है। मेरे साथ जो हुआ है, उसके बाद कोई भी व्यक्ति शादी के बाद अपनी पत्नी को नहीं पढ़ाएगा। महिला को सिर्फ घर की जिम्मेदारियों का बोझ उठाना पड़ेगा, जैसा पुराने समय मे होता रहा है।
(सौ स्वराज सवेरा)