-40 फीसद लोगों के शरीर में टीबी के बैक्टीरिया मौजूद।
-निजी चिकित्सक, नर्सिंग होम व अस्पताल के द्वारा टीबी मरीज की सूचना सरकारी अस्पताल को दें।
-निक्षय मित्र बन समाज के प्रति निभाएं अपनी जिम्मेदारी।
-2025 तक टीबी उन्मूलन करने का है लक्ष्य।
#MNN@24X7 दरभंगा, स्थानीय होटल में जिला यक्ष्मा केंद्र एवं जीत प्रोजेक्ट के द्वारा राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) के अंर्तगत कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यक्रम का उद्घाटन सिविल सर्जन डॉ अनिल कुमार, दरभंगा व संचारी रोग पदाधिकारी डॉ.सत्येंद्र कुमार मिश्रा ने द्धीप प्रज्वलित कर किया।
इस अवसर पर सिविल सर्जन डॉ. अनिल कुमार ने बताया की लगभग 40 फीसद लोगों के शरीर में टीबी के बैक्टीरिया मौजूद रहते हैं। इनकी बीमारी तब पकड़ में आती है जब इनके शरीर का रोग प्रतिरोध क्षमता कमजोर हो जाती है और इससे बैक्टीरिया एक्टिव हो जाती है। ऐसे लोगों की जांच करने के लिए विभाग द्वारा बड़े पैमाने पर अभियान चलाया जा रहा है, ताकि लेटेंट टीबी की पहचान हो सके और टीबी प्रिवेंटिव थेरेपी (टीपीटी) के माध्यम से एक्टिव टीबी होने से बचाया जा सके.
संचारी रोग पदाधिकारी डॉक्टर सतेन्द्र कुमार मिश्रा ने टीपीटी की उपयोगिता बताते हुए कहा कि इससे भविष्य में टीबी संक्रमण दर में तेजी से गिरावट आएगी। ऐसे लोग जिन्हें कई बीमारियां है या वो कई प्रकार की दवाएं ले रहे है, जिन लोगो में एचआईवी/एड्स या मधुमेह की बीमारी है या गंभीर किडनी की बीमारी से ग्रसित है, कीमोथेरेपी या फिर ऑर्गन ट्रांसप्लांट वाले वयक्ति, मालन्यूट्रिशन के शिकार लोगो की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है, ऐसे लोगो में टीबी का यह बैक्टीरिया धीरे धीरे सक्रिय होने लगता है और फिर यह गुप्त टीबी का रोगी एक्टिव टीबी का रोगी बन जाता है ।
उन्होंने इस प्रकार के लोगों की तुरंत स्क्रीनिंग के साथ टीबी रोलआउट करते हुए, नॉन टीबी कॉन्टेक्ट को टीपीटी के इलाज पर रखने की सलाह दी।उन्होंने सभी निजी चिकित्सक, नर्सिंग होम व हास्पिटलों को सख्त निर्देश देते हुए कहा की उनके यहाँ यदि टीबी के मरीज पहुंचते हैं तो उसकी सूचना विभाग को देनी है।
निक्षय मित्र बन समाज के प्रति निभाएं अपनी जिम्मेदारी:
जिला कार्यक्रम प्रबंधक शैलेश चंद्रा ने प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान का जिक्र करते हुए कहा की टीबी रोग के उन्मूलन में सामान्य नागरिक, जनप्रतिनिधि, गैर सरकारी संस्थान, कॉर्पोरेट संस्थान सहित अन्य संस्थाएं अपनी मजबूत भागीदारी निभा सकते हैं। इसके लिए सरकार “निक्षय मित्र” बनने का मौका दे रही है। कोई भी व्यक्ति टीबी रोगी को गोद लेकर उनकी सेवा कर सकता है।निक्षय मित्र बनने के लिए अपने जिला यक्ष्मा केंद से संपर्क स्थापित किया जा सकता है।
निक्षय मित्र बनने के लिए communitysupport.nikshay. in पर लॉगिन करने के बाद प्रधानमंत्री टीबी मुक्त अभियान पर क्लिक कर निक्षय मित्र पंजीयन फॉर्म पर क्लिक कर अपनी पूरी जानकारी देने के बाद ही इस अभियान से जुड़ा जा सकता है। इसके अलावा निक्षय हेल्प लाइन नंबर- 1800116666 पर कॉल कर के विस्तृत जानकारी ली जा सकती है।
2025 तक टीबी उन्मूलन करने का है लक्ष्य:
वर्ल्ड विज़न इंडिया के डिस्ट्रिक लीड चन्दन कुमार ने कहा की भारत सरकार ने वर्ष 2025 तक टीबी को समाप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। एक अध्यन का जिक्र करते हुए कहा की भारत में विश्व स्तर पर तपेदिक संक्रमण (टीबीआई) का सबसे अधिक अनुमानित बोझ है, लगभग 35-40 करोड़ भारतीय आबादी में लेटेन टीबी इंफेक्शन है, जिनमें से 26 लाख सालाना तपेदिक (टीबी) रोग विकसित करने का अनुमान है जिसमे टीपीटी के बाद टीबी रोग विकसित होने का जोखिम लगभग 60% कम हो जाता है और एचआईवी (पीएलएचआईवी) के साथ रहने वाले लोगों में यह कमी 90% तक हो सकती है, जो टीबी उन्मूलन के लिए काफी सहायक है।
टीबी की दवा बीच में छोड़ने से पुनः संक्रमण की रहती है संभावना :
शिशु रोग विषेषज्ञ डॉ.ओम प्रकाश ने अभियान बताया अक्सर ग्रामीण क्षेत्रों में या शहरी क्षेत्रों में भी लापरवाही की वजह से टीबी के मरीज बीच में ही अपना इलाज छोड़ देते हैं। टीबी के वायरस कई प्रकार के होते हैं, ऐसे में इनके इलाज और दवा की अवधि भी अलग होती है और व्यक्ति के खानपान का विशेष ध्यान रखना होता है, जिससे उसके अंदर संक्रमण से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता बढ़े। इलाज पूरा न होने और दवा सही समय पर न खाने से मरीज के अंदर का टीबी वायरस खत्म नहीं होता और दूसरे भी संपर्क में आकर संक्रमित हो सकते हैं। ऐसे में सरकार की गोद लेने की यह पहल भारत को टीबी मुक्त करने में बड़ा योगदान देगी। हालांकि ये प्रक्रिया मरीज के स्वेच्छा और उसकी अनुमति पर ही होगी।
मौके पर डॉक्टर राजीव कुमार, डॉक्टर राकेश कुमार, डॉक्टर विमलश कुमार, डॉक्टर ललित कुमार, डॉक्टर ठाकुर प्रभाकर कुमार, डॉक्टर अतुल जीत प्रोजेक्ट के सुपरवाइजर आदर्श सिंह, एमआईएस धीरज यादव , फील्ड ऑफिसर चन्दन कुमार, गौतम कुमार, गिरजा शंकर झा, दीपांकर प्रसाद भी उपस्थित थे।