डब्लू.पी.यू. गंदगी का घर नहीं, गंदगी से मुक्ति का घर है : डीएम

#MNN24X7 दरभंगा,22 जुलाई,बिहार लोहिया स्वच्छ अभियान के अंतर्गत ‘‘हमारा गाँव, हमारा गौरव’’ के संकल्प के साथ जिले के सभी पंचायतों में ठोस एवं तरल कचरा प्रबंधन को शत-प्रतिशत धरातल पर उतारने के लिए दरभंगा प्रेक्षागृह में जिले के सभी मुखिया जी के साथ ठोस एवं तरल प्रबंधन उन्मूखीकरण-सह-कार्यशाला का आयोजन किया गया।

कार्यशाला का उद्घाटन जिलाधिकारी, दरभंगा राजीव रौशन के कर-कमलों से दीप प्रज्जवलित कर किया गया। इस अवसर पर उप विकास आयुक्त प्रतिभा रानी, उप निदेशक, जन सम्पर्क नागेन्द्र कुमार गुप्ता, जिला पंचायत राज पदाधिकारी आलोक राज एवं जिला मुखिया संघ के अध्यक्ष राजीव चौधरी ने सहयोग किया।
 
कार्यशाला में ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन के लिए बिहार के विभिन्न पंचायतों में किये जा रहे बेहतरीन कार्य को प्रदर्शित किया गया। बताया गया कि ठोस व तरल कचरा संग्रहण के लिए गाँव के प्रत्येक घर को नीला एवं हरा डस्टबीन उपलब्ध कराया गया है।

नीला डस्टबीन सुखा कचरा के लिए एवं हरा डस्टबीन गीला कचरा के लिए दिया गया है। प्रतिदिन ई-रिक्शा एवं ठेला के माध्यम से सुखा एवं गीला कचरा को संग्रहित किया जाता है एवं पंचायत के अपशिष्ट प्रसंस्करण ईकाई पर इसे अलग अलग किया जाता है। वैज्ञानिक तरीके से इसका प्रसंस्करण कर पुनः इसे उपयोगी पदार्थों एवं कम्पोस्ट में तब्दील किया जाता है। इस प्रकार पर्यावरण को प्रदुषण से बचाने के साथ  अपशिष्ट पदार्थों के उत्पाद का पुनः उपयोग भी किया जा रहा है। सरकार प्रत्येक गाँव को स्वच्छ एवं समृद्ध बनाना चाहती है।
   
जिलाधिकारी ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि बिहार सरकार सात निश्चय कार्यक्रम के अन्तर्गत ‘‘स्वच्छ गाँव एवं समृद्ध गाँव’’ का संकल्प के साथ आगे बढ़ रही है।
 
उन्होंने कहा कि 85 प्रतिशत आबादी गाँव में रहती है, इसलिए यह आवश्यक है कि हम गाँव के जीवनयापन के तरीकों में सुधार लावें एवं गाँव को समृद्ध बनावें। उन्होंने उपस्थित माननीय मुखिया गण को कहा कि कई बार आपके मन में भी यह प्रश्न उठता है कि हम स्वच्छता से समृद्धि की नींव कैसे रखेंगे।
 
उन्होंने कहा कि कई बार आपके मन में यह आता होगा कि विकास का मतलब गाँव में सड़क, विद्यालय, अस्पताल बन जाना होता है, लेकिन स्वच्छता के बिना विकास के मायने अधूरा है।
 
उन्होंने कहा कि किसी स्थान की समृद्धि इस बात का प्रतीक है कि वहाँ के लोग किस प्रकार से जीवन जीते है। किसी विद्धान दार्शनिक ने कहा है कि जीवन जीना एक कला है और विरोधाभास ये है कि हम सब को लगता है कि हम जीवन जीना जानते हैं, लेकिन दूसरे के नजरियें से देखियेगा और खुद के नजरियों से भी जब आप अन्तःकरण में झाँक कर देखियेगा, तो आपको लगेगा कि जीवन जीना उतना आसान भी नहीं होता है। जीवन का एक आदर्श होता है और उसको अपनाये बिना हम अपने गाँव को स्वच्छ और समृद्ध नहीं बना सकते।
 
उन्होंने कहा कि आज का विषय मेरे हृदय से जुड़ा हुआ है, यहाँ के प्रस्तुतीकरण में इस कार्यक्रम को बहुत ही बारिकियों से बताया जा रहा था। उन्होंने कहा कि स्वच्छता के इस कार्यक्रम के बनाने में वे भी अपर सचिव के रूप में शामिल रहे हैं।
 
उन्होंने कहा कि अगर हमें बिहार की छवि को बदलना है, लोगों की जीवनशैली को बदलना है, तो हमें प्रमुखता से इसमें जोर डालना होगा, ये किसी भी योजना से अधिक महत्वपूर्ण है।
 
कहा कि लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान के अन्तर्गत आपके सहयोग से खुले में शौच से मुक्ति मिली, ग्रामीण क्षेत्र में जागरूकता आयी, अब हम एक कदम आगे बढ़कर स्वच्छ गाँव, समृद्ध गाँव की ओर बढ़ रहे हैं।

उन्होंने कहा कि हम अब ठोस एवं तरल कचरा प्रबंधन की बात कर रहे हैं, प्लास्टिक और मेडिकल कचरा प्रबंधन की बात कर रहे हैं, अगर हमारा कचरा प्रबंधन सफलतापूर्वक हो जायेगा, तो बीमारी खुद व खुद दूर हो जायेगी, कई बीमारी तो गंदगी यानी कचरा के सहीं ढ़ंग से प्रबंधित नहीं होने के कारण होती है, अपने घर से गंदगी निकाल कर सड़क पर फेंक देना, गंदगी की सफाई नहीं है, यह अपूर्ण सफ़ाई है। जब तक हम उसका रि-साईकिल नहीं करते हैं, तब तक हमारा  स्वच्छता अभियान पूर्ण नहीं होगा।

उन्होंने कहा कि ईश्वर का भी बास स्वच्छ स्थानों पर ही होता है और काफी सोच समझ कर वैज्ञानिक तकनीकों को अपनाते हुए ठोस एवं तरल कचरा प्रबंधन कार्यक्रम को बनाया गया है। उन्होंने सभी मुखिया जी को कहा कि आपसे बेहतर आपके गाँव को कोई नहीं समझ सकता है, आप अपने पंचायत के लिए अच्छी योजना बना सकते हैं, बशर्ते कि आप उसे अपना समझे।
 
उन्होंने कहा कि जब कोई भी ऐसी सरकारी योजना नहीं थी, तब भी अच्छे जन प्रतिनिधि अपने गाँव को बेहतर बनाने की सोच रखते थे और यह भावना हर किसी के हृदय में रहती है। उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति का उस गाँव से लगाव रहता है, जहाँ उनका जन्म हुआ है, चाहे वह कहीं भी रहे, उस गाँव की समृद्धि से उसे खुशी मिलती है, यह एक भावनात्मक लगाव है। उन्होंने कहा कि कोई भी जन प्रतिनिधि यह नहीं चाहेगा कि उसका क्षेत्र विकास या स्वच्छता के किसी भी पैमाने पर पीछे रहे, लेकिन उसके लिए आगे बढ़ कर प्रयास करना होगा।
 
उन्होंने कहा कि यदि हम नाली बनाते है और उसका निकास नहीं हो, तो पानी वहीं जमा होकर सड़ेगा और सड़ने के बाद गंदगी और बीमारी फैलेगी, हमें देखना होगा कि पानी का सही ढ़ंग से निकास हो और सही ढ़ंग से उसका निष्पादन हो।
 
सॉलिड वेस्ट मैनेजमेन्ट के लिए कई सारे तकनीकी हैं, आपके गाँव के लिए कौन सी तकनीक उपयोगी होगी, यह आपको सोचना है। उन्होंने कहा कि एक ग्रे वाटर होता है और एक ब्लैक वाटर होता है, जिसे हम सॉलिड वेस्ट मैनेजमेन्ट के माध्यम से कचरा और पानी को अलग करते हुए  पानी को सिंचाई के योग्य बना सकते है और जमा हुए कचरा का उपयोग कम्पोस्ट उवर्रक के रूप में किया जा सकता है।
 
उन्होंने कहा कि पानी की समस्या दूर करने के लिए व्यर्थ बर्बाद होने वाले पानी का उपयोग भू-गर्भ जल को रिचार्ज करने के लिए कुँआ, चापाकल के समीप सोख्ता बनाकर कर सकते हैं, इससे गंदगी भी साफ हो जाएगी और बीमारी भी नहीं फैलेगी।
 
उन्होंने कहा कि शौचालय सेप्टिक टैंक से निकाले गए अपशिष्ट पदार्थ का सही निष्पादन तभी होगा, जब हम उसे एक गड्ढ़े में रख कर उसे ढक देंगे। उसे खुले में गिराना गंदगी को फैलाना होगा, क्योंकि बारिश होने पर वहीं गंदगी बहकर फिर हमारे घरों में आ जाएगी, यह निदान नहीं है। निदान यह है कि हम उसे अंडर ग्राउड करें और उसके ऑर्गेनिक वेस्ट को कम्पोस्ट में तब्दील कर दें।
 
उन्होंने कहा कि यह पोषक तत्व का चक्र है,  जितने भी कार्बनिक सामग्री हैं, वे अपने आप को फिर से पुनर्स्थापित करते हैं, यह पूरा कार्बन चक्र है। प्रकाश संश्लेशन के माध्यम से कार्बन डाई-ऑक्साइड मिट्टी में आता है, फसल उगता है, हमलोग उसे ग्रहण करते है और जो वेस्ट के रूप में रह जाता है उसे रि-साईकिल करते हैं, तो कम्पोस्ट में तब्दील होता है। अगर हम सही ढ़ंग से गड्ढ़ा खोदकर उसका निष्पादन करें, तो उसका कम्पोस्ट और बायो गैस बन सकता है, जिसका उपयोग ईंधन के रूप में किया जा सकता है।
 
उन्होंने कहा कि जो मिथेन गैस पर्यावरण को नुकसान पहुँचा रहा है, वह हमारे लिए ग्रीन एनर्जी का स्रोत बन सकता है, उससे खाना बन सकता है। उन्होंने कहा कि जो अपशिष्ट पर्यावरण को नुकसान पहुँचा रहा है, वह हमारे आर्थिक गतिविधियों में सहायक हो सकता है।
 
उन्होंने कहा कि दरभंगा जिले की जितनी बड़ी आबादी है और जितना मिथेन गैस पर्यावरण में जा रहा है, अगर उसे हम ग्रीन एनर्जी के रूप में तब्दील कर दें, तो काफी धन की बचत हो सकती है। इसी प्रकार हमारे घर और किचन से जो कचरा निकलता है, उसे हम अपशिष्ट प्रसंस्करण के माध्यम से कम्पोस्ट में तब्दील कर उसका उपयोग कर सकते हैं।
 
हम गोबर से गोबर गैस बनाकर उसका उपयोग कर सकते हैं, लेकिन वहीं कचरा हम सड़क के किनारे रखे हुए हैं, तो जो कोई भी हमारे गाँव से गुजरेगा, उसके मन में अच्छा भाव उत्पन्न नहीं होगा।
 
उन्होंने कहा कि डब्लू.पी.यू. के बारे में अभी भी लोगों में यह धारणा है कि यह गंदगी का घर है। उन्होंने कहा कि डब्लू.पी.यू. गंदगी का घर नहीं, गंदगी से मुक्ति का घर है। हम अपने घर के सामने कचरा फेंकते हैं, जमा रखते हैं, वह गंदगी है। डब्लू.यू.पी. में तो उस गंदगी का प्रसंस्करण होता है।   
 
उन्होंने कहा कि कई लोग यह चाहते हैं कि हम अपने जमीन के बगल में, विद्यालय के बगल में, घर के बगल में डब्लू.पी.यू.नहीं बनने देंगे, यह अच्छी बात नहीं है। आप देखियेगा यह अपकी गाँव की तस्वीर बदल सकता है। शहर और गाँव में यही अंतर है कि वहाँ सफाई की एक व्यवस्थित व्यवस्था है और गाँव में इसी व्यवस्था को लागू किया जा रहा है। गाँव के लोगों में आपसी तालमेल अच्छा रहता है। इसलिए यह व्यवस्था बनायी जा सकती है।
 
उन्होंने कहा कि प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेन्ट के जरिए प्लास्टिक को भी प्रसंस्करण कर उसको भी उपयोगी बनाया जा रहा है। यदि गाँव और खेत हमारा सही हो जाए, मवेशी पालन की सिस्टम को बेहतर कर लें तो फिर गाँव समृद्ध हो जाएगा।
 
आज मवेशी के यूरिन से बड़ी-बड़ी कम्पनियाँ क्या-क्या उत्पाद बना रही है, उसमें इतना अधिक नाइट्रोजन है कि नाइट्रोजन की आवश्यकता पूरी हो सकती है।
 
उन्होंने सभी मुखिया से अपने गाँव के लोगों को जागरूक करने और अपने गाँव को स्वच्छ और समृद्ध बनाने की अपील की।
 
इसके पहले उप विकास आयुक्त श्रीमती प्रतिभा रानी द्वारा ठोस एवं तरल कचरा प्रबंधन कार्यक्रम के अन्तर्गत किये जा रहे कार्यों से अवगत कराया तथा इसके महत्व पर प्रकाश डाला।
 
कार्यक्रम में उप निदेशक, जन सम्पर्क नागेन्द्र कुमार गुप्ता द्वारा भी ठोस एवं तरल कचरा प्रबंधन तथा स्वच्छता के महत्व पर प्रकाश डाला गया।
 
जिला पंचायती राज पदाधिकारी द्वारा ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन के अन्तर्गत किये जाने वाले व्यय, क्रय किये जाने वाले सामग्री, डब्लू.पी.यू. के

निर्माण हेतु 15वीं वित्त आयोग के टाईड फंड एवं मनरेगा के तहत किये गए प्रावधान से अवगत कराया गया।
 
कार्यक्रम में सहायक समाहर्त्ता सूर्य प्रताप सिंह भी उपस्थित थे। वहीं धन्यवाद ज्ञापन उप विकास आयुक्त द्वारा किया गया।