#MNN@24X7 दरभंगा। राजकीय महारानी रमेश्वरी भारतीय चिकित्सा विज्ञान संस्थान ,मोहनपुर दरभंगा के द्वारा डॉ यदुवीर सिन्हा होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल दरभंगा में “हर दिन, हर घर आयुर्वेद” कार्यक्रम के अंतर्गत ‘आयुर्वेद संबंधित अनुभव को साझा करना ‘ विषय पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम का उद्घाटन राजकीय महारानी रमेश्वरी भारतीय चिकित्सा विज्ञान संस्थान के प्राचार्य प्रो. दिनेश्वर प्रसाद, डॉ दिनेश कुमार, डॉ विजेंद्र कुमार एवं होम्योपैथिक कॉलेज के प्राचार्य डॉ भरत कुमार सिंह द्वारा दीप प्रज्वलन करके किया गया। प्राचार्य प्रो. दिनेश्वर प्रसाद ने बताया आयुष मंत्रालय भारत सरकार के दिशा-निर्देशन में आजादी के अमृत महोत्सव कार्यक्रम के अंतर्गत ” हर दिन,हर घर आयुर्वेद ” को पूरे भारतवर्ष में मनाया जा रहा है।
भारतीय चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद के प्रति जन जागरूकता फैलाने हेतु ” आयुर्वेद संबंधी अनुभवों को साझा करना ” विषय पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि आयुर्वेद संपूर्ण जीवन विज्ञान है। आयुर्वेद का प्रथम लक्ष्य है- स्वस्थ मनुष्य की स्वास्थ्य की रक्षा करना एवं दूसरा लक्ष्य रोगी पुरुष के रोग का शमन करना। आयुर्वेद बीमारी उत्पन्न ना हो इसके बारे में बात करता है। स्वास्थ्य की संरक्षण हेतु आयुर्वेद में दिनचर्या, ऋतुचर्या, रात्रि चर्या आदि का वर्णन किया गया है। हमारी मिथ्या आहार एवं विहार के कारण ही रोग उत्पन्न होते हैं।
आहार सेवन विधि विषय पर बोलते हैं सर्वप्रथम हमें अदरक और सेंधा नमक को लेना चाहिए। इससे पाचन शक्ति बढ़ने के साथ-साथ अरुचि खत्म होती है। भोजन हमेशा धरती पर बैठकर करना चाहिए। भोजन को धीरे- धीरे चबाकर करना चाहिए। अति- शीघ्रता से भोजन नहीं करना चाहिए। इसके उपरांत सौ कदम चलना चाहिए।
होम्योपैथिक छात्रों के बीच 21वीं सदी में आयुर्वेद एवं होम्योपैथ की महत्ता को बताते हुए उन्होंने कहा की वर्तमान समय में पूरे विश्व की नजर भारतीय चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद एवं होम्योपैथी की ओर है। आयुर्वेद एवं होम्योपैथी के प्रति की आमजनों की श्रद्धा बढ़ने लगी है। छात्रों को अपने घर आंगन में औषधीय पेड़- पौधों को लगाने के लिए प्रेरित किया।
होम्योपैथिक कॉलेज के प्राचार्य डॉ भरत कुमार सिंह ने कहा कि हर दिन हर घर आयुर्वेद कार्यक्रम से आम जनों के बीच आयुर्वेद के प्रति श्रद्धा काफी बढ़ी है। आयुर्वेद एवं होम्योपैथी चिकित्सा के माध्यम से मानव जाति का कल्याण किया जा सकता है । डॉ विजेंद्र कुमार ने गर्भिणी चर्या विषय पर बोलते हुए कहा कि आयुर्वेद में गर्भिणी चर्या का सविस्तार वर्णन किया गया है। इसका पालन करने से स्वस्थ संतान की प्राप्ति होती है। गर्भ की मासानुमासिक वृद्धि के साथ- साथ गर्भावस्था के दौरान प्रतिमाह गर्भवती महिला के द्वारा सेवन करने योग्य आहार -विहार का भी वर्णन आयुर्वेद में किया गया है।
कार्यक्रम के संयोजक डॉ दिनेश कुमार ने कहा की हम आयुर्वेद के सिद्धांतों के साथ जितना ही करीब रहते हैं, उतना ही हमारी स्वास्थ्य की गुणवत्ता प्रबल होती है। हम आयुर्वेद के सिद्धांतों को अपनाकर शतायु वर्ष निरोग्मय जीवन जी सकते हैं। हमें रात्रि में दही का सेवन नहीं करना चाहिए। बिना चीनी एवं आंवला चूर्ण मिलाकर दही का सेवन नहीं करना चाहिए। मूली की सब्जी बाजार में आ चुकी है। हम सब के द्वारा मूली के पराठे दूध के साथ सेवन किया जाता है। दूध और मूली को एक साथ सेवन करने से कुष्ठ रोग होने का भय रहता है।
आज के युवा प्रतिस्पर्धा के दौर से गुजर रहे है। मानसिक कार्यक्षमता को बढ़ाने वाले औषधियों के विषय में चर्चा करते हुए उन्होंने बताया की ब्राह्मी, शंखपुष्पी का सेवन पुष्य नक्षत्र में करने से मेधा शक्ति का विकास होता है। हमारी स्मरण शक्ति उत्तरोत्तर बढ़ती चली जाती है। मानसिक खुशहाली हेतु हमें आयुर्वेद में वर्णित सदवृत्त का पालन जागरूकता के साथ करनी चाहिए। अधारणीय वेग के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि हमें भूख, प्यास, मूत्र,प्यास, निद्रा आंसू आदि के वेगों को नहीं रोकना चाहिए। इसको रोकने से नाना प्रकार के रोगों की उत्पत्ति होती है।