#MNN@24X7 दरभंगा, भारत आबादी में चीन को पीछे छोड़ दुनिया का सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बन गया है। भारत हर वर्ष ऑस्ट्रेलिया की आबादी के बराबर जनसंख्या वृद्धि कर लेता है। प्रसव एक इमरजेंसी होता है। अगर बच्चे को जन्म के प्रथम मिनट में सांस नहीं दिया गया तो उसकी मृत्यु या अपंगता का खतरा रहता है। बिहार में हर 7 मिनट में एक नवजात की मृत्यु हो जाती है। यह मृत्यु काफी हद तक कम की जा सकती है, अगर जन्म के समय सांस न लेने वाले बच्चों को पुनर्जीवित करने की तकनीक प्रसव कराने वाली संस्थाओं के सभी प्रसव कर्मियों को सिखा दी जाए।
इंडियन एकेडमी ऑफ पेडियाट्रिक्स ने इसी भावना से सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं में भेदभाव किए बिना सभी जगह नवजात शिशु पुनर्जीवन को प्रशिक्षण को मूर्त रूप देना शुरू किया है। इसी सिलसिले में कल दिल्ली मोड़ स्थित प्राइम हॉस्पिटल के 20 प्रसव कर्मियों को नवजात शिशु पुनर्जीवन का प्रशिक्षण डॉक्टर प्रशांता कृष्णा गुप्ता के नेतृत्व में डॉक्टर ओम प्रकाश, डॉ रणधीर कुमार मिश्रा और डॉक्टर कामोद झा द्वारा दिया गया। सभी प्रक्षिणार्थियों ने बच्चे में सांस देने की तकनीक का अभ्यास मैंनेकिन पर स्वयं कर सीखा।
इस अवसर पर बिहार राज्य के इंडियन एकेडमी आफ पेडियाट्रि्क्स के स्टेट एकेडमिक कोऑर्डिनेटर डॉ ओम प्रकाश ने कहा कि पूरे देश में नवजात शिशुओं की मृत्यु के मामले में बिहार नीचे से छठे स्थान पर है। केरल राज्य की 4 प्रति हजार नवजात शिशु मृत्यु दर की तुलना में यह संख्या बिहार में 21 है। 2030 तक पूरे देश में यह संख्या एक इकाई में लाने की योजना है। यह तभी संभव है जब हम बिहार यूपी और मध्य प्रदेश अभी से जोर शोर से इसके लिए प्रयास करें। इंडियन एकेडमी ऑपरेटिव्स की राष्ट्रीय इकाई ने बिहार को इस वर्ष के अंत तक 102 प्रशिक्षण शिविर आयोजित करने का निर्देश दिया है। आज का प्रशिक्षण का कार्य इसी सिलसिले में किया गया है।