#MNN@24X7 मढ़ौरा, सारण, जन सुराज पदयात्रा के 175वें दिन की शुरुआत सारण के मढ़ौरा प्रखंड अंतर्गत मढ़ौरा नगर पंचायत स्थित पदयात्रा शिविर में सर्वधर्म प्रार्थना से हुई। उसके बाद प्रशांत किशोर ने पत्रकारों के साथ संवाद किया। पत्रकार वार्ता के दौरान उन्होंने अपने पदयात्रा का अनुभव साझा किया। जन सुराज पदयात्रा के माध्यम से प्रशांत किशोर 2 अक्तूबर 2022 से लगातार बिहार के गांवों का दौरा कर रहे हैं। उनकी पदयात्रा अबतक 2 हजार किमी से अधिक की दूरी तय कर चुकी है।

पश्चिम चंपारण से शुरू हुई पदयात्रा शिवहर, पूर्वी चंपारण, गोपालगंज, सिवान होते हुए पिछले 14 दिनों से सारण जिले में है। सारण में पदयात्रा अभी 10 से 15 दिन और चलेगी और इस दौरान अलग-अलग गांवों और प्रखंडों से गुजरेगी। पदयात्रा के दौरान प्रशांत किशोर लोगों की समस्यायों को सुनते हैं और उसका संकलन करते हैं। साथ ही वे समाज के सभी सही लोगों को एक मंच पर आकर विकसित बिहार बनाने के लिए एक नई राजनीतिक व्यवस्था बनाने का भी आह्वान करते हैं।

जन सुराज अगर दल बनता भी है तो किसी पार्टी के साथ गठबंधन का कोई प्रश्न ही नहीं है, ये एक सामाजिक प्रयास है: प्रशांत किशोर।

जन सुराज पदयात्रा के दौरान सारण के मढ़ौरा में मीडिया संवाद के दौरान प्रशांत किशोर ने कहा कि लोग समझते हैं कि मैं राजनीतिक दलों और नेताओं को सलाह देता हूं और उनको व्यवस्थित करके चुनाव जीतने में मदद करता हूं। पहले मैं ये काम दूसरे दलों और नेताओं के लिए करता था, अब मैंने सोचा ये काम बिहार की जनता के लिए भी कर सकता हूं। मैं जनता को संगठित करने की कोशिश कर रहा हूं। वो मिलकर एक दल बनाएं, ताकि मैं उस दल का मदद करूं और सही लोग राजनीति में आकर बिहार का भला करें।

उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में पूरी सोच नई व्यवस्था बनाने की है। इसमें गठबंधन का सवाल पैदा ही नहीं होता है। इस पूरी नई व्यवस्था बनाने में या तो आप अर्श पर हैं या फिर फर्श पर हैं। अगर इस पूरी परिकल्पना से लोग जुड़ेंगे और बिहार के लोगों को ये समझ आएगा तो चुनाव में इतनी सीट जीतेंगे की गिनना मुश्किल हो जाएगा। बिहार के लोगों को अगर जन सुराज समझ नहीं आया तो चुनाव में खाता भी नहीं खुलेगा। इसलिए गठबंधन का कोई सवाल नहीं बनता है।

टूटी हुई सड़क तो दोबारा बन जाएगी, लेकिन ध्वस्त शिक्षा व्यवस्था के कारण अनपढ़ रह गई एक पीढ़ी कभी दोबारा शिक्षित नहीं हो पाएगी: प्रशांत किशोर।

जन सुराज पदयात्रा के दौरान मढ़ौरा में मीडिया संवाद के दौरान प्रशांत किशोर ने कहा कि शिक्षा व्यवस्था के ध्वस्त होने का सबसे बड़ा कारण है स्कूल, शिक्षक और बच्चों के समायोजन का न हो पाना। जहां शिक्षक हैं, वहाँ बिल्डिंग नहीं है, जहां बिल्डिंग है, वहाँ शिक्षक नहीं हैं, और जहां दोनों हैं, वहाँ बच्चे नहीं हैं। अगर एक शब्द में शिक्षा व्यवस्था को समझना चाहते हैं तो स्कूलों में सिर्फ खिचड़ी बांटी जा रही है और कॉलेजों में सिर्फ डिग्री बांटी जा रही है। पढ़ाई दोनों में कहीं नहीं हो रही है।

आगे उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार जैसे पढें-लिखें मुख्यमंत्री के रहते हुए बिहार में पिछले 5 से 7 सालों मे शिक्षा व्यवस्था का ध्वस्त हो जाना ये उनके शासन काल का सबसे काला अध्याय है। ऐसा इसलिए है क्योंकि कल बिहार में एक अच्छी सरकार आ जाएगी तो टूटी हुई सड़क बन जाएगी। लेकिन जो पीढ़ी इस शिक्षा व्यवस्था की वजह से आशिक्षत रह गई है। अब अगर अच्छी सरकार आ भी जाए तो भी उसको शिक्षित समाज के पीछे ही रहना पड़ेगा।