•डिलीवरी के समय इसकी वजह से रूक सकती है बच्चे की सांसें
•निजी अस्पतालों में ऐसे ऑपरेशन के 40 से 50 हजार होते हैं खर्च
•सरकारी अस्पतालों में इस तरह के सुविधा से मरीजों को मिल रही राहत
मधुबनी /8 अगस्त। गर्भावस्था और डिलीवरी के दौरान कई तरह के जटिलताएं आ सकती हैं जो कि शिशु की जान के लिए खतरा बन सकती हैं। इसकी पहचान और समय से प्रबंधन होना अत्यंत आवश्यक होता है नहीं तो बच्चे और माता की जान मुश्किल हो जाता है. ऐसा ही एक मामला शनिवार को सदर अस्पताल के प्रसव कक्ष में हुआ जहां विनीता देवी पति शिव कुमार यादव, ग्राम -बलिया नवटोलिया, सकरी की रहने वाली महिला का जोखिम वाले प्रसव कराए गए.
सदर अस्पताल के स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ प्रवृत्ति मिश्रा ने बताया प्रसव के दौरान बच्चे का कॉर्ड प्रोलैप्स ( गर्भनाल) बाहर (युटेरस की मुंह) की तरफ आ गया और बच्चा पीछे रह गया. बाहर के तापमान के संपर्क में आने से बच्चे का ब्लड फ्लो काफी कम हो गया था जिससे बच्चे की जान भी जा सकती थी ऐसी स्थिति में सिजेरियन प्रसव कराकर सुरक्षित बच्चे को बाहर निकाला गया.
डॉ. मिश्रा ने बताया प्रेग्नेंसी में शिशु के जन्म से पहले या डिलीवरी के दौरान गर्भाशय ग्रीवा खुलने पर कॉर्ड दबाव के कारण गर्भाशय में आ गिर जाती है। या बाहर आ जाता है इससे शिशु को सांस लेने के लिए ऑक्सीजन मिलना बंद हो जाता है। इस स्थिति को कॉर्ड प्रोलैप्स कहा जाता है. हालांकि ऐसे मामले काफी कम होते हैं. सैकड़ो महिलाओं में से एक महिला में देखने को मिलते हैं।
निजी अस्पतालों में ऐसे ऑपरेशन के 40 से 50 हजार होते हैं खर्च :
निजी अस्पताल में इस प्रकार के ऑपरेशन पर 40 से 50 हजार रुपए तक खर्च हो जाते हैं। सदर अस्पताल में ऐसे प्रसव होने से मरीजों को काफी सहूलियत हो रही है तथा आर्थिक लाभ भी हो रहा है. ऑपरेशन के बाद प्रसूता और नवजात बालक दोनों ही स्वस्थ है। इस दौरान अस्पताल के एनेस्थेटिक, प्रसव कक्ष इंचार्ज माधुरी कुमारी सहित स्टॉफ मौजूद रहे ।
क्या है कॉर्ड प्रोलैप्स प्लस :
कॉर्ड लचीली और ट्यूब यानि नली की तरह होती है जो गर्भावस्था के दौरान शिशु को मां से जोड़ती है। कॉर्ड से शिशु को मां के जरिए जीवन मिलता है। इससे शिशु को पोषक तत्व मिलते हैं और शिशु के शरीर से विषाक्त पदार्थ बाहर निकल जाते हैं। यह नली एक धमनी और दो नसों से बनी होती है।
कॉर्ड प्रोलैप्स के कारण :
•प्रीटर्म प्रसव
•दो या तीन बच्चे होना
•बच्चे का पेट में उल्टा होना।
कॉर्ड प्रोलैप्स का इलाज:
कॉर्ड प्रोलैप्स बाहर आना एक इमरजेंसी स्थिति होती है जिसमें तुरंत डिलीवरी करवाने की जरूरत पड़ती है। इस स्थिति में आमतौर पर सिजेरियन ऑपरेशन से ही डिलीवरी करवाई जाती है। हालांकि, ज्यादा देरी करने पर शिशु को नुकसान या मृत्यु तक हो सकती है।