लालू-नीतीश को जातीय जनगणना नहीं, जातियों की राजनीति करनी है ताकि सारा समाज अशिक्षित और अनपढ़ बना रहे, तभी तो 9वीं फेल को लोग उपमुख्यमंत्री मानेंगे: प्रशांत किशोर।
#MNN@24X7 समस्तीपुर, जातीय जनगणना पर प्रशांत किशोर ने कहा कि मैं शुरुआती दौर से कहता आ रहा हूं कि सबसे पहले नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव से पूछा जाना चाहिए कि इसका कानूनी आधार क्या है? आज ये आम लोगों को आंख में धूल झोंकने के लिए सर्वे करवा रहे हैं। जातीय जनगणना राज्यों के अधिकार क्षेत्र में आता ही नहीं है। इन नेताओं को कोई जातीय जनगणना नहीं करवाना है। बिहार की जनता खुद सोच कर देखे कि नीतीश कुमार इतने लंबे समय से मुख्यमंत्री हैं इसके बाद भी उन्होंने आज तक जातीय जनगणना क्यों नहीं करवाया? RJD की सरकार थी, लालू यादव खुद 15 साल सरकार में थे, क्यों नहीं करवाया जातीय जनगणना? आज इन्हें ज्ञात हो रहा है?
उन्होंने कहा कि सच्चाई तो यह है कि इलेक्शन आने वाला है और कुछ होता हुआ दिख नहीं रहा है तो बाप-बाप कर रहे हैं। आज ये समाज को बांटने का काम कर रहे हैं इसके अलावा इनकी कोई मंशा नहीं है। पिछले 32 सालों से लालू-नीतीश मुख्यमंत्री हैं उस समय उन्होंने जातीय जनगणना क्यों नहीं करवाई ? अगर ये राज्य का मामला था तो पहले क्यों नहीं करवाया गया? सच्चाई तो यह है कि वो जातीय जनगणना है ही नहीं वो तो सर्वे है। जातियों की राजनीति करनी है ताकि सारा समाज बंटा रहे, सारा समाज अशिक्षित और अनपढ़ बना रहे, तभी तो 9वीं फेल को आज लोग उपमुख्यमंत्री मानेगा। बिहार के लोगों को समझने की जरूरत है कि अगर गरीब के बच्चे पढ़ लिख जाएंगे तो कौन इन अनपढ़ों को नेता मानेगा?