#MNN@24X7 दरभंगा, 11 जुलाई समाहरणालय अवस्थित बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर सभागार में जिलाधिकारी राजीव रौशन एवं वरीय पुलिस अधीक्षक, दरभंगा अवकाश कुमार की संयुक्त अध्यक्षता में भूमि विवाद एवं विधि-व्यवस्था से संबंधित मामलों की समीक्षा बैठक आयोजित की गई।
बैठक को सम्बोधित करते हुए जिलाधिकारी ने कहा कि भू-समाधान पोर्टल पर भूमि विवाद के गंभीर मामलों को अपलोड किया जाता है, इसलिए उसकी सुनवाई कर प्राथमिकता से उसका निष्पादन किया जाए।
उन्होंने कहा कि भूमि विवाद में तनाव वाले मामलें की पहचान करते हुए उसका शीघ्र निराकरण अपेक्षित है। मुख्यालय स्तर से यह निदेश प्राप्त हो रहे हैं।
लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम लोगों की समस्याओं के निराकरण हेतु उन्हें अधिकार के रूप में एक व्यवस्था है।
उन्होंने कहा कि जिन लोगों का काम कहीं नही हो पा रहा है, वे लोक शिकायत में आते है, इसमें अनुमण्डल स्तर पर एवं जिला स्तर पर लिये गये निर्णय का भी अधिकतर निष्पादन थाना एवं अंचल स्तर से ही किया जाता है, क्योंकि ज्यादातर मामले लोक भूमि अतिक्रमण, आपसी भूमि विवाद के होते हैं। कई बार आदेश देने के बाद भी लोक भूमि से अतिक्रमण नहीं हटाता है, तो अधिनियम इस बात की व्यवस्था करता है कि बल पूर्वक उस अतिक्रमण को हटाया जाए और अतिक्रमण हटाने में जो व्यय होता है, वह अतिक्रमणकारी से वसूला जाए।
उन्होंने कहा कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय का यह भी निर्णय आया है कि एक बार किसी लोक भूमि से अतिक्रमण हटा दिया जाता है, तो उसकी सुरक्षा की जिम्मेवारी संबंधित थाना की है।
उन्होंने कहा कि विधि-व्यवस्था में कई मामले समन्वय से संबंधित होते हैं। दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 107 एवं अन्य संबंधित धारा के तहत अनुमण्डल दण्डाधिकारी के स्तर से कार्रवाई होती है और जारी सम्मन का तामिला कराना, लोगों को बुलाने के कार्य थाना स्तर से होने पर उसका प्रभाव बढ़ जाता है।
उन्होंने कहा कि मद्यनिषेध अभियान में भी समन्वय की आवश्यकता होती है। जप्त वाहनों का राज्यसात करने का प्रस्ताव शीघ्र भेजने की आवश्यकता होती है, यदि जप्त वाहन को संबंधित न्यायायल से छोड़ने का आदेश हो गया, तो उसे शीघ्र छोड़ दिया जाए, इसके लिए वाहन मालिक को केवल औनरशीप और अपना परिचय पत्र दिखलाना ही अपेक्षित है।
उन्होंने कहा कि जप्त वाहन को छुड़ाने के लिए पहले जुर्माना राशि उस वाहन की बीमा राशि का 50 प्रतिशत था, अब उसे घटाकर 10 प्रतिशत से 50 प्रतिशत और अधिकतम 05 लाख रूपये तक कर दिया गया है।
उन्होंने कहा कि शराब का विनिष्टिकरण में भी वरीय पदाधिकारी को दण्डाधिकारी के रूप में प्रतिनियुक्त की जाती है और जिस थाना में वह जप्त है, वहाँ अविलम्ब विनिष्टिकरण कराना होता है। अतः उसे विनिष्टिकरण में देरी न किया जाए।
उन्होंने कहा कि यदि किसी अपराधी के जेल से छुटने पर विधि-व्यवस्था पर प्रभाव पड़ने वाला है, तो उसे सी.सी.ए. – 12 के तहत जिला दण्डाधिकारी एवं वरीय पुलिस अधीक्षक को सख्ती निहित है कि उसे 01 साल तक जेल में ही रखा जाए, वैसे केदियों का प्रस्ताव भी समय पर प्रस्तुत किया जाना चाहिए। गवाहों को सम्मन समय से पहुंचना चाहिए।
बैठक को सम्बोधित करते हुए वरीय पुलिस अधीक्षक ने कहा कि शनिवारीय भूमि विवाद की सुनवाई बैठक में मामलों का गंभीरता से निष्पादन किया जाए। गंभीर अपराधी के विरूद्ध सी.सी.ए-3 के तहत संबंधित थाना प्रस्ताव भेजना शुरू कर दें।
भूमि विवाद से संवेदनशील मामलों की सूची जिला को भी उपलब्ध करावें। सी.सी.ए. – 12 का प्रस्ताव यदि किसी कैदी के लिए आवश्यक है, तो वह भी प्रस्ताव दे दें। उन्होंने सभी थाना प्रभारी को ससमय सम्मन तामिला कराने के निर्देश दिये और कहा कि भविष्य में सम्मन तामिला न कराने के प्रतिवेदन पर संबंधित थाना प्रभारी के विरूद्ध कार्रवाई की जाएगी।
बैठक में लोक शिकायत निवारण के मामलों की समीक्षा की गई। जिला स्तर पर 45 एवं 60 दिन से अधिक के एक भी मामले नहीं पाये गये।
बैठक में अनुमण्डल लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी, सदर, बेनीपुर एवं बिरौल की मामलों की समीक्षा की गयी और उन्हें लंबित मामलों का निष्पादन तेजी से करवाने के निर्देश दिये गए। साथ ही जिन अंचलाधिकारी और थाना प्रभारी के यहाँ ज्यादा मामले लंबित पाये गये, उन्हें भी तेजी से मामलों का निष्पादन करने का निर्देश दिये गये।
बैठक में सी.एम. जनता दरवार, डी.एम. जनता दरवार, सी.डब्लू.जे.सी./सी.आर.डब्लू.जे.सी., स्पीडी ट्रायल के मामलों की समीक्षा की गई।
मद्य निषेध अभियान के तहत जप्त शराब विनिष्टकरण, जप्त वाहनों को छोड़ने से संबंधित आदेश का अनुपालन, नीलामपत्र वाद के लंबित मामले, दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 107 एवं 116 (3) के तहत निरोधात्मक कार्रवाई हेतु निर्गत वारंट का तामिला से संबंधित मामलों की समीक्षा की गई।
बैठक में जिला परिवहन पदाधिकारी ने बताया कि वैसे मामले जिनमें दुर्घटना के बाद वाहन ठोकर मार कर भाग जाते हैं, वाहन की पहचान नहीं होती, हिट एण्ड रन के मामले कहे जाते हैं, वैसे मामलें में घायल व्यक्ति के लिए 50 हजार रूपये एवं मृतक के आश्रित के लिए 02 लाख रूपये मुआवजा का प्रावधान है, इन मामलों में मुआवजा हेतु प्रपत्र – 1 में आवेदन संबंधित अनुमण्डल पदाधिकारी को देना होता है, क्योंकि अनुमण्डल पदाधिकारी को ही दावा जाँच पदाधिकारी का आधिकार प्राप्त है।
उन्होंने कहा कि घायल के मामलें में दो जगह से यथा – संबंधित थाना प्रभारी एवं संबंधित प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी से प्रतिवेदन अपेक्षित है। मृत्यु के मामले में संबंधित थाना प्रभारी एवं सिविल सर्जन के स्तर से पोस्टमार्टम रिपोर्ट अपेक्षित है।
अनुमण्डल पदाधिकारी जाँच प्रतिवेदन जिलाधिकारी को देते हैं और जिलाधिकारी स्वीकृति प्रदान करते हैं। स्वीकृति की कॉपी जी.आई.सी. को भेजा जाता है, जहाँ से मुआवजा प्राप्त होता है।
उक्त बैठक में नगर पुलिस अधीक्षक श्री सागर कुमार झा, अपर समाहर्त्ता-सह-अपर जिला दण्डाधिकारी श्री राजेश झा ‘‘राजा’’, अनुमण्डल पदाधिकारी, सदर चन्द्रिमा अत्री, जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी अनिल कुमार, पुलिस उपाधीक्षक (मुख्यालय) इमरान अहमद, अनुमण्डल पुलिस पदाधिकारी, सदर अमित कुमार,अनुमण्डल पदाधिकारी, बिरौल संजीव कुमार कापर, अनुमण्डल पुलिस पदाधिकारी, बिरौल मनीष चन्द्र, उप निदेशक, जन सम्पर्क एन.के. गुप्ता, विशेष कार्य पदाधिकारी गौरव शंकर, जिला परिवहन पदाधिकरी राजेश कुमार, उत्पाद अधीक्षक ओम प्रकाश, वरीय उप समाहर्त्ता अभिषेक रंजन, फैजान सरवर एवं अन्य जिला स्तरीय पदाधिकारीगण, राजस्व पदाधिकारी, थानाध्यक्ष उपस्थित थे।
11 Jul 2023