#MNN@24X7 दरभंगा, विभांशु वैभव द्वारा रचित इस नाटक के मुख्य बिंदु में हैं महारथी कर्ण और उनके जीवन के वो प्रासंगिक अंक जो कर्ण को दानवीर महारथी कर्ण बनाता है। दुर्योधन से मित्रता से ले कर कृष्ण के विचारधारा पर सवाल उठाते कर्ण की खुद की जिंदगी अपने आप को स्थापित और अपने अधिकार को पाने के बीच निकल जाती है। इस नाटक में कर्ण को मिले दुत्कार से ले कर कर्ण को सराहने तक की पूरी यात्रा को उतारा गया है।
शनिवार की शाम को ‘विदूषक’ थियेटर के द्वारा उज्जवल राज के सधे हुए निर्देशन में विभांशु वैभव रचित नाटक महारथी का सफल मंचन किया गया। पूरी अवधि तक नाटक के आरंभ से अन्त तक दर्शक दिल थाम कर बैठे रहे। दर्शकों से भरे प्रेक्षागृह में एक पल को लगा जैसे सारे चरित्र को अभिनेताओं व अभिनेत्रियों ने जीवंत कर दिया।
ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर संगीत व नाटक विभाग एवं विदूषक के संयुक्त तत्वावधान में मंचित इस नाटक ने लोगों के दिलों पर गहरी छाप छोड़ी। इस नाटक में डॉक्टर सत्येन्द्र कुमार झा,मोहन मुरारी,वन्दना झा,निखिल मिश्रा, शील निधि,आदित्य, सुमित,उज्जवल, निकिता, प्रशांत,अभिषेक, नितेश,आर्यन, सौरभ,प्रवीण,संध्या, सिमरन सहित अनेक कलाकारों ने प्रशंसनीय अभिनय किया।
नेपथ्य से अविनाश,अर्जुन, शेखर,तुषार,प्रणव,श्रीधर,अमित, अखिलेश,आदित्य, ऋषभ,पंकज,मोहन,मोहित, गामी एवं अंकुश का योगदान काफी सराहनीय रहा। इस प्रकार महारथी का मंचन सफल और प्रभावशाली रहा।