विश्ववविद्यालय’क नाम में महाराजाधिराज सेहो जुड़ै : प्रोवीसी।

दरभंगा। महाराजाधिराज सर कामेश्वर सिंह जी केर जयंती’क अवसर पर हुनकर दानवीरता आ शिक्षा खासक’के प्राच्य विषय सबहक प्रति हुनकर लगाव के चर्चा संस्कृत विश्वविद्यालय में भरि दिन होईत रहल। भोरे हुनकर समाधि स्थल माधवेश्वर परिसर में पूजा पाठ आ हवन सेहो कैल गेल । एहि क्रम में विश्वविद्यालय के बहुउद्देश्यीय भवन में आयोजित जयंती समारोह’क अध्यक्षता करैत कुलपति डॉ शशिनाथ झा कहलनि जे महाराजाधिराज के व्यक्तित्व आ कृतित्व अविस्मरणीय संगहि अद्वितीय अछि। प्राच्य विषय सब के संगहि संग आन आन विधा सबहक संरक्षण आ संवर्धन में हुनकर योगदान अमूल्य अछि। ताहि कारणें एहेन व्यवस्था कएल जाएत जे महाराजाधिराज के जीवनी विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में शामिल भ जाय। एकरा लेल विश्वविद्यालय स्तर सं जे कोनो वैधानिक प्रक्रिया सब होयत ओकरा पूरा कैल जायत। संगहि ओ कामेश्वर सिंह द्वारा कैल गेल अनेको ऐतिहासिक काज सबहक विस्तार सँ चर्चा केलैन।

ई सब जानकारी दैत उपकुलसचिव – प्रथम निशिकांत कहलन्हि जे कार्यक्रम के मुख्य अतिथि महाराजा लक्ष्मीशंकर सिंह मेमोरियल कालेज के मैथिली विभाग के शिक्षक डॉ शांतिनाथ सिंह ठाकुर, महाराधिराज सं जुड़ल कई एकटा संस्मरण सब के सुनेलनि। एहि क्रम में ओ ईहो कहलनि जे संत विनोवा भावे के आह्वान पर महाराजाधिराज द्वारा दान में देल गेल एक लाख 17 हजार एकड़ जमीन’क जांच जौँ सरकार गम्भीरता सं कराबै तखन एखनो मिथिला के सामाजिक परिदृश्ये बदलि जायत। ओ स्पष्ट कएलन्हि जे दान के जमीन एखनो धरि जरूरतमन्द सबकेँ उपलब्ध नहि भ पएलनि। ओ कहलनि जे महाराजाधिराज के नजरि सदैव अति दूरगामी छलन्हि।ओ चाहैत छलाह जे मिथिला के नाम विश्व स्तर पर होई। वृहत फलक के यैह चाह हुनका मैथिली, हिंदी आ अंग्रेजी में अखबार निकालबाक लेल प्रेरित केलक। कामेश्वर सिंह द्वारा सब क्षेत्र में कैल गेल काज सबहक विस्तार सं बुझबैत ओ सुझाव देलनि जे हुनकर अगिला जयंती पर विश्वविद्यालय द्वारा स्मारिका के प्रकाशन होई तखन बेसी प्रसन्नता होयत।

इसी क्रम में प्रोवीसी प्रो0 सिद्धार्थ शंकर सिंह कहलनि जे महाराजाधिराज एहेन दानवीर के कोनो दोसर उदाहरण नहि भेटत। ओ कर्तव्यनिष्ठ के संगहि संग जनता के प्रति सदैव उत्तरदायी छलाह। सामाजिक, आर्थिक आ शैक्षणिक विकास’क लेल ओ सदैव आगू रहलथि। अपन जन्म भूमि सं हुनका बहुत प्रेम छलन्हि। हुनकर सद्गुण सबकेँ आजुक पीढ़ी देईख पाबथि ,बुईझ पाबथि एहेन जोगार करबाक आवश्यरकता अछि। संस्कृत पढ़ बला सबकेँ सौभाग्यशाली कहैत प्रोवीसी कहलन्हि जे कामेश्वर सिंह के सोच सदैव आत्मसात कर बला अछि। एहि अवसर पर हुनकर सुझाव हेतन्हि जे अगिला सिंडिकेट के बैसार में कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के नाम में महाराजाधिराज शब्द जोड़बाक प्रस्ताव राखल जाय। एकर अलावे कुलसचिव डॉ शिवा रंजन चतुर्वेदी, एफए कैलाश राम, व्याकरण विभाग के अध्यक्ष डॉ उमेश शर्मा, डॉ लक्ष्मीनाथ झा समेत अनेको वक्ता ब सेहो विस्तार सं महाराजाधिराज’क जीवनी पर रोशनी देलन्हि।

एहिसं पूर्व कैम्पस में स्थापित महाराजाधिराज के प्रतिमा पर माल्यार्पण सेहो कैल गेल। व्याकरण विभाग’क प्रध्यापिका डॉ साधना शर्मा द्वारा संचालित एहि कार्यक्रम में स्वागत भाषण कुलानुशासक प्रो0 श्रीपति त्रिपाठी देलथि ।ओतहि मंगलाचरण डॉ सत्यवान कुमार द्वारा प्रस्तुत कैल गेल। कार्यक्रम के समन्वयक आ डीन प्रो0 सुरेश्वर झा धन्यवाद ज्ञापन केलथि। एहि अवसर पर सबटा पदाधिकारी, कर्मी आ पीजी के सबटा शिक्षक उपस्थित छलाह।