‘यह सिर्फ खबर भर नहीं है। यही सच्चाई है जीवन की।’

#MNN@24X7 जिनके लिए आप जीवन भर झूठ-सच करके कंकड़-पत्थर जमा करते हैं, जिनके लिए आप जीवन भर हाय-हाय करते रहते हैं! जिनकी खुशी के लिए आप दूसरों की खुशी छीनते रहते हैं, जिनका घर बसाने के लिए आप हजारों घर उजाड़ते हैं; जिनकी बगिया सजाने और चहकाने के लिए आप प्रकृति तक की ऐसी तैसी करने में बाज नहीं आते!

यह वही सहारा श्री थे जिनके कारोबार की धाक कभी पूरी दुनिया भर में फैली थी. चिट फण्ड, सेविंगस फाइनेंस, मीडिया, मनोरंजन, एयरलाइन, न्यूज़, होटल, खेल,‌ भारतीय क्रिकेट टीम का 11 साल तक स्पान्सर, वगैरह, वगैरह…! ये वही सहारा श्री थे जिनकी महफिलों में कभी राजनेता से लेकर अभिनेता और बड़ी-बड़ी हस्तियां दुम हिलाते नजर आते थे. ये वही सहारा श्री थे जिन्होंने अपने बेटे सुशान्तो-सीमांतो की शादी में 500 करोड़ से भी अधिक खर्च किए थे। ऐसा भी नहीं था कि सहारा श्री ने अचानक दम तोड़ा! उन्हें कैंसर था और उनके परिवार के हरेक सदस्य को उनकी मौत का महीना पता होगा लेकिन तब भी अंतिम वक्त में उनके साथ, उनके पास परिवार का कोई सदस्य नहीं था! बेटों ने उनके शव को कांधा तक नहीं दिया!

वे पुत्र और वह परिवार आपके लिए, अंतिम दिनों में साथ तक नहीं रह पाते। कभी ठहरकर सोचिएगा कि आप ऐसे वैसे जैसे तैसे जो पूंजी जमा करते हैं, उन्हें भोगने वाले आपके किस हद तक ‘अपने’ हैं? डाकू रत्नाकर की कथा में भी नारद ने उनसे यही पूछा था कि तुम्हारे कुकर्मों में परिजन कितने हिस्सेदार हैं उनसे पूछो? जब उन्होंने अपने परिजनों से ईस संबंध में बात की तो उन्होंने साफ-साफ मना कर दिया की कुकर्म में उनका कोई हिस्सा नहीं। साथ ही याद कीजिए अंगुलीमाल से बुद्ध ने यही तो कहा था कि “मैं तो कब का ठहर गया, तुम कब ठहरोगे। ” आज सबसे बड़ा सवाल हैं “हम सब कब रूकेंगे?” (स्रोत:- श्रीमद्भागवत गीता समूह)।