#MNN@24X7 दरभंगा। मिथिला के वरद् पुत्र आचार्य सुरेंद्र झा सुमन की 21वीं पुण्यतिथि रविवार को मनाई गई। विद्यापति सेवा संस्थान के तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम में महासचिव डाॅ बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने आचार्य सुरेंद्र झा सुमन को ऐतिहासिक महापुरुष बताते हुए एक आम मैथिल, विशिष्ट साहित्यकार, कर्मनिषठ संपादक, जनप्रिय विधायक और सांसद के रूप में उनके कृतित्व एवं व्यक्तित्व की विस्तार से चर्चा की।
मौके पर कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो शशिनाथ झा ने आचार्य सुमन के रचना-कर्म की विस्तार से चर्चा करते कहा कि सुमन जी सही मायने में एक अमर साहित्यकार थे। जिनकी लेखनी में कवि-हृदय के स्वच्छन्द भाव और मुख से प्यार व दुलार सदैव प्रस्फुटित होता था। दरभंगा के सांसद डा गोपालजी ठाकुर ने अपने संबोधन में कहा कि सुमन जी एक अमर साहित्यकार होने के साथ ही कुशल राजनीतिज्ञ भी थे। उन्होंने सुमनजी को सजग राष्ट्र का सजग प्रहरी बताते हुए कहा कि आचार्य सुमन अपनी कृतियों में अमर हैं और अमर रहेंगे।
दरभंगा नगर विधायक संजय सरावगी ने कहा कि मैथिली साहित्य के आकाश में जिस तरह आचार्य सुमन ध्रुवतारा की तरह चमकते हैं, उसी तरह मिथिला के राजनीतिक फलक पर भी उनका अविस्मरणीय योगदान रहा है।पूर्व विधान पार्षद प्रो दिलीप कुमार चौधरी ने अपने संबोधन में आचार्य सुमन को मैथिली साहित्य का अद्भुत उपासक व महान राष्ट्र भक्त करार दिया।
ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के पूर्व कुलसचिव डा अजीत कुमार चौधरी ने कहा कि सुमनजी अपने सद्गुण के कारण न सिर्फ स्वत: हृदयग्राही थे, बल्कि मात्र 23 वर्ष की उम्र में मिथिला की प्रतिष्ठित साप्ताहिक मिथिला मिहिर का संपादक होने का उन्हें गौरव प्राप्त था।
मीडिया संयोजक प्रवीण कुमार झा ने कहा कि सुमन जी मैथिली साहित्य जगत के ऐसे साहित्यकार के रूप में विख्यात हैं, जिन्होंने विपुल साहित्य के संयोजन और रचना के पश्चात स्वयं को ही साहित्य रचना का विषय बना लिया है। यह निसंदेह प्रेरणास्पद है। अपने संबोधन में उन्होंने आचार्य सुमन के प्रतिमा स्थल का सोन्दर्यीकरण कराकर उनके प्रति सम्मान का भाव प्रकट करने के लिए नगर विधायक संजय सरावगी के प्रति विद्यापति सेवा संस्थान की ओर से कृतज्ञता ज्ञापित की।
प्रो चंद्रशेखर झा बूढ़ाभाई ने सुरेंद्र झा सुमन रचित शिव पंचाक्षर स्तुति की चर्चा करते हुए कहा कि देवों के देव महादेव की महिमा का वर्णन करती सुमन जी की यह रचना भारतीय साहित्य की अनुपम, अद्वितीय और अद्भुत कृति है। इससे पहले हराही पोखर स्थित आचार्य सुरेंद्र झा सुमन की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर समस्त मिथिलावासी की ओर से श्रद्धा सुमन अर्पित किया गया।
इस अवसर पर मुकेश महासेठ, अविनाश गुप्ता, आदित्य नारायण चौधरी मन्ना, बालेन्दु झा बालाजी, डॉ गणेश कांत झा, दुर्गानंद झा, नवल किशोर झा, आशीष चौधरी, चन्दन सिंह, रामाज्ञा झा, मनीष झा रघु आदि की उल्लेखनीय उपस्थिति रही।