#MNN@24X7 दरभंगा 24 मई, मिथिला लेखक मंच के तत्वावधान में एक दिवसीय सम्मेलन सीतायन होटल में हुआ आयोजित। इस समारोह का रामभरोस कापड़ी भ्रमर प्रज्ञा प्रतिष्ठान (नेपाल) ने उद्घाटन करते हुए कहा कि नेपाल में मैथिली साहित्य की मान्यता ज्यादा है भारत के बनिस्पत। नेपाल में भारत से पहले मिथिला राज्य की स्थापना होगी और मैथिली राजकाज की भाषा। ज्ञात हो कि मिथिला राज्य निर्माण के लिए 2010 में जनकपुर में पांच सेनानी शहीद हुए थे और दर्जनों लोग बुरी तरीके से घायल हुए थे। मिथिला राज्य की स्थापना होगी तभी सर्वांगीण विकास भारत और नेपाल में होगा। संविधान सम्मत मिथिला राज्य की स्थापना तत्काल भारत और नेपाल सरकार को अपने यहां करना चाहिए।
इस अवसर पर प्रोफेसर उदय शंकर मिश्रा ने कहा कि भारत में मैथिली राजकाज की भाषा और मिथिला राज्य के लिए आन्दोलन चलाया जा रहा है। बिहार सरकार की मैथिली बिरोधी चेहरा उजागर किया है उसने मैथिली को बीपीएससी एवं मैथिली अकादमी से निकाल दिया गया है। हम लोग आर-पार की लराई लर रहे हैं।
इस अवसर पर अयोध्या नाथ चौधरी नेपाल को मिथिला सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। श्री नारायण जी झा को मिथिला लेखक मंच ने सम्मानित किया। श्री प्रीतम कुमार निषाद को सम्मानित किया मैथिली दर्पण ने। डा राजकिशोर झाजी ने जय जय भैरवि गाण से कार्यक्रम का आरंभ किया और स्वागत गान विभा झा ने किया।
इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता डा उषा चौधरी, तथा संचालन चन्द्रेश ने किया। इसके अलावा जय जय भैरवि गान डा राज किशोर झा, स्वागत भाषण डा टुन टुट झा, स्वागत गीत बिभा झा ने प्रस्तूत किया धन्यवाद दिया बुढ़ा भाई ने।
इस अवसर पर दीपक कुमार झा, विश्वनारायण लाल दास, स्वर्णिम किरण, प्रतिभा स्मृति, सत्येन्द्र कुमार झा, विजय कुमार मिश्र, शशिबोध मिश्र शशि, डा विजय शंकर झा, नीतू कुमारी, हीरेन्द्र कुमार झा, डा श्रीशंकर झा, मिथिलेश्वर झा, रमेश, डा योगानंद झा, श्याम बिहारी सरस, विरेन्द्र ठाकुर, हरिजी, ललितेश्वर मिश्र, नंदकुमार मिश्र, डा सुनिता झा, मुन्नी, मधु, रितु, प्रज्ञा तथा ओमकार नाथ झा आदि उपस्थित थे।