6 से 8 नवम्बर तक तीन दिवसीय कार्यक्रम का ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय परिसर स्थित डॉ नागेन्द्र झा स्टेडियम में किया जायेगा आयोजन

शिरकत करेंगी अनेक महत्वपूर्ण हस्तियां

लगातार तीन दिनों तक बहेगी साहित्य, संगीत व कला की त्रिवेणी

#MNN@24X7 मिथिला अति प्राचीनकाल से भारतवर्ष के एक महत्वपूर्ण धार्मिक एवं सांस्कृतिक क्षेत्र के रूप में विख्यात रहा है। मिथिला प्राचीन समय में विदेह राज्य की राजधानी थी, जो हिमालय और गंगा नदी के तलहटी के बीच स्थित था । वर्तमान में यदि इसे रेखांकित किया जाय तो प्राचीन मिथिला क्षेत्र आज के बिहार, झारखंड एवं पड़ोसी देश नेपाल के भू-भाग में विभाजित है। यह विदेह या मिथिला राज्य पूर्व में कोशी, पश्चिम में गंडक, उत्तर में हिमालय और दक्षिण में गंगा नदी से घिरा माना जाता है।

जो क्षेत्र जगत जननी माँ जानकी, भामती, भारती, मैत्रेयी, गार्गी आदि विदूषियों सहित जनक, याज्ञवल्क्य, अष्टावक्र, विद्यापति, गौतम, कनाद, मंडन, अयाची, शंकर आदि विद्वानों की जन्मभूमि होने के साथ ही विश्व के दो महान, धार्मिक एवं सम्मानित नामों गौतम बुद्ध और वर्धमान महावीर का ज्ञान क्षेत्र एवं कर्मक्षेत्र का धरोहर भी रहा है। मिथिला के महान विभूतियों को यथोचित सम्मान प्रदान करते हुए आने वाली पीढ़ी को उनके कृतित्व से रूबरू कराने के उद्देश्य से प्रति वर्ष साहित्यिक एवं सांस्कृतिक महाकुंभ के रूप में मिथिला विभूति पर्व समारोह का आयोजन मिथिला-मैथिली के उत्कर्ष का जीवंत प्रतीक है।

यह बात बिहार के पूर्व कला संस्कृति मंत्री डा आलोक रंजन ने बुधवार को विद्यापति सेवा संस्थान के तत्वावधान में आयोजित प्रेस वार्ता में कही। उन्होंने कहा कि स्वर्ण जयंती समारोह के बतौर स्वागताध्यक्ष मिथिला मैथिली के विकास के लिए सभी को दल, जाति, वर्ग और समुदाय से ऊपर उठकर एक मंच पर लाने का उनका प्रयास होगा।

मौके पर संस्थान के अध्यक्ष सह कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो शशिनाथ झा ने बताया कि सांस्कृतिक एवं साहित्यिक संरक्षण एवं संवर्धन के लिए उपयुक्त माहौल तैयार करने के साथ ही मिथिला की गौरवशाली विरासत से नई पीढ़ी को रूबरू कराने के उद्देश्य से इस वर्ष मिथिला पेंटिंग व व्यंजन प्रदर्शनी के साथ ही साहित्य अकादमी, दिल्ली व मैथिली अकादमी, पटना के सौजन्य से आकर्षक पुस्तक मेला का आयोजन तीनों दिन किया जाएगा।

पूर्व विधान पार्षद प्रो दिलीप कुमार चौधरी ने कहा कि इस सांस्कृतिक महाकुंभ में आम मिथिला वासी और देश-विदेश में रहने वाले प्रवासी व अप्रवासी मैथिलों के संग अनेक साहित्यकार, गीतकार, शिक्षाविद, राजनेता, गायक और गायिका सहित संस्कृति कर्मी एक मंच पर आकर अपनी गौरवशाली संस्कृति को जीवंत बनाने के लिए एकजुटता का प्रदर्शन करना काबिले तारीफ है।

उन्होंने संस्थान की ओर से कवि कोकिल विद्यापति की पुण्य स्थली विद्यापति नगर के साथ ही उनकी जन्म स्थली बिस्फी में भी राजकीय पर्व मनाये जाने का प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजने की बात कही।

मैथिली अकादमी के पूर्व अध्यक्ष सह सांस्कृतिक एवं सलाहकार समिति के अध्यक्ष पं कमलाकांत झा ने बताया कि इस ऐतिहासिक आयोजन में नई पीढ़ी के कलाकारों एवं कवियों को अधिक अवसर प्रदान किए जाने पर विशेष जोर दिया जा रहा है। इस बार समारोह के पहले एवं तीसरे दिन रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम का भव्य आयोजन किया जाएगा। ।
रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम में रंजना झा, डा ममता ठाकुर, पूनम मिश्रा, जूली झा, पं कुंज बिहारी मिश्र, राम बाबू झा, माधव राय, विकास झा, ओमप्रकाश सिंह, कृष्ण कुमार कन्हैया, दुखी राम रसिया, दीपक कुमार झा, नीरज कुमार झा, केदारनाथ कुमर, सुषमा झा, अनुपमा झा, खुशबू मिश्रा, मशहूर शंखवादक विपिन मिश्र, नटराज डांस एकेडमी, सृष्टि फाउंडेशन एवं धरोहर सांस्कृतिक मंच आदि की प्रस्तुति आकर्षण के केन्द्र में रहेगी।

महासचिव डॉ बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने बताया कि कवि कोकिल विद्यापति के निर्वाण दिवस पर विद्यापति सेवा संस्थान के तत्वावधान आगामी 6, 7 एवं 8 नवम्बर को होने वाले तीन दिवसीय मिथिला विभूति पर्व के स्वर्ण जयंती वर्ष समारोह की विधिवत शुरुआत 6 नवम्बर को प्रातः बेला में होगी। उस दिन विद्यापति चौक स्थित महाकवि विद्यापति की प्रतिमा पर माल्यार्पण के साथ होगा। इसके उपरांत मिथिला के पारंपरिक परिधान में शोभायात्रा निकाली जाएगी।

शोभा-यात्रा प्रभारी विनोद कुमार झा एवं विजयकांत इसकी तैयारी को अंतिम रूप देने में लगे हैं। उन्होंने बताया कि इस बार तीन दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय परिसर स्थित डॉ नागेन्द्र झा स्टेडियम में किया जायेगा। जबकि इस ऐतिहासिक आयोजन का उद्घाटन करने के लिए राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, अनेक केन्द्रीय मंत्री सहित मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एवं उप मुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव को आमंत्रित किया गया है।

कार्यक्रम में सम्मिलित होने के लिए बिहार विधान परिषद के सभापति देवेश चंद्र ठाकुर, बिहार सरकार के काबीना मंत्री संजय झा, विजय कुमार चौधरी, डॉ चन्द्रशेखर, पूर्व मंत्री जीवेश मिश्र व डॉ. राम प्रीत पासवान, केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे, पूर्व केंद्रीय मंत्री पद्मश्री डॉ. सीपी ठाकुर एवं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ. मदन मोहन झा, लोकसभा सांसद डॉ. गोपाल जी ठाकुर, डॉ. अशोक कुमार यादव, राज्य सभा सांसद विवेक ठाकुर, नगर विधायक संजय सरावगी, बेनीपुर विधायक डॉ विनय कुमार चौधरी, केवटी विधायक मुरारी मोहन झा, पूर्व विधान पार्षद डॉ. विनोद कुमार चौधरी, डॉ मिश्री लाल यादव आदि ने अपनी सहमति प्रदान कर दी है।

डॉ बैजू ने बताया कि समारोह के पहले दिन के कार्यक्रम में विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान के आधार पर मिथिला विभूति सम्मान के लिए चयनित मिथिलावासी एवं प्रवासी मैथिल को सम्मानित किया जाएगा। जबकि समारोह के दूसरे दिन ‘मिथिला राज्यक औचित्य’ विषयक राष्ट्रीय सेमिनार एवं भव्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा।

सेमिनार संयोजक मणिकांत झा ने बताया कि सेमिनार के लिए प्रस्तावित विषय पर तीन दर्जन से अधिक आलेख प्राप्त हुए हैं, जिन्हें पुस्तक आकार में प्रकाशित किए जाने का कार्य अंतिम चरण में है और समारोह के दूसरे दिन आयोजित कार्यक्रम में इस पुस्तक का लोकार्पण किया जाएगा।

आयोजन समिति के मीडिया संयोजक प्रवीण कुमार झा ने बताया कि समारोह के दूसरे दिन संध्या बेला में आयोजित कवि गोष्ठी में विद्यापति सेवा संस्थान की मुख पत्रिका’अर्पण’ के स्वर्ण जयंती वर्ष विशेषांक का लोकार्पण किया जाएगा। जबकि डॉ अशोक कुमार मेहता के संयोजन में भव्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा। जिसमें देश के विभिन्न हिस्सों से मैथिली के स्वनामधन्य कवि एवं कवियित्री शिरकत करेंगे।

उन्होंने बताया कि स्वर्ण जयंती वर्ष समारोह में विगत पचास साल के दौरान संस्थान के मंच से कविता पढ़ने वाले 50 कवियों की प्रतिनिधि कविताओं का संग्रह भी प्रकाशित किया जाएगा। स्वर्ण जयंती वर्ष समारोह की विनोद कुमार झा ने शोभायात्रा की चल रही तैयारी के बारे में अवगत कराया।

आशीष चौधरी ने कार्यक्रम से युवाओं को सीधे जोड़़ने के लिए उनके संयोजन में चल रही तैयारियों की जानकारी दी। मणिभूषण राजू ने अंतरराष्ट्रीय मिथिला पेंटिंग प्रतियोगिता के बारे में विस्तार से बताया।

बैठक में रामनारायण झा, प्रो चंद्रशेखर झा बूढ़ाभाई, चंद्र मोहन झा, दुर्गानंद झा, नवल किशोर झा, आशीष चौधरी, पुरुषोत्तम वत्स, मणिभूषण राजू, आयुष आनंद आदि ने भी अपने महत्वपूर्ण विचार रखे।