संस्कृत के मर्मज्ञों पर अत्यधिक उत्तरदायित्व

दरभंगा। 76वे स्वतंत्रता दिवस पर संस्कृत विश्वविद्यालय मुख्यालय में सोमवार को राष्ट्र ध्वज को फहराने के बाद शहीद वीर जवानों एवं सेनानियों के प्रति हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कुलपति डॉ शशिनाथ झा ने कहा कि बहुत ही कठिनाइयों के बाद हमें आजादी मिली है।आज भी सरहद की सीमाओं पर हमारे सैनिक देश की रक्षा में दिन-रात लगे हुए हैं।हम सभी उनके प्रति भी आभार प्रकट करते हैं।

उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता को अक्षुण्ण रखने में संस्कृत के विद्वानों व मर्मज्ञों का अत्यधिक उत्तरदायित्व बनता है। संस्कृत साहित्य, वेद, पुराण,गीता व अन्य भारतीय शास्त्रों में राष्ट्र, देश, राजनीति,शासन, सत्ता, धर्म पर जो सनातनी नीतियां व व्यवस्थाएं स्थापित की गईं हैं उसके सहारे ही विश्व मे शांति व सही मायने में आजादी हासिल की जा सकती है। हमें याद रखना होगा कि शांतिपूर्ण माहौल में ही विकास व उन्नति के बीज फलते व फूलते हैं।

हमारे देश को अनेकता में एकता का महान् सन्देश इस तिरंगा झंडा से प्राप्त होता है। इस ध्वज के नीचे हम सब एक होकर केवल भारतीय हो जाते हैं।

पीआरओ निशिकांत के अनुसार कुलपति डॉ झा ने आगे कहा कि हमसभी जहां भी हैं और जैसे भी हैं, हमें अपने कर्तव्यों का निर्वहन ईमानदारी व निरपेक्षता से करते रहना चाहिए। ऐसा कर ही हमसभी समाज को, देश को आगे बढ़ा सकते हैं। आज के दिवस की परिकल्पना भी यही है।

तिरंगा फहराने से पूर्व कुलपति एवं कुलसचिव डॉ सत्येंद्र नारायण सिंह ने मुख्यालय परिसर में स्थापित संस्कृत विश्वविद्यालय के संस्थापक महाराजा डॉ0 सर कामेश्वर सिंह व महाराजा लक्ष्मीश्वर सिंह की आदमकद प्रतिमा पर माल्यार्पण किया।

वहीं दूसरी ओर, कर्मचारी संघ कार्यालय परिसर में कुलसचिव डॉ सिंह एवं कर्मचारी नेता अनिल कुमार झा द्वारा तिरंगा फहराया गया। मौके पर सभी शिक्षक, पदाधिकारी व कर्मचारी उपस्थित रहे।