यदि हर युवा संकल्प लें कि खुद मादक द्रव्यों का सेवन नहीं करेंगे और न ही दूसरों को करने देंगे तो इनका उत्पादन स्वत: बंद हो जाएगा- प्रो प्रेम मोहन।
आनुवांशिक, मनोवैज्ञानिक, तनाव तथा अभिभावक के समय अभाव से दिग्भ्रमित होकर युवा होते हैं नशापान का शिकार- प्रो पुष्पमाला।
नशापान एवं मादक द्रव्यों के सेवन तथा अवैध व्यापार से हम स्वयं को तथा समाज को बचाकर ही भावी पीढ़ी को स्वस्थ एवं सुरक्षित बनाने में होंगे सक्षम- डॉ चौरसिया।
#MNN@24X7 दरभंगा ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के स्नातकोत्तर रसायनशास्त्र विभाग में नेहरु युवा केन्द्र, दरभंगा के तत्वावधान में “नशीली दावाओं की लत और मादक द्रव्यों के सेवन” पर एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन पीजी रसायन विभागाध्यक्ष एवं विज्ञान संकायाध्यक्ष प्रो प्रेम मोहन मिश्रा की अध्यक्षता में किया गया, जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में ललित कला के संकायाध्यक्ष प्रो पुष्पम नारायण, मुख्य अतिथि के रूप में विश्वविद्यालय के एनएसएस- समन्वयक डॉ आर एन चौरसिया, विशिष्ट वक्ता के रूप में स्नातकोत्तर एनएसएस इकाई के कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ सोनू राम शंकर, एनवाईके मुकेश कुमार झा, राम नारायण पंडित, सुधा नंदन झा, मणिकांत ठाकुर सहित 80 से अधिक छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।
अध्यक्षीय संबोधन में प्रो प्रेम मोहन मिश्रा ने सेमिनार के विषय को गंभीर एवं उपयोगी बताते हुए कहा कि छात्र- युवाओं में शैक्षणिक नशा होना चाहिए, क्योंकि नशीली दावाओं एवं मादक द्रव्यों के सेवन हमेशा विनाश ही करता है। उन्होंने कहा कि यदि हर युवा संकल्प ले लें कि वे खुद मादक द्रव्यों का सेवन नहीं करेंगे और न ही दूसरों को करने देंगे तो इसका उत्पादन एवं व्यापार स्वत: समाप्त हो जाएगा। मुख्य वक्ता प्रो पुष्पम नारायण ने कहा कि आनुवांशिक, मनोवैज्ञानिक, कार्यतनाव तथा अभिभावकों के समयाभाव से दिग्भ्रर्मित होकर युवा नशापान का शिकार होते हैं। नशापान के लिए युवाओं से ज्यादा दोषी उनके समाज एवं अभिभावक हैं। उन्होंने आह्वान किया कि छात्र संयमित होकर अपनी पढ़ाई के द्वारा चरित्र निर्माण की लत लगाएं न कि नशापान का। वे समाज में मादक द्रव्यों के प्रति लोगों को जागरुक एवं प्रेरित कर खुद दूसरों के लिए उदाहरण बनें।
मुख्य अतिथि डॉ आर एन चौरसिया ने कहा कि नशापान एवं मादक द्रव्यों के सेवन तथा अवैध व्यापार से हम स्वयं को तथा समाज को बचाकर ही भावी पीढ़ी को स्वस्थ एवं सुरक्षित बनाने में सक्षम हो सकते हैं। नशापान पूरी पीढ़ी और समाज को भी पतनशील बना देता है। मादक पदार्थों से सुरक्षित युवा ही नव परिवर्तन के वाहक एवं आदर्श बन सकते हैं। इसके निषेध से ही एक सभ्य समाज और समृद्ध राष्ट्र का निर्माण संभव है। उन्होंने कहा कि नशा मुक्त जीवन पवित्र एवं वरदान से युक्त और समाज स्वर्ग सदृश हो जाता है। मादक द्रव्यों के प्रयोग एवं मद्यपान व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक एवं चारित्रिक पतन का सबसे बड़ा कारण है। इनके विरुद्ध जागरूकता में युवाओं एवं महिलाओं को भूमिका सर्वाधिक महत्वपूर्ण है।
विशिष्ट वक्ता डॉ सोनू रामशंकर ने नशापान को तामसी प्रवृत्ति बताते हुए कहा कि मादक पदार्थ जब हमारे ऊपर हावी हो जाता है तो हम उसके अधीन हो जाते हैं। गलत लोगों के संगत के कारण ही युवा नशासेवन सीखते हैं, जिन्हें छोड़कर उन्हें सत्गुण की ओर बढ़ाना चाहिए तथा खेलकूद, योगासन और संगीत आदि में ध्यान लगाना चाहिए।
कार्यक्रम का प्रारंभ दीप प्रज्वलन से, जबकि समापन राष्ट्रगान- जन गण मन.. से हुआ। आगत अतिथियों का स्वागत मोमेंटो से किया गया। वहीं सुधा नंदन झा के संचालन में आयोजित सेमिनार में स्वागत भाषण मुकेश कुमार झा ने दिया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन मणिकांत ठाकुर ने किया।