#MNN@24X7 दरभंगा। 28 मार्च, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय हिन्दी विभाग की पूर्व अध्यक्ष प्रो. भारती श्रीवास्तव, कार्यावधि सन् 2005–08 के निधन से विश्वविद्यालय परिवार में शोक की लहर दौड़ गई।
उनके निधन की सूचना मिलते ही विश्वविद्यालय हिन्दी विभाग में उनके कार्यों तथा स्मृतियों को समर्पित श्रद्धांजलि सभा विभागाध्यक्ष प्रो. उमेश कुमार की अध्यक्षता में आयोजित की गई।
कार्यक्रम की शुरुआत प्रो. भारती की आत्मा की शांति के लिए दो मिनट का मौन रखकर हुई।
प्रो. भारती जी को नम आंखों से याद करते हुए विभागाध्यक्ष प्रो. उमेश कुमार ने कहा कि उनके लेखन और जीवन में कोई फर्क नहीं था। उनका कहानी संग्रह ‘सात जोड़ी आंखों का सवाल’ जीवन की विसंगतियों को उसकी संपूर्णता में दर्शाता है। उनकी कहानियां मानवीय मूल्यों की सजग प्रहरी हैं। मानवीय संवेदनाओं के प्रति सचेतन होने का ही परिणाम रहा कि छात्रों व सहकर्मियों से उन्हें अपार सहानुभूति थी।
कहते हुए अपार दुःख होता है कि अब उनकी स्मृतियां ही हमारे बीच रह गई हैं। प्रो. भारती का जीवन अनुकरणीय है।
पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. चंद्रभानु प्रसाद सिंह ने कहा कि प्रो. भारती जी ने अपनी कार्य कुशलता से हिन्दी विभाग को अनेक स्तरों पर समृद्ध किया था। उनकी पुण्याई का परिणाम है कि हिन्दी विभाग के छात्र प्रोफेसर बहाली, शिक्षक बहाली के साथ ही अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में हमेशा अव्वल आते हैं। उन्होंने बौद्धिक रूप से हिन्दी विभाग को अधिकाधिक समुन्नत बनाया।
वहीं, वरिष्ठ प्राचार्य प्रो. सुरेंद्र प्रसाद सुमन ने कहा कि आज हमने एक अभिभावक खो दिया। विभाग के प्रत्येक शुभ में उनकी भी आभा है।
वरिष्ठ प्राचार्य प्रो. आनंद प्रकाश गुप्ता ने कहा कि मृत्यु जीवन की कड़वी सचाई है। प्रो. भारती की स्मृतियां हमें निरंतर कर्तव्य पथ पर चलने की प्रेरणा देती रहेंगी। उनके विचारों को संजोना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
मौके पर वरीय शोधार्थी अभिषेक कुमार, सियाराम मुखिया, समीर, दुर्गानंद ठाकुर, निशा कुमारी, खुशबू कुमारी तथा लिपिक ध्रुव कुमार यादव, आदेशपाल ब्रजकिशोर ठाकुर सहित कई छात्र–छात्राएं उपस्थित थे।