आज दिनांक 04-04-2022 को विश्विद्यालय हिंदी विभाग, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा में राष्ट्रीय भावधारा के महाकवि माखनलाल चतुर्वेदी की जयंती मनाई गई। कार्यक्रम की अध्यक्षता हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र साह ने की। इस अवसर पर प्रो.राजेन्द्र साह ने कहा कि माखनलाल चतुर्वेदी भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन के योद्धा कवि थे|

साहित्य का सृजन हमेशा परिस्थितियों के अनुरूप होता है। छायावाद काल 1918-1936 के समानांतर राष्ट्रीय काव्यधारा प्रवाहित हुई थी। दिनकर, सोहनलाल द्विवेदी, सुभद्रा कुमारी चौहान और माखनलाल चतुर्वेदी इसी भावधारा के कवि थे। उन्होंने सही मायनों में इस स्वतंत्रता आंदोलन को जिया था, राष्ट्रीयता और देशभक्ति की भावना को अंगीकार किया था। सिर्फ कविता तक ही नहीं,बल्कि जीवन के सभी आयामों में उनकी राष्ट्रीयता परिलक्षित होती है। उन्होंने ‘कर्मवीर’जैसी पत्रिका के सम्पादन द्वारा जनजागरण किया। ‘पुष्प की अभिलाषा’ की व्याख्या करते हुए उन्होंने बताया कि माखनलाल चतुर्वेदी ने फूल की भावना में भी राष्ट्रीयता चेतना भर दी| वह फूल शृंगार के लिए नहीं, देवताओं पर चढ़ाए जाने के लिए नहीं, बल्कि उन स्वाधीनता के सैनिकों के पथों पर बिछ जाना चाहती है जो मातृभूमि के उद्धार के लिए अपनी आहुति देने के लिए सन्नद्ध थे|

इस अवसर पर सह-प्राचार्य प्रो.सुरेंद्र प्रसाद सुमन ने कहा कि राष्ट्रीय आंदोलन में बहुत से लेखक-कवि रहे लेकिन माखनलाल चतुर्वेदी का अलग मिजाज था। राष्ट्रीय आंदोलन में जो दो धाराएँ थीं;नरम दल और गरम दल –चतुर्वेदी जी गरम दल के +कायल थे। उन्होंने आगे कहा कि देश में बलिदानों की कतार सजाने वाले भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु जैसे वीर शहीदों के क्रांति मार्ग में पुष्प बिछाने वाले कवि थे माखनलाल चतुर्वेदी। इसी वजह से उन्हें ‘एक भारतीय आत्मा’ की उपाधि दी गई थी।

इस अवसर पर उपस्थित शोधार्थियों- धर्मेंद्र दास, शिखा सिन्हा, पुष्पा कुमार, समीर कुमार आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए। स्नातकोत्तर तृतीय छमाही के छात्र दीपक, स्नेहा आदि ने भी माखनलाल चतुर्वेदी जी के जीवन के विविध प्रसंगों को उद्घाटित किया। कार्यक्रम का संचालन वरीय शोध प्रज्ञ कृष्णा अनुराग ने किया। मौके पर बड़ी संख्या में शोधार्थी और विद्यार्थी उपस्थित रहे।